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मंदी से हिल उठा भारत: सरकार ने भी किया स्वीकार, ये हैं जीडीपी ग्रोथ के नए आंकड़े

अर्थव्यवस्था आंकड़ों को अगर देखा जाए तो जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दूसरी तिमाही में दर्ज हुई है। लेकिन यह रेटिंग एजेंसियों सहित आरबीआई के अनुमानों से भी अच्छी बढ़ी है।

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Published on: 27 Nov 2020 1:26 PM GMT
मंदी से हिल उठा भारत: सरकार ने भी किया स्वीकार, ये हैं जीडीपी ग्रोथ के नए आंकड़े
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मंदी से हिल उठा भारत: सरकार ने भी किया स्वीकार, ये हैं जीडीपी ग्रोथ के नए आंकड़े

नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। भारत की जीडीपी में चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में साढ़े सात फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। इस प्रकार से भारत की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में आ गई है। तकनीकी रूप से कहा जाता है कि अगर दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था निगेटिव रहे तो उस अर्थव्यव्स्था को मंदी में कहा जाता है। पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। यह जानकारी सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी।

जीडीपी ग्रोथ के नए आंकड़े निराशाजनक

कोरोना वायरस संकट के बीच 27 नवंबर यानी शुक्रवार को दूसरी बार जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े आ गए हैं। वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी यानी सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव में 7.5 फीसदी रही है। वित्त वर्ष की पहली यानी जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 24 फीसदी की भारी गिरावट आ चुकी है।

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अर्थव्यवस्था को रिकवरी मिलने के बाद भी निगेटिव ग्रोथ

अगर पहली तिमाही से तुलना करें तो अर्थव्यवस्था को रिकवरी मिली है लेकिन इसके बावजूद निगेटिव ग्रोथ इकोनॉमी के लिए सही संकेत नहीं हैं। कोर सेक्टर की बात करें तो अक्टूबर में ग्रोथ -2.5 फीसदी रही, जो सितंबर के 0.8% के मुकाबले ज्यादा है।

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क्या होती है मंदी की परिभाषा

अर्थव्यवस्था में मान्य परिभाषा के मुताबिक अगर किसी देश की जीडीपी लगातार दो तिमाही निगेटिव में रहती है यानी ग्रोथ की बजाय उसमें गिरावट आती है तो इसे मंदी की हालत मान लिया जाता है। यूं समझ लीजिए कि तकनीकी तौर पर देश आर्थिक मंदी में फंस चुका है। क्योंकि इस वित्त वर्ष की लगातार दो तिमाही में जीडीपी निगेटिव में है।

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अनुमान से अच्छी बढ़ी है अर्थव्यवस्था आंकड़ों को अगर देखा जाए तो जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दूसरी तिमाही में दर्ज हुई है। लेकिन यह रेटिंग एजेंसियों सहित आरबीआई के अनुमानों से भी अच्छी बढ़ी है। अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक जीडीपी का नुकसान काफी कम हो सकता है। ये हैं आंकड़े भारत की जीडीपी चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में 33.14 लाख करोड़ रुपये की रही है।

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साढ़े सात फीसदी की गिरावट दर्ज

जबकि पिछले साल की दूसरी तिमाही में यह जीडीपी 35.84 लाख करोड़ रुपये रही थी। इस प्रकार इसमें साढ़े सात फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। वहीं पिछले वर्ष जीडीपी में दूसरी तिमाही में 4.4 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई थी।

जीडीपी को सहारा देने वाले क्षेत्र माना जा रहा था कि निर्माण क्षेत्र इस बार जीडीपी को झटका देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर इस बार 0.4 फीसदी की दर से बढ़ा है।

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