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फ्यूचर ग्रुप की बिक्री फंसी, कंपनी हो सकती है दीवालिया

सिंगापुर की अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने फ्यूचर ग्रुप को अपना खुदरा कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को बेचने से अंतरिम रूप से रोक दिया है। फ्यूचर समूह का रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ यह सौदा 24,713 करोड़ रुपये का है। इस डील के विरोध में अमेज़न मध्यस्थता अदालत में गया क्योंकि उसका कहना है कि 2019 में उसने फ्यूचर ग्रुप के साथ एक डील की थी

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Published on: 27 Oct 2020 2:21 PM IST
फ्यूचर ग्रुप की बिक्री फंसी, कंपनी हो सकती है दीवालिया
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फ्यूचर ग्रुप की बिक्री फंसी, कंपनी हो सकती है दीवालिया (Photo by social media)

लखनऊ: बिग बाजार वाले किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप की बिक्री को लेकर अब अमेज़न और रिलायंस इंडस्ट्रीज आमने सामने हो गए हैं। हुआ ये कि किशोर बियानी ने अपने फ्यूचर ग्रुप का पूरा बिजनेस और लोन रिलायंस को बेच दिया है। उधर अमेज़न का कहना है कि उसकी फ्यूचर ग्रुप के साथ साल भर पहले डील हुई थी जिसमें साफ़ कहा गया था कि ये ग्रुप रिलायंस समेत कुछ ख़ास कंपनियों को नहीं बेचा जाएगा। अमेज़न ने मामला इंटरनेशनल अदालत में पहुंचा दिया है जहाँ फ्यूचर ग्रुप की बिक्री पर रोक लगा दी गयी है। वैसे तो इस अदालत का आदेश मानना भारत के लिए बाध्यकारी नहीं है लेकिन बिजनेस हाउसेज अदालत और उसके आदेशों का पूरा सम्मान करते हैं।

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अंतरिम रोक

सिंगापुर की अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने फ्यूचर ग्रुप को अपना खुदरा कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को बेचने से अंतरिम रूप से रोक दिया है। फ्यूचर समूह का रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ यह सौदा 24,713 करोड़ रुपये का है। इस डील के विरोध में अमेज़न मध्यस्थता अदालत में गया क्योंकि उसका कहना है कि 2019 में उसने फ्यूचर ग्रुप के साथ एक डील की थी जिसमें ये बात कही गयी थी कि फ्यूचर ग्रुप अपने खुदरा एसेट्स को रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड समेत किन्हीं ‘चिन्हित व्यक्तियों’ को नहीं बेचेगा। अमेज़न-फ्यूचर ग्रुप डील में ये भी लिखा गया था कि कोई भी विवाद होने पर सिंगापुर के अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के नियमों के तहत मामला सुलझाया जाएगा।

अब फ्यूचर ग्रुप ने अदालत से कहा है कि अगर वो अपने एसेट्स रिलायंस इंडस्ट्री को बेचने में विफल रहता है तो कम्पनी दिवालिया हो जायेगी। उसने कहा है कि बिक्री का सौदा बिना किसी विलम्ब के पूरा किया जाना जरूरी है।

संकट गहराया

मध्यस्थता अदालत के 130 पेज के फैसले से पता चलता है कि अमेज़न कंपनी के अपनी दलील में कहा है कि जब फ्यूचर ग्रुप के साथ हुये करार में ये साफ़ लिखा था कि इस ग्रुप की बिक्री रिलायंस समेत कुछ कंपनियों को नहीं की जायेगी तो फिर ये सौदा पूरी तरह धोखा है।

अब अगर फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस की डील नहीं पूरी होती है तो फ्यूचर ग्रुप के खुदरा व्यापार पर ताला पड़ जाएगा और 1500 से ज्यादा आउटलेट्स को अपना बोरिया बिस्तर बांध कर जाना पड़ेगा। हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो जायेंगे और सप्लायर्स बर्बाद हो जायेंगे।

फ्यूचर ग्रुप के प्रतिनिधि ने मध्यस्थता अदालत के जज वी.के राजाह से अपील की है कि यदि विवादित सौदा विफल रहता है तो फ्यूचर ग्रुप लिक्विडेशन में चला जाएगा जिसका मतलब होगा कि इसके 29 हजार से ज्यादा कर्मचारी अपने नौकरी खो देंगे। वी.के. राजाह सिंगापुर के पूर्व अटार्नी जनरल हैं।

कोरोना संकट

रायटर की खबर के अनुसार, फ्यूचर ग्रुप ने अदालत में दलील दी कि कोरोना संकट से अनेक भारतीय बिजनेस प्रभावित हुए हैं। सबसे ज्यादा मार खुदरा व्यापार को पड़ी है। फ्यूचर ग्रुप-रिलायंस डील का लक्ष्य फंडिंग और लोन कवरेज के जरिये सभी स्टेकहोल्डर्स के हितों की रक्षा करना है। इस पर राजाह ने कहा कि 'आर्थिक संकट, कानूनी बाध्यताओं की अवहेलना करने का कोई कानूनी आधार नहीं है।'

अमेजन ने मध्यस्थ के फैसले का स्वागत किया है जबकि फ्यूचर ग्रुप ने कहा है कि वो सौदा पूरा करने के लिए उचित कदम उठाएगा। रिलायंस ने कहा है कि वो सौदा पूरा करेगा।

अमेज़न की तकरार

अमेज़न ने भारत में 6.5 बिलियन डालर निवेश कर रखे हैं लेकिन वो यहाँ सख्त नियमों और जांचों में फंसा हुआ है। ताजा तकरार से अमेज़न अब रिलायंस के भी आमने सामने हो गया है। वैसे सिंगापुर की अदालत का फैसला भारत में स्वतः लागू नहीं हो जाता है, उसे भारत की अदालत से पुष्टि की जरूरत होती है। अब अगर भारत में इस डील के खिलाफ कोई कानूनी फैसला आता है तो अमेज़न को रिलायंस, फ्यूचर ग्रुप और बैंकों से सौदेबाजी करने की अनुमति मिल जायेगी। और अगर अमेज़न को भारतीय कोर्ट से कोई रहत नहीं मिलती है तो उसे सिर्फ कुछ मुआवजे से संतोष करना पड़ेगा।

क्या थी डील

इस साल अगस्त में रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड ने फ्यूचर ग्रुप के सम्पूर्ण खुदरा और थोक व्यापार, लोजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग बिजनेस 24,713 करोड़ रुपये में खरीदने की घोषणा की थी। इस डील को अभी नियामक संस्था का अप्रूवल नहीं मिला है।

2019 में अमेज़न ने फ्यूचर ग्रुप की होल्डिंग कंपनी फ्यूचर कूपन्स में 49 फीसदी हिस्सेदारी ले ली थी। फ्यूचर ग्रुप में फ्यूचर कूपन्स की हिस्सेदारी 7.3 फीसदी की है।

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फ्यूचर ग्रुप का हाल

फ्यूचर ग्रुप का हाल ये है कि उसके कर्जे साल दर साल बढ़ते जा रहे थे। 30 सितम्बर 2019 को उस पर 12,778 करोड़ का कर्जा था जबकि 31 मार्च 2019 को ये 10,951 करोड़ का था यानी छह महीने में दो हजार करोड़ कर्जा बढ़ गया। इसे मार्च 2020 तक कर्जा वापस करना था। कोरोना के कारण कर्ज वापसी पर सरकार ने रहत दे दी सो कंपनी दिवालिया होने से बच गयी।

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