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सरकार ने किए बड़े बदलाव, अब पड़ेगा PPF पर असर, जान लें नहीं तो होगा नुकसान

डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स ने हाल ही में स्मॉल सेविंग स्कीम्स में हुए कई बदलावों के बारे में जानकारी दी है इन्हीं स्मॉल सेविंग स्कीम्स में से एक है पब्लिक प्रोविडेंट फंड, जिसके नियमों में भी कई तरह का बदलाव किया गया है. डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स द्वारा किए गए इस बदलाव का सबसे अधिक असर पीपीएफ (PPF) और नेशनल सेविंग स्कीम्स पर पड़ने वाला है।

suman
Published on: 19 Feb 2020 6:57 AM GMT
सरकार ने किए बड़े बदलाव, अब पड़ेगा PPF पर असर, जान लें नहीं तो होगा नुकसान
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नई दिल्ली डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स ने हाल ही में स्मॉल सेविंग स्कीम्स में हुए कई बदलावों के बारे में जानकारी दी है इन्हीं स्मॉल सेविंग स्कीम्स में से एक है पब्लिक प्रोविडेंट फंड, जिसके नियमों में भी कई तरह का बदलाव किया गया है। डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स द्वारा किए गए इस बदलाव का सबसे अधिक असर पीपीएफ (PPF) और नेशनल सेविंग स्कीम्स पर पड़ने वाला है।

12 दिसंबर को गैजेट नोटिफिकेशन में इन बदलावों के बारे में जानकारी दी गई है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड के नियामों में क्या बदलाव हुआ है और अगर आप भी इस स्कीम में निवेश करते हैं तो आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

कॉन्ट्रीब्युशन नियम, पीपीएफ में जमा की जाने वाली रकम की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन पीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए मिनिमम अमाउंट में कुछ बदलाव किया गया है। इस बदलाव के बाद अब अगर कोई व्यक्ति अपने अकाउंट में या किसी नाबालिग बच्चे के अकाउंट में पैसे जमा करता है तो उसे ध्यान रखना होगा कि यह रकम 500 रुपये से कम नहीं होनी चाहिए और यह 50 रुपये के मल्टीपल में होनी चाहिए। एक वित्तीय वर्ष में पीपीएफ अकाउंट में अधिकतम 1.5 लाख रुपये ही निवेश किया जा सकता है। इसके पहले पीपीएफ सब्सक्राइबर्स 5 रुपये के मल्टीपल में कोई भी रकम जमा कर सकते थे। पीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए ​अब फॉर्म ए की जगह फॉर्म 1 भरना होगा।

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मैच्योरिटी और डिपॉजिट्स , अकाउंट की मैच्योरिटी पीरियड 15 साल की होती है। इसके बाद अगर कोई इस अकाउंट को अगले 5 साल के लिए आगे बढ़ाता है तो इसके लिए उन्हें मैच्योरिटी पीरियड खत्म होने से 1 साल के अंदर ही फॉर्म 4 जमा करना होगा। पहले इसके लिए फॉर्मा एच भरना होता था. सी प्रकार अगर कोई मैच्योरिटी के बाद भी बिना कोई डिपॉजिट किए भी पीपीएफ अकाउंट को जारी रखा जा सकता है। ऐसा करने पर मैच्योरिटी के समय जो भी रकम होगी, उसपर ब्याज मिलता रहेगा।

लोन पर ब्याज दर, पीपीएफ अकाउंट के आधार पर लोन लेने के बाद इसका प्रिंसिपल अमाउंट पे-इन-स्लिप के जरिए जमा किया जा सकता है और इसे सब्सक्राइबर के लोन अकाउंट में ही क्रेडिट किया जाएगा। जब प्रिंसिपल अमाउंट पूरी तरह से चुका दिया जाएगा, तो सब्सक्राइबर्स सालाना 1 फीसदी की दर से ब्याज के आधार पर दो महीने से कम के इन्स्टॉलमेंट में ब्याज की रकम जमा कर सकते हैं। यह भुगतान लोन भुगतान होने के अगले माह से ही शुरू हो जाएगा। अगर लोन की रकम को समय पर नहीं चुकाया जाता है तो इसके लिए पेनाल्टी के तौर पर सालाना 6 फीसदी की दर से ब्याज देना होगा।

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कैलकुलेट होगा ब्याज, पूरी महीने की रकम पर ब्याज पाने के लिए सुझाव दिया जाता है कि हर महीने की 5 तारीख से पहले ही पीपीएफ अकाउंट में डिपॉजिट कर दिया जाए। अगर आप किसी पीपीएफ इंटरेस्ट कैलकुलेटर का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि ब्याज हर महीने पीपीएफ अकाउंट में जमा सबसे कम रकम के आधार पर जोड़ा जाता है।

यह रकम हर महीने की 5 तारीख से लेकर महीने के अंत में जो भी सबसे कम रकम होगी, उसी आधार पर जोड़ा जाएगा। बता दें कि हर तिमाही में सरकार PPF पर मिलने वाले ब्याज को रिवाइज करती है। ब्याज की रकम सब्सक्राइबर के खाते में हर वित्तीय वर्ष के अंत में दी जाती है।

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