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भारत पर होगा सबसे अधिक कर्ज: मूडीज की ताजा रिपोर्ट ने बढ़ाई सरकार की चिंता

दुनिया की बड़ी रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस की ताजा रिपोर्ट आई गई है। जिसमें कहा गया है कि साल 2021 तक उभरती अर्थव्यवस्था वाले बाजारों में भारत ऐसा देश होगा जिस पर सबसे अधिक कर्ज का बोझ हो सकता है।

Newstrack
Published on: 2 Sept 2020 12:52 PM IST
भारत पर होगा सबसे अधिक कर्ज: मूडीज की ताजा रिपोर्ट ने बढ़ाई सरकार की चिंता
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सरकारी बैंकों की हालत सबसे अधिक खराब- मूडीज की रिपोर्ट में साफ़ –साफ़ ये कहा गया है कि भारत में सरकारी बैंकों की स्थिति ठीक नहीं है।

नई दिल्ली: दुनिया की बड़ी रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस की ताजा रिपोर्ट आई गई है। जिसमें कहा गया है कि साल 2021 तक उभरती अर्थव्यवस्था वाले बाजारों में भारत ऐसा देश होगा जिस पर सबसे अधिक कर्ज का बोझ हो सकता है।

कोरोनावायरस महामारी की वजह से जीडीपी ग्रोथ घटने और राजकोषीय घाटे के बढ़ने से उभरते बाजारों की अर्थव्यवस्था पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।

मूडीज की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कमजोर फाइनेंशियल सिस्टम और आकस्मिक देनदारी के कारण भारत, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की के लिये कर्ज का यह जोखिम कुछ ज्यादा ही है।

मूडीज ने ये भी कहा, भारत के वित्तीय सिस्टम पर दवाब बढ़ने से जोखिम और बढ़ सकता है। भारत के बैंक बढ़ते एनपीए की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बावजूद कमजोर एसेट क्वालिटी की समस्या से परेशान हैं।

money रुपए की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

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अभी और कितना बढ़ेगा कर्ज

बात दें कि मूडीज की ये रिपोर्ट सोमवार शाम को आई है। इस रिपोर्ट पर अगर हम गौर करे तो जीडीपी के आंकड़ों के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में 24 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ देखने को मिली है। मूडीज ने कहा है कि उभरते बाजार की अर्थव्यवस्थाओं में बढ़े प्राथमिक घाटे की वजह से उनके कर्ज का बोझ साल 2019 के मुकाबले साल 2021 तक 10 फीसदी तक बढ़ सकता है।

सरकारी बैंकों की हालत सबसे अधिक खराब- मूडीज की रिपोर्ट में साफ़ –साफ़ ये कहा गया है कि भारत में सरकारी बैंकों की स्थिति ठीक नहीं है जिनकी बैंकिंग सिस्टम एसेट में करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी है।

Shaktikanta Das आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास की फोटो(सोशल मीडिया)

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प्रोडक्टिविटी पर पड़ेगा सीधा असर

रेटिंग एजेंसी ने का कहना है कि कि भारत में मध्यम अवधि की ग्रोथ और राजकोषीय चुनौती वास्तव में जोखिम के संकेत दे रही है। इससे यह समझा जा सकता है कि आने वाले समय में भी सरकार की आमदनी और भी ज्यादा घट सकती है और कमोडिटी, टूरिज्म और अन्य सेक्टर के बड़े एक्सपोजर की वजह से मांग में कमजोरी का प्रोडक्टिविटी पर प्रभाव पड़ सकता है।

रेटिंग एजेंसी ने ये भी कहा, इनमें से कुछ पर ज्यादा ब्याज के भुगतान का भी बोझ होगा जिससे विकसित देशों का कर्ज बोझ और बढ़ेगा।मूडीज ने कहा कि उभरते बाजारों वाली बड़ी अर्थव्यवस्था में ब्राजील, भारत और दक्षिण अफ्रीका में कर्ज बोझ सबसे अधिक हो सकता है।

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