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रेलवे को करोड़ों का नुकसान: ट्रेन से एक पशु कटने के बाद होता है ऐसा

पशु कटने के बाद ट्रेन रुकती है तो बिजली या डीजल का खर्च बढ़ जाता है। पैसेंजर और गुड्स ट्रेन से जानवर कटने का खर्च अलग-अलग है। दो-तीन साल में ट्रेन से पशु कटने की घटनाएं बढ़ गई हैं। इसके चलते 15-15 मिनट तक ट्रेन लेट हो रही हैं।

SK Gautam
Published on: 4 Jan 2021 6:06 PM IST
रेलवे को करोड़ों का नुकसान: ट्रेन से एक पशु कटने के बाद होता है ऐसा
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रेलवे को करोड़ों का नुकसान: ट्रेन से एक पशु कटने के बाद होता है ऐसा

नई दिल्ली: भारतीय रेल को देश की धड़कन कहते हैं। भारतीय रेल की कमाई में फायदा और नुकसान का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। ट्रेन से किसी व्यक्ति या पशु के कटने की घटना अक्सर होती है। होने वाली इन दुर्घटनाओं से रेलवे विभाग को काफी नुकसान होता है। यह नुकसान हजारों या लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों रुपये का होता है।

दुर्घटना के बाद ट्रेन रुकने से बिजली या डीजल का खर्च बढ़ जाता

बता दें कि जब भी पशु कटने के बाद ट्रेन (Train) रुकती है तो बिजली या डीजल का खर्च बढ़ जाता है। पैसेंजर और गुड्स ट्रेन से जानवर कटने का खर्च अलग-अलग है। दो-तीन साल में ट्रेन से पशु कटने की घटनाएं बढ़ गई हैं। इसके चलते 15-15 मिनट तक ट्रेन लेट हो रही हैं। कुछ खास ट्रेन के मामले में लेट होने पर तो यात्रियों को भी भुगतान करना होता है।

train cattle accident-2

इतने रुपये प्रति मिनट का होता है नुकसान

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगर डीजल से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन एक मिनट रुकती है तो उसे 20401 रुपये का नुकसान होता है। वहीं, इलेक्ट्रिक ट्रेन को 20459 रुपये का नुकसान होता है। इसी तरह डीजल से चलने वाली गुड्स ट्रेन को एक मिनट रुकने पर 13334 रुपये और इलेक्ट्रिक ट्रेन को 13392 रुपये का नुकसान होता है। यह वो नुकसान है, जो सीधे तौर पर रेलवे को होता है। अब ट्रेन में बैठे यात्रियों को कितना नुकसान उठाना पड़ता होगा, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

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पशुओं के कटने की घटनाएं यूपी में ज्यादा

बता दें कि ट्रेन से पशुओं के कटने की घटनाएं यूपी में बहुत होती हैं। पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में भी पशुओं के ट्रेन से कटने की बहुत घटनाएं होती हैं। नॉर्थ-ईस्ट में तो ट्रेन से टकराकर हाथी भी मर रहे हैं। अगर रेलवे के मुरादाबाद मंडल की बात करें तो 2016 से लेकर 2019 तक चार साल में 3090 पशु कटने के बाद ट्रेन 15 मिनट तक लेट हो गईं थी।

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इन सालों में इतने पशु ट्रेन से कटे

आगरा मंडल में 2014-15 से लेकर 2018-19 तक 3360 पशु ट्रेन से कट चुके हैं। दूसरी ओर, झांसी में भी इस समय अवधि में करीब 4300 पशु ट्रेन से कटे थे। भोपाल मंडल में करीब 3900 पशु कटे थे। इलाहबाद मंडल के मुताबिक, 1 अप्रैल 2018 से 30 नवंबर 2018 तक 1685 घटनाएं पशु टकराने की हुईं थीं और 1 अप्रैल 2019 से 30 नवंबर 2019 में 2819 घटनाएं पशुओं के ट्रेन से टकराने की हुईं थी। दानापुर मंडल में पशु कटने पर जिन ट्रेनों को 15 मिनट से ज़्यादा रोकना पड़ा उनकी संख्या 5 साल में 600 है, जबकि भोपाल मंडल में 603 है।

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