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Kele Ki Kheti Kaise Karen: इस खेती से कमाएं लाखों रूपये, केले के उत्पादन में सरकार भी दे रही तगड़ी Subsidy
Kele Ki Kheti Kaise Karen: केले की फसल के लिए अधिक पैदावारी के लिए किसानों ने टिशू कल्चर से खेती करने के लगे हैं। इसका असर कम समय में फसल तैयार होने के साथ उत्पादन पर दिखा है। सरकार भी इस पर सब्सिडी प्रदान कर रही है।
Kele Ki Kheti Kaise Karen: केला विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण फल माना जाता है। भारत में सालाना 14.2 मिलियन टन केले का उत्पादन होता है। यानी दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा। इसके अलावा भारत में केला फल आम के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण फल मना गया है। यह अन्य फलों की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है। केले में कई सारे गुण पाए जाते हैं, जो मनुष्य के लिए स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। अगर कोई भी व्यक्ति एक केलना प्रति दिन सेवन करना करता है तो काफी एक्टिव रहता है। इस वजह से राज्य सरकारें भी केले की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी की मुहैया करवा रही हैं।
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देश में यहां होता है सबसे अधिक केला
वैसे तो देश में सर्वाधिक केला का उत्पादन मराष्ट्र राज्य में किया जाता है। यह उत्पादन के मामले पर देश में पहले स्थान पर है। यहां का एक शहर है, जो जलगांव कहते हैं, इसको भारत का केलों का शहर का जाता है, लेकिन केले का उत्पादन आप देश में कहीं भी कर सकते हैं। यूपी व बिहार सरकार किसानों को केले के अधिक पैदावार के लिए फसल पर सब्सिडी की व्यवस्था करवा रही हैं। यूपी में पिछले कुछ सालों से किसानों के बीच केले की खेती का रकबा बढ़ा है।
जिले के बाराबंकी, कौशांबी, फैजाबाद, बहराइच समेत कई जिलों में बड़े पैमाने पर केले की खेती की जाती है। इसमें अमेठी जिले ने तो केले की खेती पर अलग मिशाल पेश की है,जबकि बिहार में मुजफ्फरपुर, कटिहार, समस्तीपुर, वैशाली और मधेपुरा जिले के किसानों के बीच सबसे अधिक सूबे में केले की खेती होती है। ऐसे में अगर आप किसान है तो केले की खेती कर अधिक लाभ पैदा कर सकते हैं। अगर इसके लिए पैसे की कमी है तो राज्य सरकार से सहायत लेते सकते हैं, जबकि इसकी खेती के लिए राज्य सरकार सब्सिडी की व्यवस्था मुहैया करवा रही हैं।
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कैसे करें उत्तम किले की खेती
अगर कोई किसान केले की खेती करना चाह रहा है तो कई उन्नत किस्में मौजूद हैं। इसकें सिंघापुरी के रोबेस्टा किस्म सबसे अधिक मानी जाती है और यह अधिक पैदावारी किस्म है। इसकी खेती के लिए सबसे सही दिन जून से जुलाई मना गया है। अच्छा तापमान 13 से 38 डिग्री होता है। फसल में 75-85 प्रतिशत की सापेक्षिक आर्द्रता में अच्छी तरह तैयार होती है। खेत में पौधों की दूरी 6 फीट होती है। इसको पानी वाली फसल बोला जाता है। हर 15 से 20 दिन मे मिट्टी की नमी के आधार पर पानी की जरूरत होती है। हालांकि जल निकासी सही होना चाहिए, ताकि तनागलक रोग न लग सकते। वहीं, पौधों से पौधों की दूरी 6 फीट होनी चाहिए। सही प्रकार के खेती करने के बाद यह फसल 13-14 महीने में तैयार हो जाती है। एक एड़क में 1200 केले के पौधे लगाए जाते हैं।
टिशू कल्चर से बढ़ी पैदावारी
हालांकि केले की फसल के लिए अधिक पैदावारी के लिए किसानों ने टिशू कल्चर से खेती करने के लगे हैं। इसका असर कम समय में फसल तैयार होने के साथ उत्पादन पर दिखा है। इस तकनीक से पौधे में फल 8 से 9 महीने में आना शुरू हो जाते हैं और फसल एक साल में तैयार हो जाती है। बिहार सरकार से मिली जानाकारी के मुताबिक, पहले यहां केले का उत्पादन एक हेक्टेयर में 32.87 मट्रिक टन था, वहीं टिशू कल्चर के बाद यह बढ़कर 46.07 मट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो गया है।
इतनी मिलेगी सब्सिडी
बिहार सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत किसानों को टीशू कल्चर केले की खेती पर 50 फीसदी की सब्सिडी मुहैया करवा रही है। राज्य सरकार ने एक हेक्टेयर इकाई लागत 125000 रुपये निर्धारित कर रखी है। इस हिसाब से सरकार इसकी खेती पर किसान 125000 रुपये के ऊपर 50 फीसदी सब्सिडी प्रदान करेगी।