×

Bamboo Business in UP: करोड़पति बनेगा यूपी का किसान, अब बांस का बिजनेस करें आप भी

Bamboo Business in UP: लोच और टिकाऊपन में लाजवाब, बहुपयोगी बांस को योगी सरकार और खास बना रही है। बांस को किसानों व शिल्पियों की समृद्धि का जरिया बनाने के लिए सरकार का फोकस समानांतर कई आयामों पर है।

Newstrack
Published on: 17 July 2023 6:00 AM IST
Bamboo Business in UP: करोड़पति बनेगा यूपी का किसान, अब बांस का बिजनेस करें आप भी
X
Bamboo Business in UP (Photo - Social Media)

Bamboo Business in UP: लोच और टिकाऊपन में लाजवाब, बहुपयोगी बांस को योगी सरकार और खास बना रही है। बांस को किसानों व शिल्पियों की समृद्धि का जरिया बनाने के लिए सरकार का फोकस समानांतर कई आयामों पर है। बांस की खेती को बढ़ावा देने, कामन फैसिलिटी सेंटर खोलकर इसके उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला व बाजार तैयार करने के साथ बांस उपचार के संयंत्र भी लगाए जा रहे हैं। इन सभी कामों में नेशनल बैम्बू मिशन काफी कारगर साबित हो रही है।

32 जिलों में चल रहा नेशनल बैम्बू मिशन

खेती से लेकर मार्केटिंग तक के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन एक बहुद्देश्यीय योजना है। यह योजना उत्तर प्रदेश में बांस विकास को बढ़ावा दिये जाने, नई किस्मों को विकसित करने, अनुसंधान को प्रोत्साहन करने, हाईटेक नर्सरी स्थापित किये जाने, पौधों में कीट एवं बीमारी प्रबंधन, बांस हस्तकला को बढ़ावा दिये जाने, बांस उत्पादकों की आय में वृद्धि किये जाने, बांस उत्पादों के लिए विपणन नेटवर्क विकसित करने तथा कारीगरों हेतु कच्चा माल उपलब्ध कराये जाने हेतु प्रारम्भ की गयी है।

वर्तमान में राष्ट्रीय बांस मिशन योजना बुंदेलखण्ड और विंध्याचल क्षेत्र सहित 32 जिलों (38 वन प्रभाग) तथा बिजनौर सामाजिक वानिकी, नजीबाबाद (बिजनौर), सहारनपुर सामाजिक वानिकी, शिवालिक (सहारनपुर), मुजफ्फरनगर, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, सीतापुर, पीलीभीत सामाजिक वानिकी, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, उत्तर खीरी, दक्षिण खीरी, बहराईच, बाराबंकी, रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, फतेहपुर, काशी वन्यजीव (चन्दौली), जौनपुर, वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर, सोहागीबरवा वन्यजीव (महराजगंज), बलिया, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बाँदा, झाँसी, उरई (जालौन), चित्रकूट, मिर्जापुर, सोनभद्र, ओबरा तथा रेनूकूट में क्रियान्वित की जा रही है।

कई प्रजातियों के पौध उगान पर जोर

इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में मुख्यतः बैम्बूसा बाल्कोआ, बैम्बूसा न्यूटन्स, बैम्बूसा बैम्बोस, डैन्ड्रोक्लेमस हैमिल्टोनी और डैन्ड्रोक्लेमस जाइजेन्टियस आदि प्रजातियों के पौध उगान की कार्यवाही एवं वृक्षारोपण कार्य कराये जा रहे हैं।

कृषकों, संस्थाओं को 50 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि

योजना के अंतर्गत राजकीय भूमि और निजी कृषक भूमि में बांस पौधशाला की स्थापना, सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी), बैम्बू बाजार, बांस उपचार संयंत्र की स्थापना कराया जाना एवं वृक्षारोपण तथा अन्य सहकार्य (कृषको , कारीगरों एवं उद्यमियों का प्रशिक्षण) आदि को बढ़ावा दिये जाने का कार्य किया जा रहा है। निजी कृषकों, निजी संस्थाओं द्वारा कराये जाने वाले कार्यों हेतु निर्धारित मानकों के सापेक्ष 50 प्रतिशत प्रोत्साहन भी धनराशि दी जा रही है।

पांच जिलों में खुल चुकी हैं सीएफसी

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के अंतर्गत बांस आधारित शिल्प कला को बढ़ावा देने, निकटवर्ती कृषकों को बांस आधारित खेती तथा उसकी व्यापारिक गतिविधियों से अवगत कराये जाने, कृषकों, बांस शिल्पकारों तथा बांस आधारित उद्यमियों को आवश्यक प्रशिक्षण दिये जानेे तथा बांस क्षेत्र विकास से संबंधित आवश्यक तकनीकों को जन सामान्य तक पहुंचाए जाने के लिए पांच जिलों यथा सहारनपुर, बरेली, झाँसी, मीरजापुर तथा गोरखपुर में सामान्य सुविधा केंद्रों कॉमन फेसिलिटी सेंटर (सीएफसी) की स्थापना की गयी है। सामान्य सुविधा केंद्रों में कृषकों, बांस शिल्पकारों तथा बांस आधारित उद्यमियों को प्रशिक्षण दिये जाने की दृष्टि से विभिन्न प्रकार की मशीनों यथा क्रॉस कट, बाहरी गांठ हटाने, रेडियल स्प्लिटर, स्लाइसर, सिलवरिंग, स्टिक मेकिंग और स्टिक साइजिंग आदि मशीनें स्थापित की गयी हैं। ये केंद्र या तो बांस कारीगरों के समूहों, स्वयं सहायता समूहों, कृषक उत्पाद संगठनों या वन विभाग की संयुक्त वन प्रबंधन समिति की स्थानीय इकाइयों द्वारा संचालित किये जाएंगे। इन केंद्रों द्वारा क्षेत्र के कृषकों, कारीगरों, उद्यमियों को प्रशिक्षण एवं रोजगार सृजन के अवसर प्राप्त होंगे।

अपनी बहुपयोगिता की वजह से बांस हर घर में किसी न किसी रूप में नजर आता था। आज से करीब पांच दशक पहले जब घर कच्चे होते थे, लगभग हर दरवाजे पर एक झोपड़ी होती थी। पशुओं को बांधने लिए घारी, साल भर का भूसा एकत्र करने के लिए भुसौला और अनाज के संरक्षण के लिए बखारी होती थी। तब खूंटा, लाठी, डंडा, पैना, चंगेरी, बेड़ी, बसखट, चचरा आदि के रूप में बांस हर जगह दिखता था।

हर ठीक-ठाक किसान की अपनी बंसवारी होती थी। कई स्थानों के नाम भी बांस या इनसे बने उत्पादों के नाम पर हैं। अब इनका इतिहास क्या है? यह दीगर बात है। पर, सामान्य आदमी इन जगहों को बांस से जोड़ सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले की एक तहसील का नाम ही बांसगांव है। बांसस्थान, बांसपार, बांसी, खुटभार, खुटहन, पैना, बांस बरेली जैसे तमाम नामों को बांस से जोड़ा जा सकता है। उल्टे बांस बरेली को लेकर एक मुहावरा भी प्रचलित है। बांस से बनने वाली कान्हा की बासुरी पीलीभीत में बनती है। यह पीलीभीत का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) भी है।

Newstrack

Newstrack

Next Story