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रियायतों के बावजूद कैसे होगा काम, उद्योग जगत के सामने नया संकट

केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन में रियायतें देने का एलान भले कर दिया गया हो मगर उद्योग जगत की मुश्किलें दूर होती नहीं दिख रही हैं। प्रवासी मजदूरों को घर वापसी की मंजूरी दिए जाने के बाद उद्योग जगत के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं कि आखिरकार मजदूरों के बिना काम कैसे होगा।

Dharmendra kumar
Published on: 3 May 2020 4:50 PM GMT
रियायतों के बावजूद कैसे होगा काम, उद्योग जगत के सामने नया संकट
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन में रियायतें देने का एलान भले कर दिया गया हो मगर उद्योग जगत की मुश्किलें दूर होती नहीं दिख रही हैं। प्रवासी मजदूरों को घर वापसी की मंजूरी दिए जाने के बाद उद्योग जगत के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं कि आखिरकार मजदूरों के बिना काम कैसे होगा। फैक्ट्रियों खोलने की तैयारी में जुटे मालिक इस बात को लेकर परेशान हैं कि अब मजदूरों के न मिलने का संकट कैसे दूर किया जाए।

प्रवासी मजदूरों को वापस लाना काफी मुश्किल

पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष डीके अग्रवाल का कहना है कि जो मजदूर एक बार संकट के इस दौर में गांव चला गया है, उसे वापस लाना बेहद मुश्किल मुश्किल का काम होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के कारण प्रवासी मजदूर अब अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित स्थिति में हैं और बड़े शहरों में रुक कर काम नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि गांव में मनरेगा और खेती किसानी में रोजगार मिलने के बाद मजदूर शायद ही शहर लौटने का इच्छुक होगा।

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मजदूरों का पलायन बड़ी चुनौती

अग्रवाल ने कहा कि अगर रोजगार की दिक्कत के कारण मजदूर शहर की ओर वापस लौटेगा भी तो ज्यादा मजदूरी की मांग करेगा। लॉकडाउन के कारण तमाम फैक्ट्रियों और बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों पर काफी दिनों से ताले लगे हुए हैं और उद्योग जगत ज्यादा खर्च करने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। ऐसे ने उद्योग जगत के लिए मजदूरों का पलायन उम्मीद से कहीं अधिक बड़ी चुनौती साबित होने जा रहा है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को राज्यों के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों का पलायन रोकने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। उद्योग जगत इस मामले में हरसंभव मदद करने को तैयार हैं।

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रियल एस्टेट के लिए बहुत बड़ा संकट

मजदूरों का पलायन रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए ज्यादा परेशानियां खड़ा करने वाला साबित होगा। लंबे समय से बिक्री में गिरावट और पूंजी की कमी का सामना कर रहे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए चुनौतियां और बढ़ने वाली हैं। रियल एस्टेट संगठन नारेडको के उपाध्यक्ष प्रवीण जैन का कहना है कि रियल एस्टेट श्रम प्रधान उद्योग है। जिस तरह पूरे देश में मजदूरों का तेजी से पलायन हो रहा है उससे यह अंदाजा लगाना बड़ा मुश्किल है कि आने वाले दिन कैसे होंगे।

उद्योग जगत को करनी होगी काफी मेहनत

आर्थिक विशेषज्ञों का भी कहना है कि मजदूरों का पलायन एक गंभीर चुनौती साबित होने जा रहा है। भारत में अर्नेस्ट एंड यंग के रिटेल प्रमुख पिनाकी रंजन मिश्रा का कहना है कि मजदूरों का पलायन रोकने के लिए उद्योग जगत को आने वाले दिनों में काफी मेहनत करनी होगी। उद्योग जगत को मजदूरों को यह भरोसा दिलाना होगा कि वे जिस कंपनी में काम कर रहे हैं वहां शारीरिक और आर्थिक रूप से उनका भविष्य पूरी तरह सुरक्षित है।

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प्रवासी मजदूरों से वापस न जाने की अपील

आने वाली इस बड़ी मुश्किल महसूय करते हुए ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रवासी मजदूरों से राज्य छोड़कर न जाने की अपील की है। उन्होंने मजदूरों से कहा कि अब ज्यादातर उद्योगों में काम शुरू हो गया है। इसलिए मजदूरों को परेशान नहीं होना चाहिए। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी प्रवासी मजदूरों से राज्य में टिककर उद्योग जगत की गतिविधियों को तेज करने की अपील की है। उनका भी कहना है कि प्रवासी मजदूरों के बिना उद्योग जगत की गतिविधियों में तेजी नहीं आ सकती।

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