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लॉकडाउन से चरमरा चुकी अर्थव्यवस्था को 2021 में मिलेगी संजीवनी: फिच रेटिंग्स

विश्व की तीन बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में शामिल फिच रेटिंग्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष यानी के 2021-22 में 9.5 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

Aditya Mishra
Published on: 10 Jun 2020 6:50 PM IST
लॉकडाउन से चरमरा चुकी अर्थव्यवस्था को 2021 में मिलेगी संजीवनी: फिच रेटिंग्स
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नई दिल्ली: विश्व की तीन बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में शामिल फिच रेटिंग्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष यानी के 2021-22 में 9.5 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इसे एक अच्छी खबर माना जा सकता है। फिच रेटिंग्स ने कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2020-21 में जीडीपी घटने के बाद अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 9.5 फीसदी की दर से उछाल भर सकती है, लेकिन यह तभी मुमकिन होगा जब वित्तीय क्षेत्र में और ज़्यादा गिरावट दर्ज न हो। यहां पर कहने का मतलब ये है कि अगर वित्तीय क्षेत्र की सेहत ठीक रहे तो भारतीय अर्थव्यवस्था 2021-22 में जीडीपी में भारी उछाल दर्ज करेगी।

फिच रेटिंग्स ने बुधवार को APAC सॉवरेन क्रेडिट ओवरव्यू जारी किया है जिसमें एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है।

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2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 फ़ीसदी की कमी

अगर हम फिच रेटिंग्स कि बातों पर ध्यान दें तो मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 फ़ीसदी की कमी दर्ज की जा सकती है। अर्थव्यवस्था में इस बड़ी गिरावट की वजह जाहिर तौर पर कोरोना वायरस का संक्रमण ही है।

यहां रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि अगर भारत के वित्तीय क्षेत्र की स्थिति और ज्यादा नीचे नहीं जाती है तो 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 9।5 फ़ीसदी की दर से बढ़ेगी।

आगे रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक संकट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था "BBB" श्रेणी के अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा बढ़ोतरी दर हासिल करेगी। फिच रेटिंग्स ने कहा कि 25 मार्च से भारत में दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन लोड आया था।

भारतीय सरकार ने अर्थव्यवस्था के 10 फ़ीसदी हिस्से का आर्थिक पैकेज दिया है। लेकिन, इसमें वित्तीय हिस्सा भारतीय जीडीपी का लगभग 1 फ़ीसदी है जोकि अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है।

जिसके चलते तकरीबन सभी आर्थिक गतिविधियां रुक गई थी। इसके बाद लॉकडाउन को लगातार बढ़ाया गया जो कि 4 मई से कुछ शर्तों के साथ खुलना शुरू हुआ।

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