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भारतीय बैंकों का एनपीए हो सकता है 9.35 लाख करोड़ से दोगुना- रिपोर्ट
देश इस समय कोरोना वायरस की चपेट में हैं। कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए कई राज्यों में लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन में कुछ रियायत मिलने के बाद भी अभी भी बहुत सी कम्पनियां और फैक्ट्रियां बंद हैं।
नई दिल्ली: देश इस समय कोरोना वायरस की चपेट में हैं। कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए कई राज्यों में लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन में कुछ रियायत मिलने के बाद भी अभी भी बहुत सी कम्पनियां और फैक्ट्रियां बंद हैं। इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी साफ़ देखा जा सकता है।
कोरोना वायरस क्राइसिस के चलते भारतीय बैंकों का बैड डेट बढ़ने की संभावना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और चार टॉप बैंकर्स ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से बैंकों का फंसा हुआ कर्ज दोगुना हो सकता है।
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बैड डेट में उछाल क्रेडिट ग्रोथ और कोरोना वायरस महामारी से भारत में वसूली में देरी हो सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र के एक शीर्ष बैंक के वित्त प्रमुख ने मीडिया को बताया कि ये अभूतपूर्व समय है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि बैंकों को एनपीए की दोगुनी राशि की रिपोर्ट करेंगे, जो हमने इससे पहले तिमाहियों में देखा है।
भारत के वित्त मंत्रालय ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है जबकि भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बैंक एसोसिएशन ने ई-मेल का तुरंत जवाब नहीं दिया।
भारतीय बैंक पहले ही 9.35 लाख करोड़ रुपये (123 अरब डॉलर) के एनपीए से जूझ रहे हैं। सितंबर 2019 के अंत में उनकी कुल संपत्ति का लगभग 9.1% के बराबर था।
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, सरकार का मानना है कि इस वित्त वर्ष के अंत तक बैंक का नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स 18-20% तक दोगुनी हो सकती है, क्योंकि बकाया लोन का 20-25% डिफ़ॉल्ट होने का जोखिम है।
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