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बूम आएगा, इस उद्योग मेंः अगर राज्यों ने किया सही अमल, मुस्कुराएंगे किसान

यह विशाल योजना देश के 21 राज्यों में लागू होगी और अगले 4-5 वर्षो में इसे चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा। निश्चित रूप से देश के इतिहास में मछली पालन को लेकर यह अब तक की सबसे बड़ी योजना है।

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Published on: 16 Sep 2020 12:19 PM GMT
बूम आएगा, इस उद्योग मेंः अगर राज्यों ने किया सही अमल, मुस्कुराएंगे किसान
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आत्मनिर्भर होता मछली उद्योग

डा. श्रीकांत श्रीवास्तव

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम कहा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी महीने की 10 तारीख को बिहार में इस योजना का शुभारंभ किया है। 20 हजार करोड़ रूपए की लागत से शुरू इस योजना में मछली उत्पादकों को नया बुनियादी ढ़ांचा, आधुनिक उपकरण और नए बाजारों तक पहुंच के साथ ही कृषि के अन्य साधनों से ज्यादा अवसर उपलब्ध कराए जायेंगे।

देश के 21 राज्यों में लागू होगी योजना

यह विशाल योजना देश के 21 राज्यों में लागू होगी और अगले 4-5 वर्षो में इसे चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा। निश्चित रूप से देश के इतिहास में मछली पालन को लेकर यह अब तक की सबसे बड़ी योजना है। योजना की खासियत सबसे कमजोर आदमी तक इसके लाभों को पहुंचाना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ‘‘सबका साथ सबका विकास’’ के जिस मूलमंत्र के साथ काम किया है, उसका यह उत्कृष्ट नमूना है। आत्मनिर्भर भारत का एक संकल्प प्रधानमंत्री ने लिया है। एक ऐसा भारत जा हर मायने में आत्मनिर्भर होगा। हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा।

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2017 की एक सर्वे रिपोर्ट में ये बात आई सामने

भारत में मछली उद्योग की अत्यंत प्राचीन और समृद्ध परम्परा रही है। तीन ओर से समुद्र तट से घिरे होने तथा कई बड़ी नदियों वाला देश होने के कारण यहां की बड़ी आबादी अपने जीविकापार्जन तथा भोजन के लिए मछलियों पर निर्भर रहती आयी है। 2017 की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल एक करोड़ 61 लाख लोग मछली उद्योग से जुड़े थे। इनमें एक करोड़ पांच लाख पुरूष और 56 लाख महिलाएं थी।

वैसे तो भारत में सातवी पंच वर्षीय योजना (1985-1990) में ही नीली क्रांति की आगाज हो गया था। मछली किसान विकास एजेसी - एफ.एफ.डी.ए. ने सौजन्य से केन्द्र सरकार ने इसे शुरू किया था। 1950-51 में भारत में कुल मछली उत्पादन करीब साढ़े सात लाख टन था। यह नीली क्रांति के प्रयासों के बाद बढ़कर 1990-91 में करीब साढ़े अढ़तीस लाख टन हो गया।

2014-15 में जब यह सरकार सत्ता में आयी थी, तब यह 102 लाख 69 हजार टन था। सरकार के प्रयासों से 2017-18 में देश का मछली उत्पादन 126 लाख करोड़ टन के जा पहुंचा। फिर भी मछली उत्पादन के क्षेत्र मे अवसर को देखते हुए प्रयास उतने नहीं थे।

महात्मा गांधी के व्यक्तित्व में ऐसा ही जादुई आकर्षण

दरअसल मोदी सरकार की विशेषता किसी भी योजना की मिशन मोड मे लागू करने की रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व में जो चुम्बकीय आकर्षण है, वह सरकार द्वारा शुरू किसी भी योजना के साथ जनमानस को सहज रूप में जोड़ देता है और योजना महज सरकारी योजना न रह कर एक जन आंदोलन बन जाती है। स्वंतत्रता आंदोलन के दिनों में महात्मा गांधी के व्यक्तित्व में ऐसा ही जादुई आकर्षण था। महात्मा गांधी जो भी मुद्दा उठाते थे, पूरा देश उससे जुड़ जाता था। इसके लिए कोई व्हिप नही जारी करनी होती थी। लोगों के भीतर महात्मा गांधी पर इतना विश्वास था कि वे उनके साथ खड़े हो जाते थे। यही विश्वास आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीता है ।

सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित का लक्ष्य

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) मत्स्य क्षेत्र पर केन्द्रित और सतत विकास योजना है, जिसे आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक पांच साल की अवधि के दौरान सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाना है और इस पर अनुमानित रूप से 20,050 करोड़ रुपये का निवेश होना है। पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 20,050 करोड़ रुपये का निवेश मत्स्य क्षेत्र में होने वाला सबसे ज्यादा निवेश है। इसमें से लगभग 12,340 करोड़ रुपये का निवेश समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में लाभार्थी केन्द्रित गतिविधियों पर तथा 7,710 करोड़ रुपये का निवेश फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए प्रस्तावित है।

पीएमएमएसवाई के उद्देश्यों में 2024-25 तक मछली उत्पादन अतिरिक्त 70 लाख टन बढ़ाना, 2024-25 तक मछली निर्यात से आय 1,00,000 करोड़ रुपये तक करना, मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय दोगुनी करना, पैदावार के बाद नुकसान 20-25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना तथा मत्स्य पालन क्षेत्र और सहायक गतिविधियों में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना शामिल हैं।

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पीएमएमएसवाई को मछली उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता प्रौद्योगिकी, उपज के बाद के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे और प्रबंधन, मूल्य निर्धारण श्रृंखला के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण, मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचे और मछुआरों के कल्याण के रास्ते में आने वाली कमियों को दूर करने के उद्देश्य से बनाया गया है।

ये योजनायें शामिल

नीली क्रांति योजना की उपलब्धियों को मजबूत करने के उद्देश्य से, पीएमएमएसवाई के जरिए कई नए हस्तक्षेपों की परिकल्पना की गई है जिसमें मछली पकड़ने के जहाजों का बीमा, मछली पकड़ने के जहाजों/नावों के उन्नयन के लिए मदद, बायो-टॉयलेट्स, लवण/क्षारीय क्षेत्रों में जलीय कृषि, सागर मित्र, एफएफपीओ/सीएस, न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर, मत्स्य पालन और जलीय कृषि स्टार्ट-अप्स, इन्क्यूबेटर्स, इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क, इंटीग्रेटेड कोस्टल फिशिंग विलेज डेवलपमेंट, एक्वाटिक प्रयोगशालाओं के नेटवर्क और उनकी सुविधाओं का विस्तार, पहचान सुविधा, प्रमाणन और मान्यता, आरएएस, बायोफ्लोक एंड केज कल्चर, ई-ट्रेडिंग/विपणन, मत्स्य प्रबंधन योजना आदि शामिल है।

यह योजना मुख्य रूप से परियोजना में आवश्यकतानुरूप निवेश करते हुए मत्स्य समूहों और क्षेत्रों के निमार्ण पर केन्द्रित है। इसमें मुख्य रूप से रोजगार सृजन गतिविधियों जैसे समुद्री शैवाल और सजावटी मछली की खेती पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह मछलियों की गुणवत्ता वाली प्रजातियों की नस्ल तैयार करने तथा उनकी विभिन्न प्रजातियां विकसित करने, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास और विपणन नेटवर्क आदि पर विशेष ध्यान केंद्रित करती है।

3 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन का लक्ष्य

अब तक इस योजना के तहत मत्स्य विभाग ने पहले चरण में 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1723 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इसके तहत आय सृजन गतिविधियों को प्राथमिकता दी गई है। बिहार में पीएमएमएसवाई योजना के लिए 535 करोड़ रुपये की केन्द्र की हिस्सेदारी के साथ 1390 करोड़ रुपये के निवेश की तैयारी है। इसके तहत राज्य में 3 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

किसानों की आय दोगुना करने का सपना

चालू वित्त वर्ष (2020-21) के दौरान, भारत सरकार ने पुनःसंचरित एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), बायोफ्लोक तालाबों के निर्माण और फिन फिश जैसी प्रजातियों के प्रजनन की सुविधा, सजावटी मछली की खेत, जलाशयों/वेटलैंड्स, प्रशीतन केन्द्रों और प्रशीतन वाहनों, आइस बॉक्स के साथ मोटर साइकिल, आइस बॉक्स के साथ तीन पहिया, आइस बॉक्स के साथ चक्र में पिंजरों की स्थापना, मछली फ़ीड संयंत्र तथा मत्स्य केन्द्रों और उनसे संबंधित सेवाओं के विस्तार और ब्रूड बैंक आदि के लिए बिहार सरकार के लिए कुल 107.00 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी है। उम्मीद है कि आने वाले दिनो मे भारत के मछली उत्पादन मे रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी होगी । इससे किसानो की आय दोगुना करने का सरकार का सपना भी साकार होगा ।

नोट- लेखक भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी हैं। लेख मे व्यक्त विचार उनके अपने निजी हैं ।

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