रुपए की कीमतः डाॅलर के मुकाबले इतनी बढ़त, जानें जेब पर पड़ा कितना असर

आज रुपया उच्चतम स्तर पर है। घरेलू स्टॉक मार्केट में अन्य एशियाई करंसी में बढ़त से रुपये को मजबूती मिली है। इस महीने में विदेशी निवेशकों से 6.2 अरब डॉलर का फायदा हुआ हैं।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 28 Aug 2020 1:57 PM GMT
रुपए की कीमतः डाॅलर के मुकाबले इतनी बढ़त, जानें जेब पर पड़ा कितना असर
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भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआई अपने भंडार और विदेश से कारोबार कर बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है। और फिर मजबूत होता है रुपया

नई दिल्ली : आज यानि शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले रुपया उच्चतम स्तर पर है। ये उछाल पिछले 6 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा है। अब डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव 60 फीसदी बढ़कर 73.40 के स्तर पर है।

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रुपये में करीब 2 फीसदी की तेजी

21 दिसंबर 2018 के बाद यह एक सप्ताह में सबसे बड़ी तेजी है। बता दें कि पहले खबर थी कि भारतीय रिज़र्व बैंक सरकारी बैंकों के जरिए डॉलर खरीद रहा ताकि रुपये में बड़ी गिरावट को रोक सके। बीते एक सप्ताह की बात करें तो रुपये में करीब 2 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।

एशियाई करंसी में बढ़त से रुपये को मजबूती

इसके पहले सत्र में यह 73.81 के स्तर पर बंद हुआ था। पिछले सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपये में 73.28 का स्तर भी देखा गया, जो मार्च के बाद का उच्चतम स्तर है। इस दौरान प्रति अमेरिकी डॉलर रुपया 73.28 से 73.87 के रेंज में ट्रेड करते नजर आए।

dollar फाइल

घरेलू स्टॉक मार्केट में अन्य एशियाई करंसी में बढ़त से रुपये को मजबूती मिली है। इस महीने में विदेशी निवेशकों से 6.2 अरब डॉलर का फायदा हुआ हैं। साथ ही बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स में 5 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।

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एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की वर्तमान पॉलिसी से विदेशी फंड इनफ्लो को बढ़ावा मिल सकेगा। हालांकि, यह भी उम्मीद है कि फॉरेक्स रिज़र्व को मजबूत करने के​ लिए आरबीआई भी समय-समय पर डॉलर की खरीदता रहेगा। अप्रैल के बाद इसमें 60 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है।

रुपये में मजबूती से आयात सस्ता

अब रुपये में मजबूती से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात सस्ता हो जाएगा। देश में अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी से ज्यादा पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट आयात होता है। है। इसके अलावा, रुपये के मजबूत होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें घट सकती हैं।

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ऐसे मजबूत होता है रुपया

डिमांड एवं सप्लाई यानि मांग और पूर्ति पर रुपये की कीमत पूरी तरह निर्भर करती है। इसमें इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का पूरा असर पड़ता है। हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेन देन यानी (आयात-निर्यात) करते हैं। इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं।

आसान शब्दों में कहें तो भारत अमेरिका से कुछ बिजनेस करता हैं। जैसे-मअमेरिका के पास 67,000 रुपये हैं और हमारे पास 1000 डॉलर। ऐसे में आज डॉलर का भाव 67 रुपये है तो दोनों के पास बराबर रकम होगी।

हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगाता है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,700 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे। ऐसे में अगर भारत की आय यानि 100 डॉलर का सामान अमेरिका को दे देगा तो उसकी स्थिति ठीक हो जाएगी।

यह स्थिति जब बड़े पैमाने पर होती है तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में मौजूद करेंसी में कमजोरी आती है। भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआई अपने भंडार और विदेश से खरीदकर बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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