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सीडीएस रावत के बयान से तिलमिला उठा चीन, भारत को दी बड़ी धमकी
बिपिन रावत ने कहा था कि अगर चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य वार्ता को लेकर कोई नतीजा नहीं निकलता है तो सैन्य विकल्प भी मौजूद है। जबकि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक इंटरव्यू में कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद का हल कूटनीतिक माध्यमों से ही सुलझाया जाना चाहिए।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा पर अभी भी तनाव बरकरार है। जिसके बाद से दोनों देशों की तरफ से बॉर्डर पर बड़ी तादाद में सैनिकों की तैनाती कर दी गई है।
कुछ दिन पहले ही सीडीएस (इंडियन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल बिपिन रावत ने एक बयान में कहा कि लद्दाख में चीनी अतिक्रमण से निपटने के लिए सैन्य विकल्प खुला है।
बिपिन रावत ने कहा था कि अगर चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य वार्ता को लेकर कोई नतीजा नहीं निकलता है तो सैन्य विकल्प भी मौजूद है। जबकि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक इंटरव्यू में कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद का हल कूटनीतिक माध्यमों से ही सुलझाया जाना चाहिए।
चीन के मीडिया में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और सीडीएस बिपिन रावत के बयान को लेकर काफी चर्चा है।
ग्लोबल टाइम्स ने अपने आर्टिकल में लिखा है कि भारत अपने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए चीन के खिलाफ भले कड़ा रुख अख्तियार करे लेकिन उसके लिए चीन से किसी सैन्य संघर्ष में उलझना या युद्ध का खतरा मोल लेना असंभव है।
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सीडीएस जनरल बिपिन रावत की फाइल फोटो
भारत की सैन्य रणनीति सही रास्ते से भटक गई: चीन
चीनी मीडिया ने भारत पर हमला बोलते हुए कहा है कि भारत की सैन्य रणनीति सही रास्ते से भटक गई है। भारत को अमेरिका के साथ अच्छे संबंध की उम्मीद है और वह उसके साथ मिलकर आंशिक सैन्य गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहा है।
चीन अमेरिका के प्रभाव का इस्तेमाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए कर रहा है लेकिन भारत का ये रुख बिल्कुल सही नहीं है।
हिंद महासागर में किसी एक का ही वर्चस्व रह सकता है- अमेरिका भारत समेत किसी भी देश को हिस्सेदार नहीं बनने देगा। एक बार भारत की राष्ट्रीय और सैन्य ताकत बढ़ जाए तो फिर अमेरिका और भारत के बीच की लड़ाई धीरे-धीरे तेज होने लगेगी।
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लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की फाइल फोटो
चीनी मीडिया ने ये भी लिखा है कि चीन का रुख बिल्कुल स्पष्ट और साफ है। चीन भारत के साथ किसी भी तरह के संघर्ष में नहीं उलझना चाहता है।
चीन भारत के साथ सभी समस्याओं का शांतिपूर्वक समाधान चाहता है। वर्तमान में, बातचीत के लिए दरवाजा खुला हुआ है और दोनों देश पारस्परिक सहयोग के जरिए इस संकट से निपटने में सक्षम हैं। भारत और चीन की सरकारों के रुख को देखते हुए युद्ध का कोई खतरा नजर नहीं आता है।
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