TRENDING TAGS :
Adani Group Hindenburg: सेबी ने 2016 से नहीं की अडानी ग्रुप की जांच, SC अब 10 जुलाई को करेगा अधिक समय मांग पर सुनवाई
Adani Group Hindenburg: सेबी ने कोर्ट में कहा कि इसलिए, यह आरोप की सेबी 2016 से अडानी की जांच कर रहा है, निराधार है। इसलिए, मैं कहता हूं और प्रस्तुत करता हूं कि जीडीआर से संबंधित जांच पर भरोसा करने की मांग पूरी तरह से गलत है।
Adani Group Hindenburg: अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच को लेकर सेबी (SEBI) द्वारा अतिरिक्त समय मांगने वाली सुनवाई फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने टाल दी है। इस मामले पर सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई का दिन निर्धारित किया था, जिसको अब टाल दिया गया है। दरअसल, सेबी ने अडानी हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने का समय महंगा था, लेकिन कोर्ट ने छह महीने का समय न देकर 3 महीने का समय देने पर विचार करने के लिए कहा था। हालांकि सुनवाई टलने से सेबी को जांच के लिए 2 महीने का अतिरिक्त समय और मिल गया है। एक वकील ने बताया कि अब ऐसे संकेत हैं कि इस मामले की अगली सुनवाई कोर्ट 10 जुलाई को करेगा।
हालांकि सेबी ने एक याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर सोमवार सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें रखीं। सेबी ने हलफनामे में कहा है कि वह 2016 से अडानी ग्रुप के कम्पनियों की कोई जांच नहीं कर रहा है। यह आरोप निराधार हैं। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 51 भारतीय सूचीबद्ध कंपनियों के खिलाफ जांच की गई, जिनमें से कोई भी अडानी की सूचीबद्ध कंपनियां नहीं थीं। सेबी पर आरोप लगाया था कि वो साल 2016 से जांच कर रही है। सेबी ने विदेशी रेगुलेटर्स से पहली जानकारी ही अक्टूबर 2020 में मांगी है।
सेबी का दाखिल हुआ नया हफनामा
सेबी ने कोर्ट में कहा कि इसलिए, यह आरोप की सेबी 2016 से अडानी की जांच कर रहा है, निराधार है। इसलिए, मैं कहता हूं और प्रस्तुत करता हूं कि जीडीआर से संबंधित जांच पर भरोसा करने की मांग पूरी तरह से गलत है। दरअसल, सेबी ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफनामा दाखिल किया है।इसमें सेबी ने कहा कि याचिका में दिए गए तथ्य सही नहीं हैं।
सेबी जीडीआर की कर रहा था जांच
सेबी ने कहा कि वह 51 सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों द्वारा जारी ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स (जीडीआर) के मुद्दे की जांच कर रहा था और अडानी समूह की कोई सूचीबद्ध फर्म जीडीआर जांच के तहत कंपनियों का हिस्सा नहीं थी। इसलिए याचिकाकर्ताओं के आरोप गलत हैं। आगे कहा कि न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों की जांच के संदर्भ में यह पहले ही 11 विदेशी नियामकों तक पहुंच चुका है।
सेबी ने स्पष्ट किया कि उत्तर हलफनामे में संदर्भित "जांच" का हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित और/या उत्पन्न होने वाले मुद्दों से कोई संबंध और/या संबंध नहीं है। यह आरोप कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) 2016 से अडानी की जांच कर रहा है, तथ्यात्मक रूप से निराधार है। इसलिए, मैं कहता हूं और प्रस्तुत करता हूं कि जीडीआर से संबंधित जांच पर भरोसा करने की मांग पूरी तरह से गलत है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में संदर्भित 12 लेन-देन हैं जटिल
सेबी के अनुसार, नियामक से पहला अनुरोध 6 अक्टूबर, 2020 को किया गया था। इसने नोट किया कि विशेषज्ञ समिति को उठाए गए कदमों, प्राप्त जानकारी, विदेशी नियामकों के साथ किए गए अनुरोधों की स्थिति पर एक विस्तृत नोट प्रस्तुत किया गया है। इसने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में संदर्भित 12 लेन-देन अत्यधिक जटिल हैं, जो कई न्यायालयों में उप-लेनदेन से बना है और निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले एक विश्लेषण किया जाना चाहिए।
छह महीने का मांगा था वक्त
सेबी अडानी हिंडनबर्ग के मामले की जांच कर रहा है। सेबी की ओर से जांच को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से छह महीने का और वक्त मांगा था। लेकिन 12 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अडानी समूह द्वारा शेयर की कीमत में हेरफेर के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए सेबी को तीन महीने का और समय देने पर विचार कर सकता है। आगे शीर्ष अदालत ने कहा कि यह पता लगाना है कि क्या कोई नियामक विफलता थी कि उसने एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी जिसकी रिपोर्ट उसे मिल गई है।
याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने किया था आगाह
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से पेश एक वकील को आगाह करते कहा कि अदालत ने सेबी की ओर से किसी नियामक नाकामी के बारे में कुछ नहीं कहा है। आरोप लगाते समय आप सावधानी बरतें। आप जो भी आरोप लगाते हैं, वह शेयर बाजार की स्थिरता और अस्थिरता को प्रभावित करता है। यह सभी आपके आरोप हैं और इनकी जांच के लिए समिति का गठन किया गया है।
सुनवाई की पीठ में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं। इन दोनों जस्टिस ने सेबी को अधिक छूट नहीं देने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि उसे कुछ तत्परता दिखानी है और इसे तीन महीने के भीतर पूरा करना है।