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आ गई बचत योजना: इनमें हुए 5 बड़े बदलाव, आपकी जेब पर इसका सीधा असर
केंद्र सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मतलब पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), NSC और सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) जैसी योजनाओं पर पहले की तरह ब्याज मिलता रहेगा।
नई दिल्ली: छोटी-छोटी बचत ही एक दिन बड़ी बचत हो जाती है। हमें इन बचत योजनाओं का लाभ भी उठाना चाहिए। लेकिन सबसे पहले हमें इन योजनाओं के बारे में और इनमें समय-समय पर होने वाले बदलावों के बारे जानना जरूरी है। जैसे सुकन्या, पीपीएफ, राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) समेत अन्य योजनाओं में निवेश करते हैं तो
आर्थिक मामलों के सचिव तरूण बजाज ने दी जानकारी
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मतलब पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), NSC और सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) जैसी योजनाओं पर पहले की तरह ब्याज मिलता रहेगा। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव तरूण बजाज ने इसकी जानकारी दी।
बालिकाओं से जुड़ी बचत योजना सुकन्या समृद्धि योजना
पीपीएफ और एनएससी पर सालाना ब्याज दर क्रमश: 7.1 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत पर बनी रहेगी। पांच साल की वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर ब्याज दर 7.4 प्रतिशत बनी रहेगी। बालिकाओं से जुड़ी बचत योजना सुकन्या समृद्धि योजना पर ब्याज दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 7.6 प्रतिशत पर रहेगी।किसान विकास पत्र पर सालाना ब्याज दर 6.9 प्रतिशत होगी। एक से पांच साल के लिये मियादी जमा पर ब्याज दर 5.5 से 6.7 प्रतिशत के दायरे में होगी। वहीं पांच साल के लिये आवर्ती जमा पर ब्याज दर 5.8 प्रतिशत रखी गई है।
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बिलेटेड ITR कहते
अगर आप किसी साल ITR भरना भूल जाते हैं तो बाद में रिटर्न भर सकते हैं। इसे बिलेटेड ITR कहते हैं। पहले इसे भरने के लिए 2 साल का वक्त मिलता था, लेकिन अब इस पर पेनाल्टी लगा दी गई है। संशोधित या रिवाइज्ड ITR कोई टैक्सगपेयर तब फाइल करता है, अगर उससे ओरिजनल टैक्सन रिटर्न फाइल करते समय कोई चूक हो जाती है। इसमें डिडक्शन का क्लेथम भूल जाना, इनकम या बैंक अकाउंट इत्यायदि को रिपोर्ट न करने जैसी गलतियां शामिल हैं। इसे लेकर सरकार ने बड़ा फैसला किया है।
इनकम टैक्स रिटर्न की डेडलाइन को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020
अगर आपने अबतक अपना रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न (Revised ITR) या बिलेटेड रिटर्न (Belated ITR) नहीं भरा है तो आपके पास एक और मौका है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसकी डेडलाइन को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया है। पहले ये डेडलाइन 30 सितंबर को खत्म हो चुकी थी। यानी अब वित्तक वर्ष 2019-20 और वित्तह वर्ष 2018-19 दोनों के लिए ही ITR दाखिल करने की सीमा 30 नवंबर, 2020 हो गई है, हालांकि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए समयसीमा को पहले ही बढ़ा दिया गया था।
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हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में बड़ा बदलाव
आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में बड़ा बदलाव हो गया है। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDAI) द्वारा जारी गाइडलाइंस के मुताबिक, प्रीमियम का भुगतान किस्तों में किया जा सकता है- हाफ-ईयरली, क्वाटरली या मंथली। अगर आपको 12 हजार का सालाना प्रीमियम देना है, तो आप अब इसे साल में नियमि अंतराल पर किस्तों में कर सकते हैं।आठ लगातार साल पूरे होने के बाद, हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को नकारा नहीं जा सकता है, सिवाए अगर कोई फ्रॉड सिद्ध हो और कोई परमानेंट अपवाद पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट में बताया गया हो।
जेनेटिक बीमारियों को अब कवर किया जाएगा
बीमा कंपनी को किसी क्लेम को आखिरी जरूरी दस्तावेज की रसीद की तारीख से 30 दिन में क्लेम का सेटलमेंट या रिजेक्शन करना होगा। अगर क्लेम के भुगतान में देरी की स्थिति में, बीमा कंपनी को पॉलिसी धारक को आखिरी जरूरी दस्तावेज की रसीद की तारीख से ब्याज देना होगा। यह बैंक रेट से दो फीसदी ज्यादा होगा।रेगुलेटरी बॉडी ने गाइडलाइंस जारी की हैं जो कई बाहर रखी गई बीमारियों पर एक रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत कवर देंगी। इनमें उम्र से संबंधित डिजनरेशन, मानसिक बीमारियां, इंटरनल congenital, जेनेटिक बीमारियों को अब कवर किया जाएगा।
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नियम 1 अक्टूबर 2020 से लागू
केंद्र सरकार (Government of India) ने विदेश पैसे भेजने पर टैक्सe वसूलने से जुड़ा नया नियम बना दिया है। ये नियम 1 अक्टूबर 2020 से लागू हो गया है। ऐसे में अगर आप विदेश में पढ़ रहे अपने बच्चों के पास पैसे भेजते हैं या किसी रिश्तेरदार की आर्थिक मदद करते हैं तो रकम पर 5 फीसदी टैक्स कलेक्टेपड एट सोर्स का अतिरिक्ती भुगतान करना होगा।
2.5 लाख डॉलर सालाना तक भेजने पर कोई टैक्स नहीं
फाइनेंस एक्ट, 2020 (Finance Act 2020) के मुताबिक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की लिबरलाइज्डक रेमिटेंस स्कीनम (LRS) के तहत विदेश पैसे भेजने वाले व्यकक्ति को टीसीएस देना होगा। बता दें कि एलआरएस के तहत 2.5 लाख डॉलर सालाना तक भेज सकते हैं, जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता। इसी को टैक्स के दायरे में लाने के लिए टीसीएस देना होगा।
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बैंक में धोखाधड़ी के मामले
बैंक में धोखाधड़ी के मामले बढ़ने के साथ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड को सुरक्षित करने के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। (1) आपके कार्ड पर अब सिर्फ घरेलू ट्रांजैक्शन ही चालू होगी। लेकि ऐसा नहीं है कि अगर आप विदेश जाएंग तो आपका कार्ड नहीं चलेगा। इसके लिए आपको अपने बैंक से मंजूरी लेनी होगी। (2) इस्तेमाल नहीं करने पर कार्ड डिसेबल-ऑनलाइन पेमेंट सर्विस को डिसेबल करने को कहा है जिन्हें कभी भी भारत या अंतरराष्ट्रीय तौर पर कभी भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। (3) ट्रांजैक्शन लिमिट तय कर सकेंगे।
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