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सोने की ज्‍वेलरी या सिक्कों से अब यूं करें ढेर सारी कमाई, होगा फायदा

वैसे अगर आपके पास सोना कमाई से ज्‍यादा है तो ऐसी स्थिति में आपको प्रॉपर्टी टैक्स ज्यादा देना पड़ेगा। हालांकि, गोल्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम (R-GDS) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यही नहीं, इस योजना में किसी तरह का पूंजीगत लाभ टैक्स या इनकम टैक्स भी लागू नहीं है।

Manali Rastogi
Published on: 13 Aug 2019 4:33 AM GMT
सोने की ज्‍वेलरी या सिक्कों से अब यूं करें ढेर सारी कमाई, होगा फायदा
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सोने की ज्‍वेलरी या सिक्कों से अब यूं करें ढेर सारी कमाई, होगा फायदा

नई दिल्ली: सोने की ज्‍वेलरी या सोने के सिक्कों को घर पर रखने से अब कोई फायदा नहीं है। दरअसल, अब आप ज्‍वेलरी और सिक्कों को अपनी कमाई का जरिया बना सकते हैं। ऐसा नहीं बल्कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) कह रहा है। जी हां, अब आप ज्‍वेलरी और सिक्कों से कमाई कर सकते हैं।

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दरअसल, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक स्कीम है, जिसका नाम गोल्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम (R-GDS) है। इस स्कीम के तहत आपको सोने की ज्‍वेलरी और सिक्कों न सिर्फ मोटा ब्याज मिलेगा बल्कि इसके साथ आपको और भी कई फायदे मिलेंगे। यही नहीं, बैंक आपको SBI ज्‍वेलरी या सोने की शुद्धता के आधार पर सोने का जमा प्रमाण पत्र भी देगा।

जमा अवधि खत्‍म होने पर मिलेगा सामान

इसके साथ ही, जब आपको जमा अवधि खत्‍म हो जाएगी, तब बैंक 3, 4, 5 या 6 साल बाद उस सोने को या तो गोल्ड के रूप में या फिर कैश के रूप में आपको वापस कर देगा। अगर आप कैश लेते हैं तो बैंक आपको कैश के रूप में ब्‍याज के साथ उस समय के दाम के हिसाब से पैसा देगा।

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इस स्कीम से बैंक को तो फायदा है ही लेकिन इससे ग्राहकों को भी फायदा है। सोना बैंक में जमा कराने से आपको ब्याज तो आएगा ही साथ में आपको सोना चोरी होने की टेंशन भी नहीं रहेगी। एसबीआई की वेबसाइट पर इस स्कीम की ज्यादा जानकारी दी गयी है।

30 ग्राम सोना जमा करना जरूरी

जानकारी के अनुसार, भारत में रहने वाला कोई भी व्यक्ति इस स्कीम में शामिल हो सकता है। सिंगल, जाइंट अकाउंट भी खुलवाया जा सकता हैं। साथ ही, एचयूएफ, पार्टरशिप फर्म भी इसमें निवेश कर सकती हैं। इस स्कीम के तहत 30 ग्राम सोना जमा करना अनिवार्य है, ज्यादा की कोई लिमिट नहीं है।

ब्याज दर पर लगेगी पैनल्टी

एक साल के तय समय से पहले पैसा निकालने पर ब्याज दर पर पैनल्टी लगेगी। वहीं, मीडियम टर्म वाली अवधि में निवेशक 3 साल के बाद स्कीम से बाहर हो सकते हैं। लॉन्ग टर्म वाली स्कीम से 5 साल के बाद ही बाहर निकला जा सकता हैं। इन अवधी के बीच में पैसा निकाला तो पैनल्टी लगेगी।

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बैंक की दिल्ली में पीबीबी ब्रांच, SME ब्रांच चांदनी चौक, कोयम्बटूर ब्रांच, हैदराबाद की मेन ब्रांच, मुंबई की बुलियन ब्रांच में इसका फायदा उठाया जा सकता है। इस स्कीम में 1-3 साल के लिए जमा किया जाता है।

शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (STBD) है स्कीम का नाम

एसबीआई में इस स्कीम का नाम शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (STBD) रखा हैं। वहीं, मीडियम और लॉन्ग टर्म के लिए जमा अवधि 5-7 और 12-15 साल है। STBD स्कीम में फिलहाल एक साल के लिए 0.50 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है।

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दो साल के लिए 0.55 फीसदी और तीन साल के लिए 0.60 फीसदी है। वहीं, लॉन्ग टर्म यानी 5-7 साल के लिए 2.25 फीसदी/सालाना ब्याज मिलेगा। 12-15 साल के लिए 2-5 फीसदी/सालाना का ब्याज मिलेगा।

गोल्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम से लोन में फायदा

आप SBI की किसी भी शाखा में गोल्‍ड के मौलिक मूल्य के 75 प्रतिशत तक रुपये के ऋण का लाभ उठा सकते हैं। यानी आपको एसबीआई की गोल्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम से लोन में भी फायदा मिलेगा।

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लॉकर में रखे सोने में आपको कुछ नहीं मिलता है। तो वहीं निष्क्रिय सोना यानी की बहुत दिनों से घर पर पड़े हुए सोने पर आपको ब्‍याज भी मिलेगी। एसबीआई गोल्ड डिपॉजिट स्कीम के अंतर्गत, ब्याज, गोल्ड मुद्रा में गणना की जाती है और रुपये के बराबर में भुगतान किया जाता है।

टैक्स में मिलती है छूट

जब आपकी सोना जमा योजना परिपक्व होती है, तो आप मौजूदा दरों पर रिडीम करते हैं, जिसका मतलब है कि सोने की कीमतों में इजाफा हुआ है, तो आप लाभ हासिल कर सकते हैं। आप इसे लॉकर में रखे सोने की कीमत से तुलना करें आपको यहां पर डिपॉजिट स्‍कीम में ब्‍याज मिलेगा लेकिन लॉकर में रखे सोने पर नहीं मिलेगा।

वैसे अगर आपके पास सोना कमाई से ज्‍यादा है तो ऐसी स्थिति में आपको प्रॉपर्टी टैक्स ज्यादा देना पड़ेगा। हालांकि, गोल्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम (R-GDS) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यही नहीं, इस योजना में किसी तरह का पूंजीगत लाभ टैक्स या इनकम टैक्स भी लागू नहीं है।

Manali Rastogi

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