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Dhan Ki Sabse Acchi Variety: किसान होंगे मालामाल! धान का यह बीज लगाएं अपने खेतों में, लहरा उठेगी फसल और मुनाफा होगा डबल
Dhaan ki Variety: अगर आप थोड़ी समझदारी दिखा दें तो धान की अधिक पैदावारी कर आप मालामाल हो सकते हैं। समझदारी यह है कि किसान बाजार की मांग को देखते हुए धान की फसल तैयार करे और धान की बीज आपके खेत के अनुकूल हो।
Dhan Ki Sabse Acchi Variety: जब से किसान (खेतीहर) परंरागत खेती तकनीकि विधि का उपयोग करने लगा है, तब के खेती मुनाफे का सौदा बना गया है। आज का किसान अधिक महंगी वाली खेती को छोड़ दें तो परंपरागत खेती से भी अच्छी आमदनी कर रहा है। हालांकि किसानों को यह बात याद रखना चाहिए कि खेती में तकनीकि से अधिक फसलों को किस्में पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इस पर पैदावारी टिकी होती है। एक गलत फसलों की किस्म आपकी पूरी करी कराई मेहनतन पर पानी फेर सकती है। इसलिए हमेशा जब कोई फसल की बोआई करें तो यह ध्यान कि आपके खेती की मिट्टी और वातारण के हिसाब से ही बोने वाली फसल की किस्म हो, ताकि आपके खेत से फसलों की अधिक पैदावारी हो सके और अधिक लाभ मिले।
धान लगाने के लिए किसान इन बातों का दे ध्यान
इस वक्त खरीफ का सीजन चल रहा है। इस खरीफ के सीजन किसान भाई सबसे अधिक धान यानी चावल की फसल करते हैं। खेतों में धान की बेड तैयार हो रही हैं, कई जहगों पर किसी बेडें लगा दी गई हैं तो कई जहगों पर इसकी तैयारी की जा रही है। अगर आप किसान हैं और धान की खेती के लिए बेड की तैयारी कर रहे हैं तो बहुत ध्यान से यह बेड खेत में बोएं। कहीं ऐसा न हो कि आप अपने खेती की क्षमता के हिसाब से बेड न लगा रहें हैं और बाद में धान का एक बीधा में औसत उत्पादन सोचे हों, वह उतना ना हो। इस समय अगर आप थोड़ी समझदारी दिखा दें तो धान की अधिक पैदावारी कर आप मालामाल हो सकते हैं। समझदारी यह है कि किसान बाजार की मांग को देखते हुए धान की फसल तैयार करे और धान की बीज आपके खेत के अनुकूल हो। तो आए जानते हैं कि धान उत्तम किस्में के बारे में...।
यह हैं बाजार में अधिक मांग वाले धान
देश में चावल की सबसे खपत दक्षिण राज्यों में होती है, क्योंकि यहां के लोगों के लिए चावल सबसे प्रिय भोजना होता है। इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों में भी धान की पैदावारी की जाती है। बाजार में धान की कई उन्नत किस्में मौजूद हैं, किसान बाजार की मांग के हिसाब से इन किस्मों का चुनाव कर सकता है। आईये डालतें हैं इन किस्मों पर एक नजर...।
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पूसा – 1460
यह बासमती धान वाली किस्म है। इसके पैदा हुए चावल लंबे, वजन और स्वादिष्ट होते हैं। पूसा 1460 किस्म 130-135 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी औसत पैदावार 25 से 30 क्विंटल बताई गई है। इस फसल को उत्तर प्रदेश में भी तैयार होती है।
पूसा सुगंध-3
यह किस्म भी बासमती धान की है। इसकी भी तैयार होने की अवधि 130-135 दिन है। इसकी पैदावार एकड़ में 30 से 35 क्विंटल होती है। उत्तर प्रदेश में भी इसकी खेती की जाती है।
डब्लू.जी.एल.-32100
यह धान की अच्छी किस्म है। यह सीजन के बीच में तैयार हो जाती है। इसके दाने छोटे और पतले होते हैं। यह 125-130 में तैयार होती है। प्रति एकड़ 55 से 60 क्विंटल पैदावारी होती है।
आईआर-36
यह भी धान की किस्म होती है। यह किस्म सूखाबर्दाश्त करती है। इसकी तैयार होने की अवधि 115-120 दिन है। इसकी पैदावार 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस फसल को कम पानी वाले स्थान में तैयार की जाती है। जहां ज्यादा बारिश न हो।
आई.आर.- 64
यह सीजन के बीच में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी पैदावार 50-55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। इसकी तैयार होने की अवधि 125-130 दिन होती है।
एनडीआर 359
यह जल्दी तैयार होने वाली किस्म है। एनडीआर 359 115 दिन से लेकर 120 दिन में तैयार हो जाती है। इसका धान बोना होता है। इन धान की पैदावार 50 से 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है।
सीएसआर-10
धान की सीएसआर-10 बोनी किस्म की फसल होती है। यह 120 से 125 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
जया धान
इस किस्म का धान कम लंबाई में सबसे अधिक होता है। यह 120 से 130 दिन में तैयार हो जाती है। जया धान की पैदावारी पूरी भारत में करीब हर राज्य में की जाती है।
जानें अपने खेतों की स्थिति के हिसाब से धान किस्में
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) कानपुर के एक प्रोफेसर का कहना है कि किसानों को खेती की स्थिति के हिसाब से धान के किस्मों को लगाना चाहिए। अगर किसी किसान का खेत असिंचित दशा में हो तो उसे नरेन्द्र-118, नरेन्द्र-97, साकेत-4, बरानी दीप, शुष्क सम्राट व नरेन्द्र लालमनी किस्म का उपयोग करना चाहिए। वहीं, सिंचित दशा में पूसा-169, नरेन्द्र-80, पंत धान-12, मालवीय धान-3022, नरेन्द्र धान-2065 और बीच सीजन में तैयार होने वाली पंत धान-10, पंत धान-4, सरजू-52, नरेन्द्र-359, नरेन्द्र-2064, नरेन्द्र धान-2064, पूसा-44, पीएनआर-381 प्रमुख किस्मों को लगाना चाहिए, जबकि कोई किसान ऊसरीला खेत में धान लगा रहा हो तो उसको नरेन्द्र ऊसर धान-3, नरेन्द्र धान-5050, नरेन्द्र ऊसर धान-2008 व नरेन्द्र ऊसर धान-2009 लगाना चाहिए।