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फ्री कॉल का टाइम खत्म: अभी और महंगे होंगे कॉलिंग और डाटा प्लान
ट्राई कॉल और डेटा के लिए न्यूनतम शुल्क दर तय करने की उद्योग की मांग पर विचार कर सकता है। इससे दूरसंचार उद्योग की वहनीयता सुनिश्चित हो सकेगी। बता दें कि इसके पहले ट्राई ने न्यूनतम शुल्क दर की सीमा तय करने के लिए हस्तक्षेप से इनकार करता रहा है।
नई दिल्ली: एक दौर था जब काल रेट इतना महंगा था कि लोगों को फोन करने के लिए सोचना पड़ता था। फिर वो भी समय आया कि कॉल रेट सस्ता होते होते इतना हो गया कि फ्री कॉल हो गई। लेकिन इस बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने कुछ ऐसा नियम लगा दिया कि कंपनियां अपने कॉल रेट को बढ़ा दी हैं। ऐसे में जल्द ही ऐसा समय आने वाला है कि जब सस्ती कॉल और डाटा का दौर चला जाएगा।
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ट्राई कॉल और डेटा के लिए न्यूनतम शुल्क दर तय करने की उद्योग की मांग पर विचार कर सकता है। इससे दूरसंचार उद्योग की वहनीयता सुनिश्चित हो सकेगी। बता दें कि इसके पहले ट्राई ने न्यूनतम शुल्क दर की सीमा तय करने के लिए हस्तक्षेप से इनकार करता रहा है।
जियो के बाद अन्य कंपनियों को भी शुल्क दरें कम करनी पड़ीं
ट्राई के रुख में यह बदलाव भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील मित्तल द्वारा बुधवार को दूरसंचार सचिव से मुलाकात के बाद आया है। मित्तल ने दूरसंचार सचिव से डेटा के लिए न्यूनतम शुल्क या न्यूनतम दर तय करने की मांग की है। मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो द्वारा नि:शुल्क वॉयस कॉल और सस्ते डेटा की पेशकश से उद्योग में काफी अफरातफरी रही। उसके बाद अन्य कंपनियों को भी शुल्क दरें कम करनी पड़ीं।
ट्राई के चेयरमैन ने कहा, ‘‘दूरसंचार कंपनियों ने हाल में हमें एक साथ लिखा है कि हम उनका नियमन करें। यह पहली बार है। पूर्व में 2012 में मुझे याद है कि उन्होंने शुल्कों के नियमन के टाई के प्रयास का कड़ा विरोध किया था। उनका कहना था कि शुल्क दरें उनके लिए छोड़ दी जानी चाहिए।’’
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उन्होंने कहा कि नियामक तीन सिद्धांतों उपभोक्ता संरक्षण, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उद्योग की वृद्धि पर काम करता है। ट्राई ने पूर्व में दूरसंचार कंपनियों को दरें तय करने की अनुमति दी है और उनके द्वारा हस्तक्षेप के लिए कहे जाने पर ही दखल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया प्रस्ताव
सुप्रीम के 24 अक्टूबर के फैसले में दूरसंचार कंपनियों के सांविधिक बकाए की गणना में गैर दूरसंचार राजस्व को भी शामिल करने के सरकार के कदम को उचित ठहराए जाने के बाद यह प्रस्ताव फिर आया है। इस फैसले के बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अन्य दूरसंचार कंपनियों को पिछले बकाया का 1.47 लाख करोड़ रुपये चुकाना है। ट्राई के चेयरमैन ने बताया कि दूरसंचार कंपनियों ने 2017 में नियामक को न्यूनतम मूल्य तय करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उस समय यह निष्कर्ष निकला था कि यह एक खराब विचार है।
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