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जनता पर तगड़ी मारः महंगा हुआ खाना पीना, ऐसे हुआ व्यापारियों को फायदा

ईंधन और बिजली के दाम में गिरावट रही जबकि खाद्य पदार्थ महंगे हुए। इससे पिछले महीने यानी मई में थोक मुद्रास्फीति 3.21 प्रतिशत घटी थी।

Newstrack
Published on: 14 July 2020 11:59 AM GMT
जनता पर तगड़ी मारः महंगा हुआ खाना पीना, ऐसे हुआ व्यापारियों को फायदा
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नई दिल्ली: कोरोना संकट के काल में खाने-पीने की वस्तुओं का मूल्य जहां बढ़ गया है। तो वहीं मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (WPI) सालाना आधार पर जून 2020 में 1.81 प्रतिशत घट गई। इस दौरान ईंधन और बिजली के दाम में गिरावट रही जबकि खाद्य पदार्थ महंगे हुए। इससे पिछले महीने यानी मई में थोक मुद्रास्फीति 3.21 प्रतिशत घटी थी।

वार्षिक मुद्रास्फीति जून 2020 में 1.81 प्रतिशत घटी

जून की गिरावट कुछ कम हुई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की यहां जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के मासिक आंकड़ों पर आधारित वार्षिक मुद्रास्फीति जून 2020 में 1.81 प्रतिशत घटी है। एक साल पहले इसी माह में यह 2.02 प्रतिशत ऊपर थी।’

ईंधन और बिजली समूह के सूचकांक में 13.60 प्रतिशत की गिरावट

वहीं खाद्य जिंसों में जून माह के दौरान मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 2.04 प्रतिशत रही। इससे पिछले महीने यह 1.13 प्रतिशत रही थी। ईंधन और बिजली समूह के सूचकांक में 13.60 प्रतिशत की गिरावट रही। हालांकि इससे पिछले महीने मई में इस समूह में 19.83 प्रतिशत की गिरावट थी।

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विनिर्मित उत्पादों की यदि बात की जाये तो जून में इनकी मुद्रास्फीति 0.08 प्रतिशत रही जबकि मई में इनमें 0.42 प्रतिशत की गिरावट आई थी। बहरहाल, मंत्रालय ने कहा है कि अप्रैल की डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 1.57 प्रतिशत रही है।

खुदरा महंगाई ने छूए आसमान

इससे पहले सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य पदार्थ महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 6.09 प्रतिशत पर पहुंच गई। पिछले महीने में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 7.87 प्रतिशत हो गई। पिछले साल जून महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 3.18 प्रतिशत थी।

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सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि मुद्रास्फीति का आंकड़ा कोरोना वायरस महामारी के कारण पाबंदियों की वजह से सीमित संख्या में बाजारों से एकत्रित आंकड़ों पर आधारित है।

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