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कोरोना की तीसरी लहरः रोकना संभव, देश के शीर्ष वैज्ञानिक ने बताई बड़ी बात
कोरोना की तीसरी लहर को कहीं भी आने से रोका जा सकता है अगर राज्यों में, जिलों में और शहरों में कठोर कदम उठाए जाएं।
भारत में कोरोना की तीसरी लहर को कहीं भी आने से रोका जा सकता है अगर राज्यों में, जिलों में और शहरों में कठोर कदम उठाए जाएं। यह बात केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन ने कही है। श्री राघवन ने अभी हाल में कोरोना की तीसरी लहर का आना लगभग तय बताया था हालांकि इसके लिए कोई तारीख महीना या समय नहीं बताया गया है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि दूसरी लहर के थमने के बाद कहीं अधिक घातक रूप से कोरोना का नया म्यूटेंट हमला कर सकता है। इस बारे में यह भी कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चों और युवाओं को वायरस के निशाना बनाये जाने की संभावना अधिक है।
वैज्ञानिक का कहना कि अगर हम कड़े उपाय अपनाते हैं तो तीसरी लहर को आने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि ये इस बात पर निर्भर करेगा कि स्थानीय स्तर पर राज्यों, ज़िलों और शहरों में हर जगह दिशा—निर्देशों का कितने प्रभावी तरीक़े से पालन होता है। गौरतलब है कि पांच मई को ही विजयराघवन ने ही चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर आना तय है और इसको रोका नहीं जा सकता है। लेकिन व्यापक शोध के बाद अब उनके रुख में यह बड़ी तब्दीली आई है।
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विजयराघवन का कहना है कि जिस तेज़ी से हमारी आबादी में वायरस का संक्रमण फैल रहा है। उसे देखते हुए कोरोना महामारी की तीसरी लहर का आना तय है। हालांकि, ये वैज्ञानिक इस बारे में स्पष्ट नहीं हैं कि तीसरी लहर कब और किस स्तर पर आएगी। अमूमन तीसरी लहर काफी हलकी होती है। लेकिन कोरोना का वायरस जिस तरह से अपना स्वरूप बदल रहा है उसे देखते हुए तीसरी लहर के खतरनाक होने का खतरा बढ़ा गया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कोविड-19 से पहले जितनी भी वायरसजनित महामारियां फैली हैं उनमें तीसरी लहर जरूर आई है और उसके बाद ही वायरस कमजोर पड़ा है। कोविड-19 नया वायरस है और हमें बीमारी की नई लहरों के लिए तैयार रहना चाहिए।
वैज्ञानिक का कहना है कि भारत सहित पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस प्रकार के वायरस के वेरिएंट्स का पूर्वानुमान लगाते हैं और उनके ख़िलाफ़ काम करने के लिए चेतावनी और संशोधित टूल विकसित करके की दिशा में तेज़ी से काम करते हैं। इस वायरस के मुकाबले के लिए भी काम चल रहा है। के विजयराघवन ने कहा कि वर्तमान वैरिएंट्स के ख़िलाफ़ वैक्सीन प्रभावी हैं। नए वैरिएंट भारत के साथ पूरी दुनिया में सामने आएंगे लेकिन अधिक संक्रामक वैरिएंट्स में स्थिरता की संभावना होगी।
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