Dharm Parivartan : धर्मांतरण (Religious Conversion) लंबे समय से होता चला आ रहा है, चाहे वह तलवार के जोर पर हुआ हो या प्रलोभन देकर। प्राचीनकाल में राजा के आदेश पर पूरा का पूरा राज्य धर्मांतरित हो जाता था या मान लिया जाता था। उस समय भी राजा अपना हित लाभ देखता था। और जो कुछ करता था राज्य के लिए करता था। सेवा साफ सफाई, शिक्षा और आर्थिक प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने में ईसाई मिशनरियां सबसे अधिक बदनाम रही हैं। लेकिन तलवार के जोर पर इस्लाम फैलाने वाले कट्टरपंथियों ने अब ईसाई मिशनरियों की राह पकड़ ली है और उनके हथकंडों से धर्मांतरण करा रहे हैं।
धर्मांतरण के मूल में अशिक्षा, गरीबी और बेरोजगारी है जिसे चाहकर भी दूर नहीं किया जा पा रहा है। धर्मांतरण करने वालों का तर्क होता है कि जब हमारे पास खाने को नहीं था तब किसने हमें पूछा। सही भी है कोई किसी को नहीं पूछता। हाल में खुलासा हुआ है कि मूकबधिरों महिलाओं और बेरोजगारों को धर्मांतरण का सबसे आसान शिकार बनाया गया है। ऐसा नहीं है कि धर्मांतरण की फैक्ट्रियों की जानकारी केंद्र सरकार को नहीं है लेकिन सबकुछ जानकर भी सरकार अंजान बनी है।
विदेशों से आतंकी और आपराधिक फंडिंग का खुलासा
2018 में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा को सूचित किया था कि देश में 5800 से अधिक ऐसे एनजीओ हैं, जो विदेशी धन प्राप्त करते हैं, विभिन्न धार्मिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। उन्होंने कहा था कि विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के अनुसार, पंजीकृत एनजीओ पांच उद्देश्यों के लिए विदेशी योगदान प्राप्त कर सकते हैं - सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक।
उन्होंने लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, "वर्तमान में अधिनियम के तहत धार्मिक उद्देश्य के लिए 5,804 एनजीओ पंजीकृत हैं।" रिजिजू ने कहा कि एक धर्म से दूसरे धर्म में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रलोभन या बल के माध्यम से धर्मांतरण के उद्देश्य से एनजीओ की गतिविधियां अधिनियम के तहत प्रतिबंधित हैं।
उन्होंने कहा, "इस तरह के किसी भी उल्लंघन की रिपोर्ट के लिए, एफसीआरए, 2010 के अनुसार चूक करने वाले एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।" गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2016-17 के दौरान कुल 23,176 गैर सरकारी संगठनों को 15,329.16 करोड़ रुपये मिले हैं।
सवाल यह है कि रिजिजू के बयान के बाद अब तक केंद्र सरकार ने कितने एनजीओ की जांच कराई। विदेशों से आने वाले धन का क्या उपयोग है रहा है इसे किसने देखा। मोटे तौर पर 2018 में लगभग 7,800 एनजीओ थे जो सामाजिक उद्देश्यों के लिए काम कर रहे थे और 4,800 एनजीओ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए सक्रिय थे। वर्तमान में इनकी संख्या कहीं अधिक हो चुकी है।
इसी तरह 2017 में धर्मांतरण में शामिल गैर-लाभकारी संगठनों से एक मीडिया हाउस ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पर्दा हटाया था। पीएफआई पर हिंदू महिलाओं का ब्रेनवॉश करने और उनकी शादी मुस्लिम पुरुषों से कराने का आरोप लगा था। वर्तमान में उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा आदि राज्यों में धर्मांतरण पर प्रतिबंध है। लेकिन पीएफआई पर प्रतिबंध आज तक नहीं लगा।
ISI इस्लामिक दावा सेंटर के नाम पर देता है फंड
नये खुलासे के मुताबिक उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के लिए आईएसआई फंड दे रही थी और इस्लामिक दावा सेंटर के नाम पर अलग-अलग देशों से फंड आता था, इनका मुख्यालय नोएडा में था और ये लोग मूक-बधिरों और गरीब लोगों को निशाना बनाते थे।
मिशनरीज दान देती हैं
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुछ एनजीओ को दान देने में मिशनरीज का नाम सबसे ऊपर है। चार एनजीओ को पूरे देश से धर्मांतरण के नाम पर करीब 10,500 करोड़ रुपए तक दिए जाते हैं। यह पैसा अमेरिका, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड्स, स्पेन और इटली से आता है। इस संबंध में अमेरिकी राइटर फिलिप गोल्डबर्ग का कहना है कि इसे धर्मांतरण नहीं बल्कि जबर्दस्ती कहना चाहिए। उनके मुताबिक इससे साफ होता है कि कैसे लोगों पर उनके विश्वास के बजाय सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए दबाव डाला जाता है।
भारत मे धर्मांतरण (Religious Conversion In India) अंतराष्ट्रीय साजिश
कुछ लोगों का कहना है कि यह एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है। ये दोनों धर्म धर्मांतरण के जरिए भारत पर फिर से कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। कहा जाता है जिस किसी देश में मुस्लिम आबादी 30-35 फीसद को पार कर गई है, उन्होंने देश के उस हिस्से पर कब्जा कर लिया है। भारत में भी दोनों समुदाय धर्मांतरण सहित हर तरह से अपनी जनसंख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। गरीब और अशिक्षित वर्ग को लुभाने के लिए पैसा खर्च कर रहे हैं।
मुस्लिम और ईसाई समूहों को धन देते हैं खाड़ी देश
तेल समृद्ध खाड़ी देश और यूरोपीय देश भारत में क्रमशः मुस्लिम और ईसाई समूहों को धन देते हैं, लेकिन धन का उपयोग शैक्षिक और आर्थिक विकास के लिए उपयोग किए जाने के बजाय, सांप्रदायिकता फैलाने और धर्मांतरण करने के लिए किया जाता है। यह बात राजस्थान एजुकेशन बोर्ड की कक्षा 12 राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कही गई थी। वास्तव में यह एक बड़ा सवाल है कि आतंकवाद के आरोपों के बीच इस्लाम क्यों दुनिया में सबसे तेजी से फैल रहा धर्म बनता जा रहा है।