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'क्रैकडाउन' से डिजिटल दुनिया में कदम रख रहें हैं अभिनेता अजय सिंह चौधरी

अभिनेता अजय सिंह चौधरी की पहली वेब सीरीज 'क्रैकडाउन' वूट सेलेक्ट पर रिलीज हो चुकी है। ये एक थ्रिलर-ड्रामा वेब सीरीज है जिसमें अजय सिंह ने एक आतंकवादी का किरदार निभाया है। इस वेब सीरीज के द्वारा वो डिजिटल प्लेटफार्म पर करियर शुरू कर चुके हैं।

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Published on: 24 Sept 2020 8:13 PM IST
क्रैकडाउन से डिजिटल दुनिया में कदम रख रहें हैं अभिनेता अजय सिंह चौधरी
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क्रैकडाउन' से डिजिटल दुनिया में कदम रख रहें हैं अभिनेता अजय सिंह चौधरी

शाश्वत मिश्रा

अभिनेता अजय सिंह चौधरी की पहली वेब सीरीज 'क्रैकडाउन' वूट सेलेक्ट पर रिलीज हो चुकी है। ये एक थ्रिलर-ड्रामा वेब सीरीज है जिसमें अजय सिंह ने एक आतंकवादी का किरदार निभाया है। इस वेब सीरीज के द्वारा वो डिजिटल प्लेटफार्म पर करियर शुरू कर चुके हैं। अपूर्व लखिया के निर्देशन में बनी इस वेब सीरीज में उनके साथ साकिब सलीम और इकबाल खान जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में नज़र आएँगे।

पेश है एक्टर अजय सिंह चौधरी से बातचीत का अंश...

क्रैकडाउन में आप किस तरह का किरदार निभा रहे हैं?

क्रैकडाउन में मेरा किरदार एक टेररिस्ट का है। जिसका नाम है हामिद। ये एक डार्क कैरेक्टर है। मेरे करियर में पहली बार ऐसा किरदार निभा रहा हूँ।

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'उतरन', 'फुलवा', 'रिश्तों का चक्रव्यूह' और 'तेनाली रामा' जैसे सीरियल्स का आपकी ज़िन्दगी में क्या रोल रहा है?

अभी तक के करियर में मैंने जितने भी रोल किये हैं, तेनाली रामा भी किया था, तो मेरी खोज यही रहती है कि किरदार में कुछ ऐसा मिल जाए, जिससे हम कुछ अलग कर सकें। इसी चक्कर में नये-नए किरदार निभाए जाते हैं। जीवन में अच्छे-अच्छे लोगों के साथ काम करने का मौका मिला, जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। अभी भी ये किरदार निभाते हुए काफी मुश्किलें हुई, क्योंकि टेररिस्ट का किरदार निभाना भी कोई आसान काम नहीं है। हमें नहीं पता होता है कि वो लोग किस तरह सोचते हैं, उनको कैसी तालीम दी जाती है, किस तरह का माइंड होता है, इसलिए यहाँ भी (क्रैकडाउन) काफी तैयारी करनी पड़ी।

आपकी इस वेब सीरीज के डायरेक्टर हैं अपूर्व लखिया, जिन्होंने 'शूटआउट एट लोखंडवाला', 'एक अज़नबी', 'हसीना पारकर' और 'ज़ंजीर' जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है. उनके साथ काम करके आपको कैसा लगा?

अपूर्व लखिया जी से सबसे पहली चीज जो सीखने को मिली है, वो है जिस तरीके से वो अपने एक्टर्स के साथ रहते हैं, उनका ख़्याल रखते हैं, अभिनय करने का भरपूर रूप से मौका देते हैं। वो बहुत डाउन टू अर्थ इंसान हैं। बहुत प्यारे हैं।

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आपके शहर का आपकी ज़िन्दगी में क्या रोल रहा है?

हमारे शहर ने हमको बोली, भाषा, संस्कार, आचरण दिए हैं। बचपन में हालांकि हम कहीं जगह रहे हैं, क्योंकि मेरे पिता इंडियन आर्मी में थे। जिससे हम घूमते ही रहे। लेकिन, मेरठ और गाज़ियाबाद ज्यादातर समय रहे हैं। वहां पढाई भी ज़्यादा हुई है।

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एक्टिंग की तरफ रुझान कैसे आया?

एक्टिंग मैंने ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन से की। इससे पहले मैं मेडिकल की तैयारी कर रहा था। लेकिन, फिर वो (मेडिकल) करने का मन न किया और एक्टिंग की तरफ रुझान पहले से था, तो मुंबई चले गए पोस्ट ग्रेजुएशन करने। यहाँ मुंबई यूनिवर्सिटी से एक्टिंग में तालीम ली। फिर, लोगों से मिलना-जुलना शुरू किया। भगवान की दया से ज्यादा स्ट्रगल नहीं करना पड़ा। पहला रोल अनुराग बासु के एक शो में मिला। उसके बाद गाडी चल पड़ी। यही सोच थी कि बस सीखना है, सीखना है, तबसे सीख ही रहा हूँ।

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आपके माता-पिता का आपकी ज़िन्दगी में कैसा रोल रहा है? कुछ मार सहनी पड़ी या फिर ख़ामोशी ने सारी बातें समझा दीं?

मेरे पिता आर्मी में थे, अभी तो रिटायर हो चुके हैं। माता हाउसवाइफ हैं। लेकिन, हाँ... उन्होंने हर तरीके से हमें सपोर्ट किया है। हर तरीके से हमको आज़ादी दी है। हम अपना करियर खुद चुन सकें, इसके लिए भी उन्होंने हमें आज़ादी दी। बाकी, बहुत बड़ा रोल रहता है माता-पिता का। मेरे भी जीवन में बहुत महत्व है।

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