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फिल्म की आयशा मरने के बाद भी करोड़ों लोगों के दिलों में है जिंदा
बॉलीवुड और हॉलीवुड की मशहुर एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा करीब 2 साल की बॉलीवुड में फिल्म फिल्म 'द स्काई इज पिंक' से वापसी कर रही है। इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो गया है। दर्शकों को इसका ट्रेलर काफी पसंद आया है। इस फिल्म में प्रियंका एक ऐसी बच्ची की मां को किरदार निभा रही हैं, जो एक जानलेवा बीमारी से जिंदगी की जंग लड़ रही है।
मुंबई: बॉलीवुड और हॉलीवुड की मशहुर एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा करीब 2 साल की बॉलीवुड में फिल्म फिल्म 'द स्काई इज पिंक' से वापसी कर रही है। इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो गया है। दर्शकों को इसका ट्रेलर काफी पसंद आया है। इस फिल्म में प्रियंका एक ऐसी बच्ची की मां को किरदार निभा रही हैं, जो एक जानलेवा बीमारी से जिंदगी की जंग लड़ रही है। उनके बेटी का रोल जायरा वसीम कर रही हैं, जो आयशा का किरदार निभा रही हैं।
आयशा एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो सचमुच में ही इस जिंदगी की सबसे बड़ी नायिका थी। मात्र 18 साल की उम्र में एक जानलेवा बीमारी से लड़ते हुए इस दुनिया को अलविदा कह गई। लेकिन आयशा बताई हुई बातें आज भी करोड़ों लोगों को जिंदगी जीने का हौसला देती है। आज भी इस बहादुर लड़की के वीडियोज लोगों के लिए एक मजबूत स्तंभ की तरह काम आ रहे है।
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असल जिंदगी की नायिका आयशा चौधरी
27 मार्च 1996 का वो हसीन पल जब दिल्ली के नीरेन और अदिति चौधरी के घर एक बच्ची का जन्म हुआ। उस बच्ची के आने से घर में खुशियां छा गई। अपनी इस प्यारी सी बेटी का नाम उन्होंने आयशा रखा। लेकिन शायद भगवान से इनकी खुशी देखी नहीं गयी और कुछ ऐसा हुआ कि नीरेन और अदिति की जिंदगी थम सी गई। आयशा को जन्म के समय से ही SCID (Severe Combined Immuno-Deficiency) नामक बीमारी ने घेर लिया। आयशा जब 6 महीने की हुई, तब उसका बोन मैरो ट्रांसप्लाट करना पड़ा।
आयशा की बीमारी का अभी अंत नही हुआ था। जन्म से लेकर आखिरी पलों तक वो एक साथ कई बीमारियों से बच्ची जिंदगी की जंग लड़ती रही, लेकिन चेहरे पर अपनी बीमारी की कोई शिकन तक नही आने दी, और हंसते मुस्कुराते हुए सब कुछ बर्दाश्त करती रही । आयशा जब 13 साल की हुई तो उसे pulmonary fibrosis नाम की बीमारी हो गई, लेकिन आयशा ने अपनी बीमारी के आगे कभी हार नहीं मानी। और बहुत कम उम्र में ही आयशा ने TEDx, INK जैसे प्लेटफॉर्म पर बोलना शुरू कर दिया।
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टाइम के साथ-साथ बीमारी आयशा पर भारी पड़ गयी
टाइम के साथ-साथ बीमारी आयशा पर भारी पड़ती जा रही थी और आखिर में एक दिन ऐसा आया की जब वो बिस्तर पर पड़ गई। और उसका घर से निकलना मुश्किल हो गया। फिर भी बीमारी को उसने अपनी कमजोरी नही बनने दिया। जिंदगी के आखिरी कुछ महीने में उसने किताबें लिखना शुरू कर दिया। आयशा ने अपने जीवनी के इन आखिरी सिर्फ 5 महीने में ही अपनी किताब My Little Epiphanies पूरी कर ली। आयशा ने किताब में ऐसे शब्द लिखे जिसको पढ़ने के बाद दुनिया भर के लोगों ने तारीफ करने लगे।
आयशा की किताब जयपुर लिक्टेचर फेस्टिवल में लॉन्च हुई और अपनी किताब के लॉन्च होने के बाद 24 जनवरी 2015 को आयशा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। भले ही आयशा आज हमारे बीच नही है। लेकिन उनकी बातें आज भी लोगों के अंदर जीने का जज्बा जगाती हैं और जल्द ही उसकी जिंदगी की कहानी हम पर्दे पर देखने वाले हैं।