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हिंदी सिनेमा की मां दीना पाठक, इन फिल्मों में चुलबुले अंदाज़ से जीता सबका दिल

बॉलीवुड इंडस्ट्री की ऐसी एक मां जिसने अपने चुलबुले अंदाज़ से सभी का दिल जीता। जिसके चलते वह दर्शकों का दिल जीतने में हर बार कामयाब रही।

Monika
Published on: 4 March 2021 7:01 AM GMT
हिंदी सिनेमा की मां दीना पाठक, इन फिल्मों में चुलबुले अंदाज़ से जीता सबका दिल
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हिंदी सिनेमा की ऐसी मां जिसके चुलबुले अंदाज़ ने दर्शकों का दिल जीता

मुंबई: बॉलीवुड इंडस्ट्री की ऐसी एक मां जिसने अपने चुलबुले अंदाज़ से सभी का दिल जीता। अभिनेत्री दीना पाठक ने मां से दादी तक का किरदार अलग ढंग से निभाया। जिसके चलते वह दर्शकों का दिल जीतने में हर बार कामयाब रही। दीना पाठक के जन्मदिन पर आइए जानतें है उनसे जुडी कुछ ख़ास बातें।

इंडस्ट्री में अलग ही छाप छोड़ा

अभिनेत्री दीना पाठक का जनम 4 मार्च 1922 को गुजरात के अमरेली में हुआ था। दीना ने पर्दे पर मां का किरदार निभा अलग ही छाप छोड़ा। दीना ने अपने अभिनय से सभी को भावुक भी किया और खूब हंसाया भी।

आपको बता दें, कि दीना पाठक एक एक्टिविस्ट और भारतीय महिला फेडरेशन की अध्यक्ष थीं। उन्हें आज भी फिल्म गोलमाल और खुबसूरत में अपनी यादगार भूमिकाओं के लिए याद किया जाता हैं। दीना ने फिल्म कोशीश,उमराव जान, मिर्च मसाला और मोहन जोशी हाज़िर हो जैसी फ़िल्मों में दमदार भूमिका निभाई।

कपड़े डिजाइन करते थे दीना के पति

पर्सनल लाइफ कि बात करें तो दीना की शादी बलदेव पाठक से हुई। वह मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास कपड़े सिलने की दुकान चलाते थे। बलदेव पाठक, राजेश खन्ना और दिलीप कुमार के कपड़े डिजाइन करते थे। उन्होंने ही राजेश खन्ना के लिए 'गुरु कुर्ता' और ऐसे अन्य कपड़े डिजाइन किए थे।

हालांकि, बलदेव की दूकान ज्यादा समय तक ना चल सकी. जैसे जैसे राजेश खन्ना की फिल्में फ्लॉप होने लगीं तो इसका असर बलदेव की दुकान पर पड़ने लगा और एक वक्त ऐसा आया जब उनकी दुकान बंद हो गई। 52 साल की उम्र में बलदेव का निधन हो गया। निधन के बाद दीना की जिंदगी में उनकी दो बेटियां रह गईं रत्ना पाठक शाह और छोटी बेटी सुप्रिया पाठक जो आज अभिनय की दुनिया में जाना-माना नाम हैं।

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ऐसे भी निभाए रोल

लेकिन इन सबके बावजूद दीना ने कभी हार नहीं मानी। वह अपन काम में लगी रही , जिसके चलते वह हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाने में सफल रही। दीना ने अपनी करियर कि सुरुआत फिल्म 'उसकी कहानी' से की थी। इसके बाद वो 'सात हिंदुस्तानी' और 'सत्यकाम' में नजर आईं। साल 1972 में आई फिल्म 'कोशिश' में उन्होंने गूंगी बहरी लड़की आरती जिसका किरदार जया भादुड़ी ने निभाया था वो उनके मां के रोल में नजर आईं थी। इसके बाद साल 1975 में आई फिल्म 'मौसम' और 1977 की फिल्म 'किताब और किनारा' में वो सशक्त भूमिका में नजर आईं।वही फिल्म 'खूबसूरत' और 'गोलमाल' में वो एक कड़क मां के किरदार में नजर आई।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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