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कंगना पर कार्रवाई से फूटा गुस्सा, कहीं शिवसेना का ही डिमॉलिशन न शुरू हो जाए
मुंबई की तुलना पीओके से कर और मूवी माफिया से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगने की बात कहकर शिवसेना के निशाने पर आई कंगना के आशियाने पर बुलडोजर चलाने के बाद महाराष्ट्र कि उद्धव सरकार में साझीदार एनसीपी और कांग्रेस दोनों ने आंखें तरेरी हैं।
अंशुमान तिवारी
मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के बांद्रा स्थित बंगले पर कुछ हिस्सों पर बुलडोजर चलाने का दांव शिवसेना के लिए उल्टा पड़ता दिख रहा है। मुंबई की तुलना पीओके से कर और मूवी माफिया से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगने की बात कहकर शिवसेना के निशाने पर आई कंगना के आशियाने पर बुलडोजर चलाने के बाद महाराष्ट्र कि उद्धव सरकार में साझीदार एनसीपी और कांग्रेस दोनों ने आंखें तरेरी हैं।
दोनों पार्टियों का कहना कि महाराष्ट्र सरकार का यह कदम गैर जरूरी कार्रवाई था और बदले की राजनीति करने की उम्र बहुत छोटी होती है। माना जा रहा है कि कंगना के खिलाफ इस कार्रवाई के देशव्यापी विरोध के बाद महाराष्ट्र सरकार के लिए भी मुसीबतों की शुरुआत हो सकती है। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने तो यहां तक कह दिया कि कहीं एक ऑफिस के चक्कर में शिवसेना का ही डिमॉलिशन न शुरू हो जाए।
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बीएमसी की कार्रवाई पर इसलिए उठे सवाल
दरअसल इस पूरे प्रकरण में बीएमसी सवालों के घेरे में फंस गई है। महाराष्ट्र कोरोना के मामले में देश में नंबर एक पर है और अभी भी वहां कोरोना के संक्रमण की रफ्तार काफी तेज है। जहां तक मुंबई का सवाल है तो वहां देश में सबसे ज्यादा केस मिलने के साथ ही सबसे ज्यादा मौतें भी दर्ज की गई हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण पर रोक लगाने की जगह बीएमसी को कंगना के बंगले पर कार्रवाई की इतनी जल्दी क्यों थी, इसे लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं जिसका जवाब बीएमसी को नहीं सूझ रहा है।
बीएमसी के लिए जवाब देना मुश्किल
इसके साथ ही मुंबई देश का ऐसा महानगर है जहां अवैध निर्माणों की काफी बाढ़ है मगर बीएमसी ने इन अवैध निर्माणों से आंखें मूंद रखी हैं मगर कंगना के आशियाने पर कार्रवाई करने में बीएमसी इतना हड़बड़ी में क्यों थी, इस सवाल का जवाब आम लोगों द्वारा ही नहीं बल्कि मीडिया में भी पूछा जाने लगा है। बीएमसी के लिए इस सवाल का जवाब देना भी काफी मुश्किल साबित हो रहा है।
पहले ही था इस बात का अंदेशा
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से कंगना काफी मुखर रही हैं और इसी बीच जब शिवसेना नेता संजय राउत की ओर से उन्हें हरामखोर लड़की कहा गया तो दोनों के बीच आर-पार की जंग शुरू हो गई। उसी समय इस बात का अंदाजा लगाया जाने लगा था कि राज्य सरकार की ओर से कंगना के खिलाफ कोई न कोई कदम जरूर उठाया जाएगा। जब कंगना की ओर से संजय राउत को खुलेआम 9 सितंबर को मुंबई आने और जितना बन पड़े उतना उखाड़ लेने की चुनौती दी गई, तभी यह माना जाने लगा था कि सरकार की ओर से कंगना की घेराबंदी जरूर की जाएगी।
उद्धव ठाकरे पर सीधा निशाना
बीएमसी के इस कार्रवाई के बाद कंगना ने शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा उद्धव ठाकरे। यह वक्त का पहिया है जो हमेशा एक जैसा नहीं रहता। आज मैंने महसूस किया है कि कश्मीरी पंडितों पर क्या बीती होगी। आज मैं देश को वचन देती हूं कि मैं कश्मीर पर भी यह फिल्म बनाऊंगी और अपने देश को जगाऊंगी। मेरे साथ जो हुआ है इसका कोई मतलब है... कोई मायने हैं।
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पवार ने पूछा-क्यों दिया इतना महत्व
कंगना के बंगले पर कार्रवाई के बाद शिवसेना सहयोगी दलों के निशाने पर भी आ गई है। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन में प्रमुख सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने इसे गैर जरूरी पब्लिसिटी करार दिया है। पवार ने कंगना का नाम लिए बिना कहा कि उनके बयानों को अनुचित महत्व दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हम ऐसे बयान देने वालों को अनुचित महत्व दे रहे हैं। हमें देखना होगा कि लोगों पर इस तरह के बयानों का क्या प्रभाव पड़ता है। जहां तक मेरी राय का सवाल है तो हम लोगों के ऐसे बयानों को गंभीरता से नहीं लेते। उन्होंने यह भी कहा कि इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है कि कोई क्या कहता है।
निरूपम ने खड़े किए कई सवाल
बीएमसी की कार्रवाई पर कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। संजय निरुपम ने ट्वीट करते हुए महाराष्ट्र सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने सवाल किया कि कंगना का ऑफिस अवैध था या उसे डिमोलिश करने का तरीका? उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने भी बीएमसी के कार्रवाई को गलत माना और तत्काल इस पर रोक लगा दी।
बदले की राजनीति की उम्र काफी छोटी
निरुपम ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि बीएमसी की पूरी कार्रवाई प्रतिशोध से भरी हुई थी, लेकिन यह ख्याल रखना चाहिए कि बदले की राजनीति की उम्र बहुत छोटी होती है। कहीं एक ऑफिस के चक्कर में शिवसेना का ही डिमॉलिशन न शुरू हो जाए।
कंगना पर बदले वाली कार्रवाई
महाराष्ट्र के मुख्य पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हालांकि कंगना के मुंबई संबंधी बयानों से इत्तेफाक नहीं रखते मगर उन्होंने बीएमसी की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा किसी भी सरकार को बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए और इस पूरे मामले में साफ है कि महाराष्ट्र सरकार बदले की भावना से काम कर रही है।
महाराष्ट्र में ऐसी भावना का सम्मान नहीं
बीएमसी जरूरी काम को छोड़कर कंगना का बंगला गिराने में जुटी हुई है जिससे साफ पता चलता है कि वह बदले की भावना से की जा रही कार्रवाई है। उन्होंने कहा कि किसी ने आप के खिलाफ बात कही और इसलिए अगर आप कार्रवाई करते हैं तो यह कायरता है और बदले की भावना है और महाराष्ट्र में इस तरह की भावना का कोई सम्मान नहीं हो सकता।
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कंगना का नहीं, चीन-पाक का मुंह तोड़े
आरपीआई नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी उसी की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई में कंगना को डरने की कोई जरूरत नहीं है और उनके खिलाफ बीएमसी की ओर से की गई कार्रवाई को कतई जायज नहीं माना जा सकता।
उन्होंने संजय राउत की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप कंगना का मुंह तोड़ने की बात करते हो मगर बेहतर तो यह होगा कि आप चीन और पाकिस्तान का मुंह तोड़ें। एक महिला के खिलाफ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल सही नहीं माना जा सकता।
उद्धव सरकार का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी महाराष्ट्र सरकार के रवैये को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कंगना को हिमाचल की बेटी बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने उनके खिलाफ प्रतिशोध और बदले की भावना से कार्रवाई की है।
उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में हम सभी अपने हिमाचल की बेटी के साथ खड़े हैं। कंगना के वकील ने भी बीएमसी की कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा कि बीएमसी की ओर से अवैध निर्माण का झूठा आरोप लगाया जा रहा है।
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