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जन्मदिन विशेष: बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे चेतन आनंद, बनाई थी ये यादगार फिल्में
फिल्म निर्माता और निर्देशक चेतन आनंद ऐसे परिवार से थें जिसमे उनके दोनो भाई भी फिल्मी दुनिया में अभिनेता होने के साथ ही फिल्म निर्माण के क्षेत्र थें। देव आनंद और विजय आनंद उनके भाई थें। चेतन आनंद ने भाई देव आनन्द के साथ मिलकर साल 1949 में नवकेतन फिल्म्स की नींव रखी थी।
मुम्बईं। फिल्म निर्माता और निर्देशक चेतन आनंद ऐसे परिवार से थें जिसमे उनके दोनो भाई भी फिल्मी दुनिया में अभिनेता होने के साथ ही फिल्म निर्माण के क्षेत्र थें। देव आनंद और विजय आनंद उनके भाई थें। चेतन आनंद ने भाई देव आनन्द के साथ मिलकर साल 1949 में नवकेतन फिल्म्स की नींव रखी थी। चेतन आनंद का जन्म आज ही के दिन 3 जनवरी, 1915 को पंजाब के गुरदासपुर में हुआ था।
पहली ही फिल्म में मिली कामयाबी
चेतन आनंद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने लाहौर से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद राजनीति में कदम रखा और वह वर्ष 1930 के दशक में कांग्रेस में शामिल हो गए। फिल्मी दुनिया में आने से पहले चेतन आनन्द ने बीबीसी में काम किया। वह देहरादून के दून स्कूल में अध्यापक भी रहे। इसके बाद उन्होंने मुम्बई का रुख किया तो वहां आकर उन्होंने स्क्रिप्ट राइटिंग का काम शुरू कर दिया।
इंडियन पीपल्स थियेटर असोसिएशन के सदस्य रहते हुए उन्होंने साल 1946 में फिल्म ‘नीचा नगर’ का निर्देशन किया। अपनी पहली ही फिल्म से चेतन बॉलीवुड में पहचान बनाने में कामयाब रहे। यह फिल्म कान फिल्म फेस्टिवल में सराही गयी। इसके बाद चेतन आनंद ने अपने छोटे भाई देव आनंद के साथ मिलकर साल 1950 में नवकेतन प्रोडक्शन की नींव रखी। इसके बाद फिल्म बनाने का काम शुरू हो गया।
चेतन आनंद की प्रमुख फिल्में
नीचा नगर (1946) निर्देशक, आँधियाँ (1952) निर्देशक, टॅक्सी ड्राइवर (1954) निर्देशक एवं पटकथा लेखक, फंटूश (1956) निर्देशक, काला बाजार (1960) अभिनेता, किनारे किनारे (1963) निर्देशक एवं पटकथा लेखक, हकीकत (1964) निर्देशक एवं पटकथा लेखक, आखिरी खत (1966) निर्देशक एंव पटकथा लेखक, हीर रांझा (1970) निर्देशक एवं पटकथा लेखक, हंसते जख्म (1973) निर्देशक एवं पटकथा लेखक, हिंदुस्तान की कसम (1973) निर्देशक, जानेमन (1976 ) निर्देशक, साहब बहादुर (1977 ) निर्माता निर्देषक, कुदरत (1981) निर्देशक एवं पटकथा लेखक, हाथों की लकीरें (1986) निर्माता निर्देशक के तौर पर अपनी सेवाएं दी। इस बैनर ने हिन्दी सिनेमा को एक से एक बेहतरीन और अच्छी फिल्में दीं। इसके अलावा कालाबाजार, किनारे-किनारे, आखिरी खत, कुदरत हाथों की लकीरें फिल्मों में चेतन ने विभिन्न भूमिकाओं को अंजाम दिया।
चेतन आनन्द की हकीकत फिल्म की बेहद सराहना हुई। इस फिल्म की नायिका प्रिया राजवंश उनकी प्रेमिका के तौर पर उनके साथ जीवन भर रही। फिल्म निर्माण के दौरान प्रिया ने चेतन की हर स्तर पर मदद की। संवाद लेखन, पटकथा लेखन, निर्देशन, अभिनय और सम्पादन में उनकी दखल बनी रही।
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बाइस साल छोटी प्रेमिका
चेतन आनंद ने उन दिनों अपनी पत्नी उमा से तलाक लिया था। अकेले हम, अकेले तुम स्टाइल में दोनों मिले और जिंदगी भर साथ रहने का मन बना लिया। प्रिया उम्र में चेतन से बाइस साल छोटी थी, लेकिन उम्र का यह अंतर भी उनके कभी आड़े नहीं आया। चेतन आनंद पहले निर्देशक थे, जिन्होंने राजेश खन्ना को अपनी फिल्म ‘आखरी खत’ के लिए चुना था। उसके बाद राजेश खन्ना कामयाबी के शिखर तक पहुंचे।
अपनी पत्नी मोना (कल्पना कार्तिक) से देव आनंद की मुलाकात बाजी (1951) के सेट पर हुई थी। चेतन आनंद उन्हें शिमला के सेंट पीटर्स कॉलेज से हिरोइन बनाने के लिए लाए थे। वास्तव में वे चेतन की पहली पत्नी उमा बनर्जी की छोटी बहन थीं। उमा से चेतन आनंद ने लाहौर में कॉलेज की पढ़ाई के समय ही शादी कर ली थी।
चेतन आनंद से राज कुमार की गहरी दोस्ती थी और इसी वजह से चेतन के साथ उन्होंने कई फिल्मों हिंदुस्तान की कसम, कुदरत, हीर रांझा आदि में काम भी किया। राजकुमार को स्टार बनाने में चेतन आनंद का महत्त्वपूर्ण योगदान था। चेतन आनंद ने वर्ष 1988 में ‘परमवीर चक्र’ नाम से एक धारावाहिक भी बनाया था।
श्रीधर अग्निहोत्री
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