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निजामुद्दीन मरकज केस में जारी हो ये फतवा, मशहूर गीतकार ने बताई मांग की वजह

मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख्तर ने पिछले दिनों मस्जिदों को बंद करने के लिए फतवा जारी करने वाली मांग पर अब अपना पक्ष रखा है। उन्होंने एक ट्वीट के जरिये फतवा जारी करने की उनकी मांग की वजह बताई, वहीं दिल्ली के तबलीगी जमात से बढ़े कोरोना पर अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ताहिर महमूद के बयानों पर जवाब भी दिया।

Shivani Awasthi
Published on: 2 April 2020 4:41 PM GMT
निजामुद्दीन मरकज केस में जारी हो ये फतवा, मशहूर गीतकार ने बताई मांग की वजह
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मुंबई: मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख्तर ने पिछले दिनों मस्जिदों को बंद करने के लिए फतवा जारी करने वाली मांग पर अब अपना पक्ष रखा है। उन्होंने एक ट्वीट के जरिये फतवा जारी करने की उनकी मांग की वजह बताई, वहीं दिल्ली के तबलीगी जमात से बढ़े कोरोना पर अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ताहिर महमूद के बयानों पर जवाब भी दिया।

जावेद अख्तर का मस्जिदों को बंद करने के समर्थन में एक और ट्वीट

दरअसल, जावेद अख्तर ने हाल ही में एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब काबा मदीना बंद हो सकता है तो भारत के मस्जिद क्यों नहीं। इसके लिए फतवा जारी करना चाहिए। उनकी इस मांग पर कई आलोचनाएं भी हुई कि जब पूरे देश में लॉकडाउन है तो फ़तवा जारी करने का क्या मतलब है।

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मस्जिदों में फतवा जारी करने वाली मांग की बताई वजह

अब इसी का जवाब देते हुए अख्तर ने ट्वीट कर इसकी वजह बताई। उन्होंने लिखा, 'हां, मैं फतवे की इस मांग का समर्थन करता हूं, इसलिए नहीं क्योंकि मुझे उनके मार्गदर्शन की जरूरत है। लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि इस मुद्दे पर उनका स्पष्ट रुख क्या है। न ज्यादा न कम।'



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ताहिर महमूद के बयान का किया था समर्थन

बता दें कि उन्होंने निजामुद्दीन मरकज को लेकर अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ताहिर महमूद ने दारुल उलूम देवबंद के इस बयान का भी जवाब दिया, जिसमें ताहिर महमूद ने दारुल उलूम देवबंद से कहा था है कि जब तक कोरोना वायरस है तब तक सभी मस्जिदों को बंद करने के लिए फतवा जारी करें।



जावेद अख्तर ने ट्वीट कर कहा, 'ताहिर महमूद साहेब जो कि एक स्कॉलर और अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हैं, उन्होंने कहा है कि दारूल उलूम देवबंद कोरोना काल खत्म होने तक के लिए मस्जिदों को बंद करने का फतवा जारी करें। मैं पूरी तरह से उनकी इस मांग का समर्थन करता हूं। अगर काबा और मदीना की मस्जिद बंद की जा सकती हैं तो भारत की मस्जिदों को क्यों बंद नहीं किया जा सकता?'

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