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पुण्यतिथि विशेष: बेहतरीन कलाकार थे संजीव कुमार, जानिए इनकी जिंदगी से जुड़े किस्से
अभिनेता संजीव कुमार की गिनती हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकारों में होती है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि संजीव कुमार का असली नाम हरिभाई जरीवाला था।
मुम्बई: अपने संजीदा अभिनय से करोड़ों दर्शकों के दिलों पर कई वर्षो तक राज करने वाले अभिनेता संजीव कुमार की आज पुण्यतिथि है। सत्तर और अस्सी के दशक में संजीव कुमार फिल्मी दुनिया का काफी बड़ा नाम रहा पर वह कम उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह गए। अभिनेता संजीव कुमार की खासियत ये थी वह हर तरह का अभिनय किया करते थें चाहे वह सीता और गीता का रोमाटिंक अभिनय हो अथवा फिल्म नौकर में जयाभादुडी के साथ संजीदा अभिनय हो। फिल्म शोले में ठाकुर का रोल एक इतिहास बन चुका है। संजीव कुमार के दौर में राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, शम्मी कपूर, दिलीप कुमार जैसे अभिनेता छाये हुए थे, फिर भी अपने सशक्त अभिनय से उन सबके बीच काम करते हुए उन्होंने फिल्म जगत में अपना स्थान बनाया।
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अभिनेता संजीव कुमार की गिनती हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकारों में होती है
अभिनेता संजीव कुमार की गिनती हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकारों में होती है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि संजीव कुमार का असली नाम हरिभाई जरीवाला था। संजीव कुमार ने काफी समय गुजराती नाटक और थियेटर में भी काम किया। फिल्मों में उनका करियर फिल्म हम हिंदुस्तानी से शुरू हुआ जिसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में दीं।
संजीव कुमार को फिल्म दस्तक और कोशिश के लिए अवार्ड दिया गया था। संजीव में खास बात थी कि वे अपनी उम्र से भी ज्यादा उम्र के किरदार बड़ी ही सहजता से निभा लेते थे। संजीव कुमार को हमेशा मौत का डर सताता था। महज 47 साल की उम्र में संजीव कुमार ने आखिरी सांसे लीं।
शुरुआत में संजीव कुमार ने राजा और रंक, बचपन, शिकार सहित कई फिल्में कीं लेकिन उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिली। 1970 में रिलीज हुई फिल्म खिलौना में संजीव कुमार के किरदार को लोगों ने बहुत पसंद किया। फिल्म सुपरहिट रही।
sanjeev-kumar (Photo by social media)
कैरियर की शुरुआत 1960 में हम हिन्दुस्तानी फिल्म में मात्र दो मिनट की छोटी-सी भूमिका से की
संजीव कुमार ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत 1960 में हम हिन्दुस्तानी फिल्म में मात्र दो मिनट की छोटी-सी भूमिका से की। वर्ष 1962 में राजश्री प्रोडक्शन की आरती के लिए उन्होंने स्क्रीन टेस्ट दिया जिसमें वह पास नहीं हो सके। इसके बाद उन्हें कई बी-ग्रेड फिल्में मिली। इन महत्वहीन फिल्मों के बावजूद अपने अभिनय के जरिये उन्होंने सबका ध्यान आकर्षित किया।
सर्वप्रथम मुख्य अभिनेता के रूप में संजीव कुमार को वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म निशान में काम करने का मौका मिला। वर्ष 1960 से वर्ष 1968 तक संजीव कुमार फिल्म इण्डस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे। फिल्म हम हिन्दुस्तानी के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गये। इस बीच उन्होंने स्मगलर, पति-पत्नी, हुस्न और इश्क, बादल, नौनिहाल और गुनहगार जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।
फिल्म शिकार में वह पुलिस ऑफिसर की भूमिका में दिखायी दिये
फिल्म शिकार में वह पुलिस ऑफिसर की भूमिका में दिखायी दिये। यह फिल्म पूरी तरह अभिनेता धर्मेन्द्र पर केन्द्रित थी फिर भी संजीव कुमार धर्मेन्द्र जैसे अभिनेता की उपस्थिति में भी अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिये उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला।
आशीर्वाद, सत्यकाम और अनोखी रात जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी से संजीव कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुँच गये जहाँ वे फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे। वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म खिलौना की जबर्दस्त कामयाबी के बाद संजीव कुमार ने बतौर अभिनेता अपनी अलग पहचान बना ली। वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म कोशिश में उनके अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। 70 के दशक में उन्होने गुलजार जैसे दिग्दर्शक के साथ काम किया। उन्होने गुलजार के साथ कुल 9 फिल्में कीं जिनमे आंधी (1975), मौसम (1975), अंगूर (1982), नमकीन (1982) प्रमुख है। इनके कुछ प्रशंसक इन फिल्मों को इनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्मो में से मानते हैं।
संजीव कुमार अविवाहित ही दुनिया को छोड़ गए
sanjeev-kumar (Photo by social media)
संजीव कुमार अविवाहित ही दुनिया को छोड़ गए। हांलाकि उनकी शादी पहले हेमामालिनी से होने जा रही थी। पर बाद में धर्मेन्द्र की अडंगेबाजी के कारण यह शादी नहीं हो पाई। वह अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित से भी विवाह के इच्छुक थें पर इसके पहले ही उनकी मौत हो गयी। इसके बाद सुलक्षणा पंडित ने भी जीवन भर अविविहाहित रहने का फैसला लिया। संजीव कुमार ने अपनी सारी जिंदगी अकेले ही गुजार दी।
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संजीव कुमार उन कलाकारों में से थे जो हमेशा करियर में प्रयोग करते रहते थे। उस दौर में जब बाकी अभिनेता अपने से बड़े उम्र के किरदार नहीं करना चाहते थे तब संजीव कुमार इससे भी बिल्कुल नहीं हिचके। थियेटर करने के दौरान भी उन्होंने उम्र के कई पड़ावों को स्टेज पर उतारा।
श्रीधर अग्निहोत्री
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