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हीरो था गब्बर: नहीं आ सकता अमजद खान जैसा ऐक्टर, ऐसा था इनका फिल्मी सफर

हिन्दी फिल्मों के इतिहास में जितना फिल्म शोले को याद किया जाता है उतना ही इस फिल्म के विलेन गब्बर सिंह यानी अमजद खान को याद किया जाता है। आज अमजद खान का जन्म दिन हैं।

Monika
Published on: 12 Nov 2020 3:37 AM GMT
हीरो था गब्बर: नहीं आ सकता अमजद खान जैसा ऐक्टर, ऐसा था इनका फिल्मी सफर
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आज अमजद खान का है जन्म दिन

हिन्दी फिल्मों के इतिहास में जितना फिल्म शोले को याद किया जाता है उतना ही इस फिल्म के विलेन गब्बर सिंह यानी अमजद खान को याद किया जाता है। आज अमजद खान का जन्म दिन हैं। मात्र 51 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले अमजद खान के जन्म दिन पर ‘न्यूजट्रैक’ आपको उनके बारे में कुछ बातें बता रहा है।

हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकार अमजद खान

हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकार अमजद खान का जन्म 12 नवंबर 1940 को मुंबई में हुआ था। अमजद खान के पिता जयन्त फिल्मों में पहले से सक्रिय थें। दर्शन शास्त्र से पोस्ट ग्रेचुएट अमजद खान अपने बडे़ भाई इम्तियाज के साथ नाटक आदि में काम किया करते थें। अमजद खान ने बाल कलाकार के तौर पर 1951 में फिल्म नाजनीन में अभिनय किया था। इसके बाद 1973 में फिल्म हिन्दुस्तान की कसम में काम किया। शोले के लेखक सलीम खान और जावेद अख्तर गब्बर के किरदार के लिए एक अभिनेता की तलाश कर रहे थे।

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सलीम ने अमजद को दिल्ली में एक नाटक में देखा था। इसी दौरान उनके दिमाग में अभिनेता जयंत के बेटे अमजद खान का नाम आया तो उन्होंने निर्देषक रमेश सिप्पी को गब्बर के रोल के लिए अमजद खान का नाम सुझाया। अभिनय शुरू करने से पहले इनके पिता जयन्त राजस्थान के अलवर जिले में पुलिस की नौकरी किया करते थे। जब इन्होने फिल्मो में अभिनय शुरू किया तो इनका नाम जयंत पड़ गया।

गब्बर सिंह का रोल पहले डैनी को ऑफर हुआ

दरअसल गब्बर सिंह का रोल पहले डैनी को ऑफर हुआ था लेकिन उसी दौरान अफगानिस्तान में वह फिल्म धर्मात्मा भी व्यस्त थें। अमजद खान ने अपने लंबे करियर में ज्यादातर नकारात्मक भूमिकाएँ निभाईं। अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र जैसे सितारों के सामने दर्शक उन्हें खलनायक के रूप में देखना पसंद करते थेे। इसके अलावा उन्होंने कुछ फिल्मों में चरित्र और हास्य भूमिकाएँ अभिनीत की, जिनमें शतरंज के खिलाड़ी, दादा, कुरबानी, लव स्टोरी, याराना प्रमुख हैं।

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इसके अलावा हम से बढ़कर कौन, चेहरे पे चेहरा, यारी दुश्मनी, कुर्बानी, बॉम्बे 405 मील, लूटमार, राम बलराम, चम्बल की कसम, हमारे तुम्हारे, सरकारी मेहमान,दो शिकारी, एहसास, हम तेरे आशिक हैं,सुहाग, मीरा, अकबर, सावन के गीत,गंगा की सौगन्ध, मुकद्दर, फूल खिले हैं गुलशन गुलशन, बेशरम,अपना कानून, मुकद्दर का सिकन्दर, हीरालाल पन्नालाल, देस परदेस, राम कसम, इंकार, आखिरी गोली, परवरिश, कसम कानून की, चक्कर पे चक्कर पलकों की छाँव में, चरस, रॉबर्ट यारी दुश्मनी, लूटमार, राम बलराम, चम्बल की कसम, हमारे तुम्हारे, सरकारी मेहमान, आदि प्रमुख फिल्में रहीं।

निजी जीवन में बेहद दरियादिल और शांति प्रिय इंसान

पर्दे पर बेहद खौफनाक दिखने वाले अमजद खान निजी जीवन में बेहद दरियादिल और शांति प्रिय इंसान थे। अमिताभ बच्चन ने एक साक्षात्कार में बताया था कि अमजद बहुत दयालु इंसान थे। हमेशा दूसरों की मदद को तैयार रहते थे। अभिनेता अमजद खान ने निर्देशक के रूप में भी उन्होंने हाथ आजमाए। चोर पुलिस (1983) और अमीर आदमी गरीब आदमी (1985) नामक दो फिल्में उन्होंने बनाईं, लेकिन इनकी असफलता के बाद उन्होंने फिर कभी फिल्म नहीं बनाई।

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अमजद खान का परिवार

अमजद खान ने 1972 में शीला खान से शादी की थी। उनके तीन बच्चे हैं जिनमें दो बेटे और एक बेटी शामिल हैं। उनके बड़े बेटे शादाब खान ने कुछ फिल्मों में काम भी किया है। उनकी बेटी ने भी फिल्मों में काम किया है। साल 1986 में अमजद खान का मुंबई-गोवा रोड पर एक्सिडेंट हो गया था। इस एक्सिडेंट के बाद से ही अमजद खान का वजन बेहिसाब बढ़ने लगा। अमजद खान चाय के भी बेहद शौकीन थे। दिन भर में पच्चीस-तीस कप चाय पीने के कारण भी उनका शरीर फैलता जा रहा था। अधिक वजन बढ़ने के कारण साल 1992 में दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई। अमजद खान की अंतिम यात्रा में उनके पाली हिल में उनके घर से लेकर बांद्रा ईस्ट तक कई फिल्मी सितारों ने शवयात्रा में हिस्सा लिया था।

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1992 में जब अमजद खान की मृत्यु हुई। तब तक उनकी कई फिल्में रिलीज के लिए तैयार थीं। बेचैन, रुदाली और अनोखी चाल सहित 10 से ज्यादा फिल्में ऐसी हैं, जो अमजद की मौत के बाद रिलीज हुई थीं। आज हिन्दी सिनेमा में खलनायकों की कमी है। हाल के अब ऐसा कोई खलनायक नहीं है जो पर्दे पर वहीं खलनायकी कर सके जो कभी अमजद खान ने की थी।

श्रीधर अग्निहोत्री

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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