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विश्व परिवार दिवस आज: परिवार को एक सूत्र में बांधे रखना है, सबकी जिम्मेदारी
हर साल 15 मई को विश्व परिवार दिवस मनाया जाता है। प्राणी जगत व समाज में परिवार सबसे छोटी इकाई है। इसे हम सामाजिक संगठन की मौलिक इकाई भी कह सकते हैं।
नई दिल्ली: हर साल 15 मई को विश्व परिवार दिवस मनाया जाता है। प्राणी जगत व समाज में परिवार सबसे छोटी इकाई है। इसे हम सामाजिक संगठन की मौलिक इकाई भी कह सकते हैं।
परिवार को एक सूत्र में बांधे रखना एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि परिवार के रिश्ते टूट रहे हैं और कहीं भाई, भाई की हत्या कर रहा तो कहीं पति पत्नी पर तेजाब फेंक रहा है। हर रिश्ते आज संदेह के दायरे में घिरता जा रहा है जो पारिवारिक संरचना को बनाये रखने में बाधक बन रही है।
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1994 से मनाया जा रहा विश्व परिवार दिवस
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतरराष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। तब से विश्व में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा और 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए इस दिन अलग-अलग संस्थाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इस दिन के लिए जिस प्रतीक चिह्न को चुना गया है, उसमें हरे रंग के एक गोल घेरे के बीचों बीच एक दिल और घर अंकित किया गया है। इससे स्पष्ट है कि किसी भी समाज का केंद्र परिवार ही होता है। परिवार ही हर उम्र के लोगों को सुकून पहुंचाता है।
पारिवारिक रिश्ते हो रहे तार-तार:
पारिवारिक कलह के कारण हत्या व हत्या की कोशिश से समाज में जहां अपनत्व की भावना क्षीण होते जा रही है, वहीं गहरे रिश्ते भी तार-तार हो रहे हैं। हाल के घटनाओं पर प्रकाश डाला जाये तो शहर के कासिम बाजार मस्जिद गली निवासी नीरज पोद्दार ने अपनी ही पत्नी पर शक कर सोये अवस्था में उसके चेहरे पर तेजाब डाल दिया।
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जिसके कारण उसका चेहरा बुरी तरह से झुलस गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गयी। बरियारपुर थाना क्षेत्र के घोरघट निवासी मो. मुबारक ने ससुराल वालों से मांग की गयी रुपये की पूर्ति नहीं किये जाने पर अपनी ही पत्नी सरीना परवीन को पानी में जहर मिला कर पिला दिया।
इतना ही नहीं गंगापार हरिणमार थाना क्षेत्र के झौवाबहियार पंचायत के दुख्खा टोला में मृत्यंजय यादव ने पैतृक जमीन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए अपने ही छोटे सहोदर भाई मुकेश यादव की गोली मार कर हत्या कर दी। इस तरह की कई और घटनाओं ने परिवार में उत्पन्न हो रही दरारों को उजागर किया है, जिस पर हम सबों को गंभीर होने की जरूरत है।
परिवार को साथ जोड़ने का मौका है परिवार दिवस
आज विश्व भर में एकल परिवार की मानो लहर सी फैल गयी है। बच्चे बड़े होकर नौकरी क्या करने लगते हैं, उन्हें खुद के लिए थोड़ा स्पेस चाहिए होता है और वह स्पेस उन्हें शायद अलग रहकर ही मिल पाता है। हालांकि कई जगहों पर तो अब खुद मां-बाप ही बच्चों को नौकरी और शादीशुदा होने के बाद अलग परिवार रखने की सलाह देते हैं।
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लेकिन अकेला रहने के एवज में समाज को काफी कुछ खोना पड़ रहा है। परिवार से अलग रहने पर बच्चों को बड़ों का साथ नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से नैतिक संस्कार दिन ब दिन गिरते ही जा रहे हैं और इससे समाज में बिखराव भी होने लगा है। इसके लिए हमें एकल परिवार के पद्धति पर विराम लगाना होगा, ताकि समाज में विखराव की स्थिति उत्पन्न न हो सके।