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बड़ा खतरा: निजी जानकारी लीक होने की खबर से 30 करोड़ ग्राहकों की उड़ी रातों की नींद

एयरटेल मोबाइल ऐप के एपीआई (एप्लिकेशन प्रोग्राममिंग इंटरफेस) में ये बग पाया गया है। इसके जरिए हैकर्स यूर्जस के नंबर के माध्यम से उनकी पर्सनल जानकारी हासिल कर सकते थे।

Aditya Mishra
Published on: 7 Dec 2019 11:54 AM GMT
बड़ा खतरा: निजी जानकारी लीक होने की खबर से 30 करोड़ ग्राहकों की उड़ी रातों की नींद
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नई दिल्ली: भारत का बड़ा मोबाइल नेटवर्क एयरटेल में एक बग पाया गया जो इसके 30 करोड़ से ज्यादा यूजर्स के पर्सनल डेटा को खतरे में डाल सकता था।

एयरटेल मोबाइल ऐप के एपीआई (एप्लिकेशन प्रोग्राममिंग इंटरफेस) में ये बग पाया गया है। इसके जरिए हैकर्स यूर्जस के नंबर के माध्यम से उनकी पर्सनल जानकारी हासिल कर सकते थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन जानकारियों में यूर्जस के नाम, ईमेल, बर्थडे, डिवाइस का आईएमईआई और उनका पता शामिल है। हालांकि एयरटेल ने फिलहाल इस बग को ठीक कर दिया है।

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कितने यूजर्स पर असर डाल सकता था बग?

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के मुताबिक, सितंबर 2019 तक एयरटेल के 32.50 करोड़ एक्टिव यूजर्स थे।

भारत में वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो के बाद यह टेलीकॉम क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है।

इसी साल अक्टूबर में लोकल सर्च सर्विस जस्टडायल के एपीआई में भी बग आ गया था। इसके चलते ऐप के 15 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक हुआ था।

भारत में डेटा सुरक्षा पर क्या है कानून?

भारत में फिलहाल डेटा की सुरक्षा पर कोई विशिष्ट कानून नहीं है। हालांकि, यूरोप के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) की तरह ही भारत सरकार ने पिछले साल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का ड्राफ्ट रखा था।

इसमें डेटा इकट्ठा करने, उसे रखने के नियमों के साथ पेनल्टी और मुआवजे के प्रावधान भी थे। 4 दिसंबर को फेडरल कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी थी।

आज स्मार्टफोन केवल एक फोन न होकर हमारी पूरी दुनिया हो गया है। हमारा सारा संसार 6 इंच के एक फोन में सिमट आया है। सारे काम के डाक्यूमेंट से लेकर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन तक फोन में होते हैं।

अगर फोन 1 घंटा भी काम न करें तो बहुत से लोग बेचैन हो जाते हैं। फोन की इसी जरूरत का फायदा कुछ साइबर हैकर्स भी उठा रहे हैं। वे फोन हैक करके लोगों की जानकारी जुटा लेते हैं और फिर उनकी प्राइवेट जानकारी से लेकर फाइनेंशियल डाटा तक का दुरुपयोग करते हैं।

साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक, दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है, जो हैक नहीं हो सकती है। इसलिए हमें यह भी मान लेना चाहिए कि हमारा फोन भी हैक हो सकता है। इसलिए फोन इस्तेमाल करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

बरतें सावधानी

आप अपने फोन में जो भी एप्लीकेशन डाउनलोड करते हैं, उसे सुरक्षित प्लेटफार्म से ही डाउनलोड करें। सीधे किसी वेबसाइट से कभी कोई ऐप डाउनलोड न करें। किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके सभी टर्म एंड कंडीशन को अच्छी तरह से पढ़ और समझ लेना चाहिए।

एस का मतलब सिक्योरिटी

आपको कोई चीज खरीदनी है या फिर कोई फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करना है तो वह वेबसाइट https से शुरू होनी चाहिए।

एस (S) का मतलब सिक्योरिटी से होता है।

अगर आप अपना फाइनेंशियल डाटा, जैसे बैंक डिटेल, डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसी बिना एस (S) वाली वेबसाइट पर डालते हैं तो यह डाटा महफूज नहीं होता है. इसका इस्तेमाल कोई और भी कर सकता है।

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जागरुक रहें

साइबर सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरुक होना होगा और साइबर सुरक्षा को जीवन जीने की शैली जैसा अपनाना होगा. अनजान ऐप्स को कभी डाउनलोड न करें।

स्पाई बेयर के हमले से बचें

आजकल कुछ मोबाइल स्पाई बेयर के हमले से बचें आ गए हैं। हैकर्स आपके मोबाइल फोन पर मिस्ड कॉल करते हैं इससे एक

स्पाई बेयर आपके फोन के अंदर आ जाता है और एक्टिवेट हो जाता है। ये स्पाई बेयर फोन के सारे डाटा को कॉपी करता है और उसे बाहर भेजता है। इसलिए आपको बहुत ज्यादा एतियात बरतने की जरूरत है।

ऐसे पहचानें हैकिंग को

फोन हैक होने पर अजीब सी हरकत करने लगता है। अपनेआप ही तमाम एप्लीकेशन खुलने लगती हैं. डाटा यूज बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। खुद ही ऐप डाउनलोड होने लगते हैं। रोकने पर भी डाउनलोडिंग रुकेगी नहीं। फोन ज्यादा गर्म हो जाता है।

हैक हुए फोन में पॉपअप विज्ञापनों की बाढ़ सी आने लगती है। इंटरनेट पर सर्फिंग करते समय इतने विज्ञापन आपने फोन में दिखाई देने लगते हैं कि आप परेशान हो उठते हैं।

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Aditya Mishra

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