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Whatsapp पर ऐसा करना पड़ेगा भारी, सीधे होगी जेल की सजा
भूलकर भी इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी सर्च न करें और न ही इससे संबंधित सामग्री किसी को भेजें। ऐसा करते ही आपका मोबाइल या कंप्यूटर और लैपटॉप एक खुफिया एजेंसी के रडार पर आ जाएगा।
नई दिल्ली: भूलकर भी इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी सर्च न करें और न ही इससे संबंधित सामग्री किसी को भेजें। ऐसा करते ही आपका मोबाइल या कंप्यूटर और लैपटॉप एक खुफिया एजेंसी के रडार पर आ जाएगा। केंद्र सरकार ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक लगाने के लिए इसकी निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है।
यह एजेंसी देश में कहीं भी ऐसी सामग्री ब्राउज, डाउनलोड या साझा करने पर संबंधित व्यक्ति को चिह्नित करने में सक्षम है। इसी एजेंसी ने उत्तराखंड में भी एक व्यक्ति पर पोर्नोग्राफी का पहला मुकदमा दर्ज किया है जो अल्मोड़ा जिले का रहने वाला है।
उत्तराखंड स्टेट साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का पहला मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा अल्मोड़ा के एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज किया गया है।
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एनसीएमईसी पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री के आदान-प्रदान पर नजर रखती है
साइबर क्राइम के पुलिस क्षेत्राधिकारी अंकुश मिश्रा ने बताया कि नेशनल क्राइम फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोइटिड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) देशभर में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री के आदान-प्रदान पर नजर रखती है। बीते दिनों एजेंसी ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री के संबंध में एक रिपोर्ट नेशनल क्राइम रिपोर्टिंग ब्यूरो (एनसीआरबी) नई दिल्ली को भेजी थी जिसमें अल्मोड़ा निवासी किशन सिंह का भी जिक्र था।
जेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, किशन सिंह ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी का वीडियो इंटरनेट से डाउनलोड करके अपने साथियों को सोशल साइट पर भेजा था। इस पर एनसीआरबी ने देहरादून साइबर पुलिस स्टेशन को मामले की जांच करके आरोपित पर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया।
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चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड या शेयर करने पर मुकदमा
चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री डाउनलोड या शेयर करने पर आरोपित के खिलाफ आइटी एक्ट की धारा 67बी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इसमें पांच साल तक का कारावास हो सकती है। इसी तरह अन्य पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री डाउनलोड या शेयर करने पर आइटी एक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज होता है। इसमें भी पांच साल की जेल हो सकती है। साथ ही अंकुश मिश्रा ने बताया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी अपराध की श्रेणी में आता है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के सभी साइबर क्राइम थानों को ऐसा कोई भी मामला सामने आने पर इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही एक एजेंसी को चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री का आदान-प्रदान और इस्तेमाल करने वालों को चिह्नित करने की जिम्मेदारी सौंपी है। यह एजेंसी अपनी रिपोर्ट सीधे गृह मंत्रालय को भेजती है जहां से संबंधित राज्य को कार्रवाई के निर्देश दिए जाते हैं।
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