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रिलायंस और जियो में नौकरी का झांसा देने वाले विज्ञापनों पर हाईकोर्ट की रोक

दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाते हुए,रिलायंस और जियो में नौकरी का झांसा देकर लोगों को ठगने वाले जालसाजों के खिलाफ क्विकर और ओएलएक्स पर इस तरह के धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। क्विकर और ओएलएक्स ऐसे किसी भी विज्ञापन को अपने यहां नही दिखा पाएंगे जिन में रिलायंस या जियो का नाम शामिल हो।

suman
Published on: 29 May 2020 7:31 PM IST
रिलायंस और जियो में नौकरी का झांसा देने वाले विज्ञापनों पर हाईकोर्ट की रोक
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नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाते हुए,रिलायंस और जियो में नौकरी का झांसा देकर लोगों को ठगने वाले जालसाजों के खिलाफ क्विकर और ओएलएक्स पर इस तरह के धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। क्विकर और ओएलएक्स ऐसे किसी भी विज्ञापन को अपने यहां नही दिखा पाएंगे जिन में रिलायंस या जियो का नाम शामिल हो।

जालसाजों से मासूम लोगों को बचाने के लिए रिलायंस इस मामले को लेकर कोर्ट पहुंचा था। रिलायंस का कहना था कि उसके नाम और ट्रेड-मार्क का गलत इस्तेमाल कर, लोगों को धोखा दिया जा रहा है। रिलायंस और जियो में नौकरी के नाम पर मासूम लोगों से पैसा ऐंठा जा रहा है। क्विकर और ओएलएक्स पर इस बाबत झूठे विज्ञापन दिए जा रहे हैं। जिसमें जियो एवं रिलायंस के नाम पर धोखाधड़ी की जा रही है। रिलायंस ने सबूत के तौर पर ऐसे चार विज्ञापनों के लिंक भी कोर्ट में प्रस्तुत किए।

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अपने आदेश में न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि प्रथमदृष्टया मामला बनता है और अगर विज्ञापनों पर रोक ना लगाई गई तो इससे रिलायंस को अपूरणीय क्षति हो सकती है। कोर्ट में रिलायंस की तरफ से तर्क देते हुए वकीलों ने कहा कि नौकरी तलाशने वाले एक व्यक्ति की शिकायत पर यह मामला सामने आया। जिसमें पता चला कि कुछ जालसाज रिलायंस और जियो के नाम पर ओएलएक्स और क्विकर पर विज्ञापन पोस्ट कर रहे हैं। नौकरी के लिए भटक रहें यह लोगों इन जालसाजों का आसान शिकार बन रहे हैं।

ओएलएक्स इंडिया ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने जियो एवं रिलायंस नाम के अतिरिक्त फिल्टर जोड़ दिए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह के झूठे और मनगढ़ंत विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को धोखा ना दिया जा सके। प्रतिवादियों की तरफ से कहा गया कि रिलायंस की तरफ से दिए गए 4 लिंक्स में से 3 को हटा दिया गया है। 1 लिंक को हटाया जा रहा है।

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कोर्ट ने प्रतिवादियों से पूछा है कि विज्ञापनों को प्रकाशित करने का उनका क्या तरीका है। और झूठे विज्ञापन प्रकाशित ना हों इसके लिए कंपनी क्या कदम उठाती है। कोर्ट ने इसके लिए एक लिखित एफिडेविट देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी।

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