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Cardiovascular Risk: कार्डियोवैस्कुलर रोग के कारणों को पहचान कर तुरंत करें इलाज़, इन फूड्स का सेवन देगा लाभ

Cardiovascular Risk: कार्डियोवैस्कुलर रोगों में शामिल हैं दिल की बीमारियां, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, शीघ्र सिरदर्द, सीने में दर्द, शुगर, शरीर के अंगों की धमनियों की स्थिति जैसे कि नसों में संकुचन या नसों का फटना, आदि। ये रोग एक व्यक्ति की जीवन शैली और उनकी आहार व्यवस्था पर भी निर्भर करते हैं।

Preeti Mishra
Published on: 12 April 2023 12:15 PM IST
Cardiovascular Risk: कार्डियोवैस्कुलर रोग के कारणों को पहचान कर तुरंत करें इलाज़, इन फूड्स का सेवन देगा लाभ
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Cardiovascular Risk (Image credit:social media)

Cardiovascular Risk: हृदय रोगियो की संख्या दुनिया भर में बहुत तेज़ी से बढ़ती जा रही है। इन बीमारियों में मुख्य रूप से कोरोनरी हृदय रोग, सेरेब्रोवास्कुलर रोग, आमवाती हृदय रोग और अन्य स्थितियां शामिल हैं। कार्डियोवैस्कुलर रोगों से लगभग रोजाना एक बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है। इसलिए यह बेहद जरुरी है कि समय रहते इस बीमारी के सभी लक्षणों की सही से पहचान कर उसका उचित इलाज़ कराया जाए।

कार्डियोवैस्कुलर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, "कार्डियो" जो हृदय से संबंधित होता है और "वैस्कुलर" जो रक्त वाहिकाओं (वेन और आर्टरी) से संबंधित होता है। इसका अर्थ होता है हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित रोगों का समूह।

कार्डियोवैस्कुलर रोगों में शामिल हैं दिल की बीमारियां, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, शीघ्र सिरदर्द, सीने में दर्द, शुगर, शरीर के अंगों की धमनियों की स्थिति जैसे कि नसों में संकुचन या नसों का फटना, आदि। ये रोग एक व्यक्ति की जीवन शैली और उनकी आहार व्यवस्था पर भी निर्भर करते हैं। इन रोगों से बचने के लिए नियमित व्यायाम करना, सही खानपान, नियमित चेकअप और स्ट्रेस कम करना जैसी कुछ सामान्य चीजें की जानकारी होनी चाहिए।


कार्डियोवैस्कुलर होने के प्रमुख कारण क्या है ( cause of cardiovascular)

कार्डियोवैस्कुलर रोगों के बहुत से कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारकों को निम्नलिखित रूप से संक्षेप में बताया जा सकता है:

बढ़ता हुआ उम्र:

यह एक प्रमुख कारण है जो अक्सर कार्डियोवैस्कुलर रोगों के लक्षणों को बढ़ाता है।

अनियमित और असंतुलित खान-पान:

अधिक तला-भुना, तीखा, मसालेदार या तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन, ज्यादा शक्कर युक्त खाद्य पदार्थ या तेजी से खाने के लिए नहीं रुकना आदि अनियमित और असंतुलित खान-पान से शरीर के अंगों की स्थिति खराब हो सकती है जो कार्डियोवैस्कुलर रोगों के लिए एक प्रमुख कारण है।

उच्च रक्तचाप:

उच्च रक्तचाप भी कार्डियोवैस्कुलर रोगों के लिए एक प्रमुख कारण होता है।

तंबाकू या नशीले पदार्थों का सेवन:

तंबाकू या नशीले पदार्थों का सेवन भी कार्डियोवैस्कुलर रोगों के लिए एक बड़ा कारण है।

अधिक वजन और मोटापा:

वजन बढ़ने से ह्रदय संबंधी समस्याओं का विशेष खतरा रहता है। अत्यधिक मोटापा कार्डियोवैस्कुलर रोगों के लिए एक बड़ा कारण माना जाता है।

धूम्रपान:

तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वालों में कार्डियोवैस्कुलर रोग की संभावना अधिक होती है।

अल्कोहल:

अधिक मात्रा में अल्कोहल सेवन करने वालों में कार्डियोवैस्कुलर रोग की संभावना अधिक होती है।

बुरी आदतें:

जैसे कि असंतुलित खानपान, अनियमित व्यायाम और अवसाद जैसी बुरी आदतें भी कार्डियोवैस्कुलर रोग की संभावना बढ़ाती हैं।

रक्तचाप:

उच्च रक्तचाप वाले लोगों में कार्डियोवैस्कुलर रोग की संभावना अधिक होती है।

डायबिटीज:

डायबिटीज के रोगी को भी कार्डियोवैस्कुलर रोग होने का खतरा होता है।

कार्डियोवैस्कुलर रोग के लक्षण (Symptoms of Cardiovascular Disease)

कार्डियोवैस्कुलर रोग के लक्षण व्यक्ति के अनुसार भिन्न हो सकते हैं और इनमें से कुछ लक्षण सामान्यतया निम्नलिखित होते हैं:

दिल की धड़कन बढ़ जाना या उल्टी होना।
सांस लेने में तकलीफ होना या सांस लेने में तकलीफ होने से जल्दी थक जाना।
छाती में दर्द होना जो हाथ या उपरी भाग में फैलता है।
थकान या शारीरिक कमजोरी का अनुभव होना।
निम्न रक्तचाप या बढ़ा हुआ रक्तचाप।
सिरदर्द या चक्कर आना।
अनियमित धड़कन या दिल के धड़कन का अनुभव होना।
यदि आपको इन लक्षणों में से कुछ भी हो तो आपको तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।


कार्डियोवैस्कुलर जोखिम की शुरुआती शुरुआत को कैसे रोकें (How to prevent early onset of cardiovascular risk)

कार्डियोवैस्कुलर जोखिम को रोकने के लिए कुछ आसान उपाय होते हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने हृदय के स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं। यहां कुछ उपाय दिए गए हैं:

नियमित व्यायाम करें:

नियमित व्यायाम करना कार्डियोवैस्कुलर जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। दैनिक 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि शुरू करें।

सही खानपान:

सही खानपान के साथ स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है। अपने आहार में हृदय के लिए स्वस्थ आहार जैसे कि फल, सब्जियां, पूर्ण अनाज आदि शामिल करें।

स्ट्रेस कम करें:

स्ट्रेस आपके हृदय के लिए हानिकारक होता है। स्ट्रेस कम करने के लिए, नियमित ध्यान और योग प्राकृतिक रूप से स्ट्रेस कम करने में मदद कर सकते हैं।

सिगरेट या तंबाकू का सेवन न करें:

धूम्रपान आपके हृदय के लिए हानिकारक होता है। सिगरेट या तंबाकू का सेवन बंद करें ताकि आप अपने हृदय के लिए स्वस्थ रह सकें।

नियमित चेकअप कराएं:

नियमित चेकअप से आपको अपने शरीर में हो रहे समस्याओं की जानकारी मिल सकती है। ताकि आप समय रहते इन समस्यों से अच्छे से निपट सकें।

कार्डियोवैस्कुलर रोग से बचने के उपाय (Ways to avoid cardiovascular disease)

कुछ उपायों से आप कार्डियोवैस्कुलर रोग से बच सकते हैं:

स्वस्थ खानपान:

स्वस्थ खानपान के साथ आप अपनी जीवनशैली में सुधार कर सकते हैं। आपको अपने आहार में फल, सब्जियां, अनाज, स्वस्थ तेल जैसी चीजें शामिल करनी चाहिए। इसके अलावा, तेज खाने और प्रोसेस्ड फूड से बचने की सलाह दी जाती है।

व्यायाम:


नियमित व्यायाम करना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। आपको अपने दैनिक जीवन में कम से कम 30 मिनट तक कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए जैसे कि योग, वॉकिंग, रनिंग, एरोबिक्स, या कुछ भी जो आपको मनपसंद हो।

स्ट्रेस कम करें:


स्ट्रेस और टेंशन कार्डियोवैस्कुलर रोग के लिए एक महत्वपूर्ण कारक होते हैं। इसलिए आपको रेगुलर रूप से ध्यान योग, मेडिटेशन या कुछ भी जो आपको स्ट्रेस कम करने में मदद करे करना चाहिए।

नियमित चेकअप:

अपनी स्वास्थ्य स्थिति का नियमित चेकअप करना बहुत जरूरी होता है, खासकर अगर आप

कार्डियोवैस्कुलर रोग से बचाने वाले खाद्य पदार्थ (foods that prevent cardiovascular disease)

कुछ खाद्य पदार्थ हैं जो कार्डियोवैस्कुलर रोग से बचाने में मददगार होते हैं:

हल्दी:

हल्दी में कुरकुमिन नामक एक तत्व होता है, जो कार्डियोवैस्कुलर रोग से बचाने में मदद करता है। हल्दी को सब्जी, दाल या चाय में शामिल किया जा सकता है।

मछली:

मछली अमीग्डलीन नामक तत्व से भरपूर होती है जो कार्डियोवैस्कुलर रोग से लड़ने में मदद करता है। साथ ही, इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होता है, जो धमनियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

दालचीनी:

दालचीनी में एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइंफ्लामेटरी प्रोपर्टीज होती हैं जो कार्डियोवैस्कुलर रोग से लड़ने में मदद करती हैं। दालचीनी को दूध, चाय, सब्जी या फल सलाद में शामिल किया जा सकता है।

अंडे:

अंडे में विटामिन डी, प्रोटीन और आयरन होते हैं जो कार्डियोवैस्कुलर रोग से लड़ने में मदद करते हैं।

खजूर:

खजूर में फाइबर, पोटेशियम और मैग्नेशियम की भरपूर मात्रा पायी है जो कार्डियोवैस्कुलर रोग से लड़ने में मददगार होते हैं।



Preeti Mishra

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