Chaitra Navratri 2023 : समस्त व्यापारी वर्गों के लिए अतिउत्तम रहेगा यह वर्ष, जानिये अन्य लोगों के बारे में भी

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि नौ दिवसीय त्योहार है जो मां दुर्गा के नौ अवतारों - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा के लिए समर्पित है।

Preeti Mishra
Published on: 22 March 2023 5:00 AM GMT (Updated on: 21 March 2023 9:05 PM GMT)
Chaitra Navratri 2023 : समस्त व्यापारी वर्गों के लिए अतिउत्तम रहेगा यह वर्ष, जानिये अन्य लोगों के बारे में भी
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Chaitra Navratri 2023 (Image credit: social media)

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि लगभग आ ही चुकी है, और हिंदू व्रत रखकर, देवी शक्ति की प्रार्थना करके, नवरात्रि के लिए बने व्यंजन खाकर, मंदिरों में जाकर, और बहुत कुछ करके इस शुभ अवसर को मनाने की तैयारी कर रहे हैं। चैत्र नवरात्रि नौ दिवसीय त्योहार है जो मां दुर्गा के नौ अवतारों - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा के लिए समर्पित है। हिंदू नौवें दिन राम नवमी भी मनाते हैं। यह हिंदू चंद्र कैलेंडर के पहले महीने में मनाया जाता है, जिसे चैत्र के नाम से जाना जाता है। इसलिए, इस अवधि में मनाए जाने वाले नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। साथ ही चैत्र मास से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत भी होती है।

चैत्र नवरात्रि कैलेंडर: प्रारंभ और समाप्ति तिथि

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च, बुधवार से शुरू हो रही है और 30 मार्च, शुक्रवार को समाप्त हो रही है।

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय

इस वर्ष का नवरात्र पूरे नौ दिनों का

"नल"नामक नूतन सम्वत्सर 2080 व वासन्तिक नवरात्र माहात्म्य का 22 मार्च बुधवार से हो रहा है प्रारम्भ। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान"ट्रस्ट"लखनऊ के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते है की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नूतन वर्ष का आरम्भ होता है इस वर्ष के राजा बुध व मन्त्री शुक्र है ।"नल"नामक सम्वत्सर व वासन्तिक नवरात्र का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि बुधवार को रात्रि 09:24 तक रहेगी बुधवार का दिन व वर्ष का आरम्भ उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में हो रहा है। इस वर्ष का नवरात्र पुरे नौ दिनों का है बुधवार से प्रारम्भ होकर गुरुवार 30 मार्च को पूर्णाहूति होगी ॥

कलश स्थापना मुहूर्त

कलश स्थापना मुहूर्त सूर्योदय के पश्चात प्रात: काल से लेकर सूर्यास्त पर्यन्त तक। प्रतिपदा तिथि रात्रि 09:24 तक रहेगी।।
विशेष मुहूर्त दिवा 08:50 से 10:45 तक
इस वर्ष के राजा बुध व मन्त्री शुक्र है ।

जानिए कैसा रहेगा यह नया वर्ष

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते है कि ज्योतिषीय ग्रहयोगानुसार बुध ग्रह इस वर्ष के राजा व शुक्र मन्त्री हैं अतः इस वर्ष गणित व विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिकों के द्वारा कुछ विशेष अविष्कार होने का प्रबल योग बन रहा है। गणित और विज्ञान के क्षेत्र में हमारे देश के वैज्ञानिक कुछ चमत्कारिक अविष्कार करने में सफल होंगे ।

छोटे व बड़े वर्ग के विभिन्न क्षेत्रों के समस्त व्यापारी वर्गों के लिए यह वर्ष बहुत ही शुभ रहेगा।।

नृत्य कला व संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों के लिए यह वर्ष काफी सुखद होगा।

अप्रैल महीने में तेज हवाओं के साथ साथ पर्वतीय क्षेत्रों में भूकम्प भी आने के संकेत दिख रहे है। व किसी विषाक्त बीमारी की उत्पत्ति हो सकती है।

12 मई से लेकर 17 जून के बीच राजनीतिक दलों में विघटन की स्थिति व उथल पुथल होने के संकेत दिख रहे हैं।

अतःशान्ति के लिए भगवान शिव की उपासना श्रेयस्कर होगी। व साथ ही साथ सम्पूर्ण मानव जाति को चाहिए की माँ भगवती का ध्यान कर "जयन्ती मङ्गला काली भद्र काली कपालिनी,दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते"मन्त्र का मानसिक जप करते रहें है व दुर्गा सप्तशती का निष्ठा पूर्वक नित्य पाठ करें।जिससे सम्पूर्ण जनमानस का कल्याण होगा ।

कलश स्थापना के पश्चात माँ भगवती का पूजन षोडशोपचार वा पञ्चोपचार कर दुर्गासप्तशती का पाठ,नवार्ण मन्त्र का जप करें।

प्रत्येक सनातन धर्मियों को चाहिए की आज के दिन मंगल ध्वज,आदि से घर को सुसज्जित करें ॥

Preeti Mishra

Preeti Mishra

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