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अब नहीं बोलेगा कोई बैट्री: चण्डीगढ़ दूर करेगा आंखों की ये समस्या  

मेडिकल की भाषा में इसे रिफ्रेक्टिव एरर या मायोपिया कहते हैं। इस बीमारी की वजह से बचपन से ही बच्चों की आंखों पर चश्मा लग जाता है। जो बच्चों के लिए बहुत ही दुःखदायी होता है।

SK Gautam
Published on: 25 Aug 2019 7:20 PM IST
अब नहीं बोलेगा कोई बैट्री: चण्डीगढ़ दूर करेगा आंखों की ये समस्या  
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चण्डीगढ़: आंखें इंसान के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं। लेकिन इंसान के लिए अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश लोगों की पास की नजर तो ठीक रहती है, मगर दूर की नजर में गड़बड़ी होती है। दूर की वस्तुओं को देखने में धुंधलापन नजर आता है।

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मेडिकल की भाषा में इसे रिफ्रेक्टिव एरर या मायोपिया कहते हैं। इस बीमारी की वजह से बचपन से ही बच्चों की आंखों पर चश्मा लग जाता है। जो बच्चों के लिए बहुत ही दुःखदायी होता है।

अब एडवांस तकनीक से इसका पुख्ता इलाज संभव

आजकल अधिकतर बच्चे इससे पीड़ित होते हैं। हालांकि, इसका इलाज उपलब्ध है, लेकिन इलाज के दौरान जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। मगर अब एडवांस तकनीक से इसका पुख्ता इलाज संभव है।

पीजीआई में स्माल इंसिशन लेंटिक्यूल इक्स्ट्रेक्शन (स्माइल) नामक मशीन आई है, जिसकी मदद से बहुत कम चीरा लगाकर रिफ्रेक्टिव एरर (आंखों के दोष) को दूर किया जा सकता है। इस मशीन को एडवांस आई सेंटर में लगाने का काम चल रहा है। जर्मनी बेस्ड इस मशीन को अगले 15 दिन के भीतर इंस्टाल कर दिया जाएगा।

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मायोपिया की दिक्कत बचपन में ही शुरू होती है। आंखों में एरर आ जाता है और इस वजह से पास की चीजें तो साफ दिखती हैं, मगर दूर की चीजों को देखने में दिक्कतें आती हैं। मौजूदा वक्त में इसे हटाने के लिए बड़ा चीरा लगाकर आंखों में आए एरर को दूर कर दिया जाता है।

हालांकि, इसमें कई सारी जटिलताएं रहती हैं। अब इसकी एडवांस तकनीक आ गई, जिसमें जटिलताओं को लगभग खत्म सा कर दिया गया है।



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