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मत रहिए हर्ड इम्यूनिटी के भरोसे, विशेषज्ञों ने किया सावधान

कोविड-19 से सारी दुनिया इस वक्त जूझ रही है। हर बीतते दिन के साथ तेजीसे बढ़ते आंकड़े हमारी रफ्तार को कम ही नहीं कर रहे बल्कि दो कदम पीछे भी धकेल रहे हैं।

Newstrack
Published on: 15 July 2020 12:42 PM GMT
मत रहिए हर्ड इम्यूनिटी के भरोसे, विशेषज्ञों ने किया सावधान
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कोविड-19 से सारी दुनिया इस वक्त जूझ रही है। हर बीतते दिन के साथ तेजीसे बढ़ते आंकड़े हमारी रफ्तार को कम ही नहीं कर रहे बल्कि दो कदम पीछे भी धकेल रहे हैं।ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना मरीज़ों की संख्या1 करोड़ 33 लाख से ज्यादा हो चुकी है जबकि भारत में 9 लाख से ज्यादा लोग कोरोना का चपेट में आ चुके हैं। हर दिन इस बीमारी के नए लक्षण सामने आ रहे हैं। कई देश इससे बचाव की वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं पर मंज़िल तक अभी कोई नहीं पहुंचा है। आसान नहीं कोरोना से जीतने की राह-हर्ड इम्यूनिटी की राह में है कई रोड़े वैक्सीन बाज़ार में आने के इंतज़ार के बीच जानकारों के हवाले से ऐसी खबरें भी आती रहती है कि कुछ समय बाद कोरोना अपनी मौत आप ही मर जाएगा।

इसके साथ ही एक थ्योरी ये भी है कि जब एक तय फीसद आबादी कोरोना के संक्रमित हो जाएगी तब हमारे अंदर हर्ड इम्यूनिटी पैदा हो जाएगी। ऐसा हो गया तो कोरोना का संक्रमण बाकी लोगों में फैलना बंद हो जाएगा। संक्रमित हुए लोगों के शरीर में एंटी बाडीज़ विकसित हो जाएंगी और फिर उनके माध्यम से दूसरे लोगों में संक्रमण नहीं फैलेगा। यानी संक्रमण की चेन टूट जाएगी। लेकिन इस सोच को कई शोध में झटका लगा है। यानी ये भी संभव है कि ऐसा ना हो। दरअसल कोरोना को लेकर कई शोध किए जा रहे हैं। इन्हीं में से स्पेन के स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ कार्लोस तृतीय के एक शोध में सामने आया कि हर्ड इम्यूनिटी हासिल कर पाना आसान नहीं है।

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शोध से मिले चौंकाने वाले नतीजे--

शोध के मुताबिक स्पेन में कोरोना से संक्रमित हुए लोगों में से सिर्फ 5 फीसद में ही एंटीबाडीज़ विकसित हुईं। इस शोध में संक्रमित लोगों पर एक विशेष अध्ययन किया गया।इस रिसर्च का नाम सेरीपीडेमियोलॉजिकल स्टडी है। इस स्टडी में 27 अप्रैल से 11 मई के बीच करीब 68 हज़ार लोगों पर शोध किया गया।

अध्ययन में क्या नतीजे सामने आए—

-अध्ययन में शामिल किए गए संक्रमित लोगों के अलावा सिर्फ 5 फीसदी लोगों में ही इस बीमारी के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा हुई ।

-स्पेन के मैड्रिड में 10 फीसदी अधिक लोगों में एंटीबाडी विकसित हुईं

-वहीं बार्सिलोना में 5 फीसद अधिक लोगों में यह एंटीबाडी पाई गईं

-उम्र के लिहाज़ से एक साल से कम उम्र के बच्चों में 1.1 फीसद बच्चों में एंटीबाडी मिलीं

-5-9 साल के बच्चों में 3.1 फीसद और 45 से अधिक उम्र वालों में यह सिर्फ 6 फीसद ही मिली।

खास है यह अध्ययन—

इस अध्ययन इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि यूरोप में अब तक की ये सबसे बड़ी सीरोलॉजिकल स्टडी है। इस अध्ययन के ज़रिए काफी हद तक संक्रमण का सही आंकड़ा पता लगाया जा सका है। जब इतने बड़ा पैमाने पर कोई संक्रमण फैलता है तो ऐसी ही स्टडी के आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि कितनी आबादी किसी संक्रमण की चपेट में है। इसी स्टडी से पता लगाया जा सका कि बिना लक्षण वाले संक्रमितों की संख्या करीब 10 लाख थी।

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बिना टीके के कठिन है कोरोना से जंग—

इस अध्ययन ने ये साफ कर दिया कि वैक्सीन के बिना कोरोना से जंग जीत पाना बेहद मुश्किल है। स्पेन की इतनी बड़े आबादी संक्रमित होने के बावजूद हर्ड इम्यूनिटी हासिल नहीं कर सकी ऐसे में बाकी देशों में भी ऐसी कोई उम्मीद करना बेमानी है। जर्मनी के वायरोलॉजिस्ट इसाबेल इकेरले औऱ बैंजामिन मेयर ने मेडिकल जर्नल द लैसंट में लिखा कि अध्ययन के नतीजों से ज़ाहिर है हम हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त करने की राह पर फिलहाल नहीं हैं। कोविड-19 के खिलाफ मोर्चाबंदी कर चुके दुनिया भर के वैज्ञानिक फिलहाल वैक्सीन को ही एक मात्र विकल्प मान रहे हैं।ऐसे में सावधानी ही सहारा है।

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