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पहचानिए नार्सिस्टिक पर्सनालिटी डिसऑर्डर
ऐसा बहुत बार होता है जब हम किसी के लिए सहानुभूति नहीं दिखाते और स्वार्थी, गुस्सैल, अहंकारी या असंवेदनशील हो जाते हैं। समय-समय पर हमसे होने वाले ऐसे व्यवहार को आत्ममोह कहा जाता है, जब हम अपने से बढ़कर किसी को कुछ नहीं समझते।
लखनऊ : ऐसा बहुत बार होता है जब हम किसी के लिए सहानुभूति नहीं दिखाते और स्वार्थी, गुस्सैल, अहंकारी या असंवेदनशील हो जाते हैं। समय-समय पर हमसे होने वाले ऐसे व्यवहार को आत्ममोह कहा जाता है, जब हम अपने से बढ़कर किसी को कुछ नहीं समझते। लेकिन यह व्यवहार एक बीमारी में तब तब्दील हो जाता है जब कोई व्यक्ति हमेशा दूसरों को नीचा दिखाने लगता है। और ऐसा बार-बार करने की नई-नई तरकीबें निकलता है। ये है नार्सिस्टिक पर्सनालिटी डिसऑर्डर ।
जिसे एक विरोध की भावना का रूप में बताया जाता है। इससे ग्रस्त लोग आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं और अपने प्रोफेशनल करियर में बहुत ही अच्छा काम कर सकते हैं, लेकिन वो अंदर से बहुत ही खोखले और नाजुक होते हैं। उनमें आत्मसम्मान की भी कमी होती है। वो हर किसी का ध्यान और प्रशंसा पाना तो चाहते हैं लेकिन, उसके लिए वो किसी से दोस्ताना व्यवहार बनाने में अक्सर फेल हो जाते हैं। ऐसा व्यक्ति अपने क़रीबियों को बहुत तकलीफ देता है।
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लक्षण
*हमेशा ज्यादा शक्ति, सौंदर्य, सफलता और सत्ता के बारे में सोचना
*अपनी उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर बताना
*लोगों पर अपने पद की धौंस जमाना
*हर चीज में अपनी हकदारी की चाह
*हमेशा क्लास और स्टेटस की बातें करना
*मन में यह मान लेना कि सभी आपसे ईर्ष्या करते हैं
*बच्चों या परिवार की उपलब्धियों पर बहुत गर्व करना
*लगातार प्रशंसा और मान्यता की उम्मीद करना
*दूसरों के संबंध में जागरूकता की कमी
*अपने लाभ के लिए दूसरों का शोषण करना
*कमजोर लोगों के लिए सहानुभूति की कमी
*रिश्तों पर नियंत्रण की प्रबल इच्छा
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ऐसा किस कारण होता है?
नार्सिस्टिक पर्सनालिटी डिसऑर्डर के असली कारण अज्ञात हैं। ये आनुवंशिक भी हो सकता है। कई विशेषज्ञ ऐसा भी बताते हैं कि माता-पिता द्वारा हमेशा टोका जाना, हमेशा अत्यधिक प्रशंसा पाना या बचपन के बुरे अनुभव नार्सिस्टिक पर्सनालिटी डिसऑर्डर होने के कुछ कारण हो सकते हैं। नार्सिस्टिक पर्सनालिटी डिसऑर्डर किसी दवा की वजह से नहीं होता। इसका इलाज मनोचिकित्सक द्वारा अलग अलग थेरेपी के जरिये किया जाता है। सही डॉक्टर के मार्गदर्शन और अपने व्यवहार में किए गए बदलाव से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।