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TB Case in India: टीबी से बचना है? पौष्टिक भोजन खाइए
TB Case in India: हाल ही में, द लैंसेट और द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ ने आईसीएमआर-समर्थित "राशन्स" (पोषण की स्थिति में सुधार करके तपेदिक की सक्रियता को कम करना) परीक्षण के नतीजे प्रकाशित किए हैं।
TB Case in India: टीबी आज भी दुनियाभर में मौतों की बहुत बड़ी वजह बनी हुई है। विश्व स्तर पर टीबी के सबसे अधिक नए मामले भारत में हैं और टीबी से पीड़ित लोगों की मृत्यु की संख्या भी भारत में सबसे अधिक है। हाल ही में, द लैंसेट और द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ ने आईसीएमआर-समर्थित "राशन्स" (पोषण की स्थिति में सुधार करके तपेदिक की सक्रियता को कम करना) परीक्षण के नतीजे प्रकाशित किए हैं। इसके अनुसार, टीबी के मरीज के परिवार के सदस्यों के पोषण में सुधार से घर में बीमारी की घटनाओं में 39 से 48 प्रतिशत की कमी आ सकती है। पोषण से वजन बढ़ता है जो टीबी से मौत के जोखिम को कम करता है।
लैंसेट में प्रकाशित
9 अगस्त को द लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन, येनेपोया मेडिकल कॉलेज, मंगलुरु द्वारा आयोजित और केंद्र सरकार के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन द्वारा समर्थित पोषण स्थिति में सुधार (आरेशन) परीक्षण द्वारा तपेदिक की सक्रियता को कम करने के निष्कर्षों पर आधारित था।
यह पहली बार है जब किसी अध्ययन में पोषण और नए टीबी मामलों को रोकने के बीच संबंध का आकलन किया गया है। अध्ययन से पता चला है कि फेफड़े के टीबी वाले रोगियों के परिवार के सदस्यों में पोषण स्तर में सुधार से इस बीमारी के डेवलप होने का खतरा काफी हद तक कम हो गया है।
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भारत में सबसे ज्यादा मरीज
विश्व स्तर पर टीबी के सबसे अधिक नए मामले भारत में हैं और टीबी से पीड़ित लोगों की मृत्यु की संख्या भी भारत में सबसे अधिक है। स्टडी के नतीजे में कहा गया है कि नियमित उपचार और रोकथाम में पोषण को भी जोड़ दिया जाना चाहिए।
स्टडी के प्रमुख लेखक डॉ. अनुराग भार्गव और येनेपोया मेडिकल कॉलेज, मैंगलोर की सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. माधवी भार्गव ने बताया कि 10 वर्षों तक छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में एक स्वास्थ्य गैर-लाभकारी संस्था "जन स्वास्थ्य सहयोग" में काम करते वक्त देखा कि अल्पपोषण स्पष्ट रूप से टीबी के लिए प्रमुख जोखिम कारक था और साथ ही टीबी से होने वाली मौतों के लिए भी एक जोखिम कारक था। पर्याप्त पोषण के बिना अधिकांश मरीज़ पूर्ण उपचार के बाद भी कम वजन के बने रहे और उनके लिए काम पर लौटना मुश्किल हो गया।
स्टडी के अनुसार, भारत में वयस्क रोगियों में अल्पपोषण व्यापक रूप से प्रचलित है। राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम के अनुसार पुरुषों में औसत वजन 43 किलोग्राम और महिलाओं में 38 किलोग्राम है। अध्ययन में शामिल लगभग आधे मरीज़ गंभीर रूप से कम वजन वाले थे, और केवल 3 फीसदी ही अपना सामान्य काम कर सकते थे। स्टडी में प्रतिभागियों को 10 किलो भोजन टोकरी (चावल, सत्तू, दूध पाउडर, तेल) और मल्टीविटामिन दिए गए। 94 फीसदी रोगियों ने सफलतापूर्वक उपचार पूरा किया। लगभग 75 फीसदी मरीज़ उपचार के अंत में सामान्य काम फिर से शुरू करने में सक्षम थे। 25 किलोग्राम से भी कम वजन वाले अधिकांश वयस्क रोगी बच गए।