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Monkeypox: चीन में मंकीपॉक्स की दहशत, कोरोना जैसी बंदिशें लागू
Monkeypox: विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट है कि चीन वर्तमान में एमपॉक्स या मंकीपॉक्स के मामलों में दुनिया की सबसे तेज़ वृद्धि का अनुभव कर रहा है, और चीन को इसका प्रसार को रोकने के लिए तेजी से कार्य करने की आवश्यकता है।
Monkeypox: चीन में व्यापक टेस्टिंग, क्वारंटाइन, सोशल डिस्टेंसिंग आदि फिर से लागू हो गए हैं। लेकिन इस बार मामला कोरोना का नहीं बल्कि मंकीपॉक्स का है जो चीन में बहुत तेजी से फ़ैल रहा है। चीन के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने बीमारी के प्रकोप को रोकने के बारे में नई गाइडलाइन्स प्रकाशित की हैं जो ठीक कोरोना काल जैसी हैं। मतलब ये कि चीन मंकीपॉक्स प्रकोप को बहुत गंभीरता से ले रहा है।
डब्लूएचओ ने सतर्क किया
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट है कि चीन वर्तमान में एमपॉक्स या मंकीपॉक्स के मामलों में दुनिया की सबसे तेज़ वृद्धि का अनुभव कर रहा है, और चीन को इसका प्रसार को रोकने के लिए तेजी से कार्य करने की आवश्यकता है। अमेरिका और यूरोप ने 2022 के मध्य में शुरू हुए एमपॉक्स के प्रकोप को ज्यादातर नियंत्रित कर लिया है लेकिन एशिया इस बीमारी के नए हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है। जापान, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड, जहां पिछले साल छिटपुट आयातित मामले देखे गए थे, 2023 में साप्ताहिक नए मामलों की संख्या दोहरे अंकों में दर्ज की गयी है, जिसका मतलब है कि यह वायरस घरेलू आबादी में फैल रहा है। डब्ल्यूएचओ को बताए गए नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, चीन ने पिछले तीन महीनों में 315 पुष्ट मामलों के साथ दुनिया के अन्य सभी देशों को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि जिस तरह चीन सूचनाएँ देता है उससे बीमारी के वास्तविक पैमाने को जानना असंभव है।
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कोरोना से कम संक्रामक लेकिन दर्दनाक
एमपॉक्स कोरोना की तुलना में कम संक्रामक है, लेकिन 2022 के बाद से 88,000 से अधिक लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। यह बीमारी काफी परेशान कर सकती है और इससे अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कुछ देश घरेलू एमपॉक्स के प्रकोप को रोकने में दूसरों की तुलना में अधिक सफल रहे हैं और उनकी अधिकांश सफलता टीकाकरण अभियान जैसे सक्रिय उपायों का परिणाम बताई जाती है।
चीन में ढिलाई
चीन ने भले ही गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं लेकिन अभी तक उसका रवैया ढीला रहा है। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में वैश्विक स्वास्थ्य के वरिष्ठ फेलो यानज़ोंग हुआंग कहते हैं कि कोरोना की प्रतिक्रिया की तुलना में अब चीनी प्रतिक्रिया निश्चित रूप से नाटकीय रूप से भिन्न है। जरूरत से ज्यादा आशावादी रवैया जोखिम वाली आबादी के बीच बीमारी के प्रसार को बहुत फैला सकता है।
मई में डब्लूएचओ ने घोषणा की थी कि एमपॉक्स अब अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) नहीं है क्योंकि उन देशों में मामले काफी कम हो गए हैं, जहां पिछले साल बड़े पैमाने पर इसका प्रकोप देखा गया था। लेकिन अब दुनिया के विभिन्न हिस्सों में छिटपुट प्रकोप देखे जा रहे हैं।
दरअसल, जब तक डब्लूएचओ ने सार्वजानिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषणा को रद्द किया तब तक कई एशियाई देशों में एमपॉक्स के मामलों में तेजी दिखनी शुरू हो गई थी। मार्च में एमपॉक्स मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करने वाला जापान पहला एशियाई देश था। मई में देश के शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि जापान और अन्य एशियाई देशों के बीच जुड़ाव और क्षेत्र में कम टीकाकरण दर के कारण यह बीमारी पूरे एशिया में बढ़ सकती है। बहरहाल, अभी स्पष्ट नहीं है कि चीन में असल में क्या हो रहा है। चीन इस बीमारी के बारे में अपने डेटा को साझा नहीं कर रहा है और वह नए मामलों की साप्ताहिक रिपोर्ट भी प्रकाशित नहीं करता है। बल्कि चीन ने जून में दर्ज किए गए एमपॉक्स मामलों की संख्या की एकमुश्त रिपोर्ट जारी की है। उसके बाद से सरकार ने कोई डेटा जारी नहीं किया है।