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महिलाएं 'उन दिनों' में रखें अपना ख्याल, नहीं तो हो सकती हैं PMS का शिकार

मन में बेवजह की चिड़चिड़ाहट, छोटी सी बात पर गुस्सा, कुछ खाने-पीने का मन न करना, अकेले रहने की जगह तलाशना, ज़रा सी बात पर रो देना, दूसरों से देखभाल की उम्मीद करना। बहुत अजीब सा मूड होता है पीरियड्स के दौरान।

suman
Published on: 16 Jun 2020 1:35 PM GMT
महिलाएं उन दिनों  में रखें अपना ख्याल, नहीं तो हो सकती हैं PMS का शिकार
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लखनऊ: मन में बेवजह की चिड़चिड़ाहट, छोटी सी बात पर गुस्सा, कुछ खाने-पीने का मन न करना, अकेले रहने की जगह तलाशना, ज़रा सी बात पर रो देना, दूसरों से देखभाल की उम्मीद करना। बहुत अजीब सा मूड होता है पीरियड्स के दौरान। भावनाओं का जैसे रोलरकोस्टर सा चलता रहता हो मन में। ऐसा नहीं है कि हर वक्त सिर्फ चिड़चिड़िहाट ही होती है कई बार गुस्से के अगले पल में मन खुश भी हो जाता है। इस समय में भावनाओं से लेकर डाइट और जीवनशैली तक सब कुछ अनियमित हो जाता है। कहने का मतलब कि पीरियड्स महिलाओं के जीवन का अहम पहलू है, पीरियड्स आने के एक या दो सप्ताह पहले होने वाले हॉर्मोन में बदलाव परेशानी का कारण बनते हैं।

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इस दौरान मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द, पेट में दर्द या सूजन, स्तनों में असहजता, थकान, चिड़चिड़पन, उदासी, चिंता, भावनाओं में जल्दी बहना और अवसाद जैसी शिकायत होती है।

30 से 40 की उम्र में भी परेशानी

मासिक चक्र के पहले होने वाले ये लक्षण प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम (पीएमएस) है। इस बारे में डॉ. विशाल मकवाना का कहना है कि प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम के दौरान होने वाले ये लक्षण दिनचर्या को प्रभावित करते हैं। कुछ महिलाओं को यह लक्षण शुरुआत में, लेकिन कुछ को 20 की उम्र के बाद महसूस होते हैं। ये लक्षण 30 से 40 की उम्र में यानी मेनोपॉज से पहले बिगड़ सकता है।

उन दिनों पीएमएस की आशंका तब बढ़ती है, जब विटामिन बी 6, कैल्शियम और मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं। इसकी स्थिति तब और बिगड़ती है, जब तनाव अधिक हो, व्यायाम के लिए समय न रहे हो या फिर कैफीन ज्यादा मात्रा में ले रहे हों।

एक्सरसाइज न केवल सही वजन बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि पीएमएस से निपटने में भी सहायक होती है। ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, स्विमिंग या डांस रोजाना 30 मिनट करें। इस तरह के एरोबिक एक्सरसाइज ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करते हैं, तनाव कम करते हैं और मस्तिष्क को अधिक हैप्पी हॉर्मोन रिलीज करते हैं।

अच्छा खाएं

महिलाओं को आहार बदलने की जरूरत भी है। यदि पेट फूला हुआ महसूस हो रहा है या उदास महसूस कर रहे हैं, तो चीनी और वसा जैसे सरल कार्बोहाइड्रेट आहार से कम कर लें और फलों, सब्जियों व साबुत अनाज जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट का ज्यादा सेवन करें। पीएमएस से पीड़ित होने पर वजन कम करने के लिए लो कार्ब डाइट न लें। शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाता है।

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डॉक्टर को दिखाएं

पीएमएस का एक प्रभाव चिंतित और तनाव महसूस कराने के लिए है, लेकिन इससे निपटने का आसान तरीका है आराम करना। अगर इस परेशानी से गुजर रहे हैं तो चुप रहने के बजाय ऐसे लोगों से बात करें जो कुछ इसी तरह का अनुभव कर रहे हों।इसस शांति मिलती है। चाय शराब, चॉकलेट और नमक का सेवन कम करें।

पीएमएस सिंड्रोम के जूझ रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि इन समस्याओं का कोई और कारण भी हो सकता है जैसे एनीमिया, थायराइड, इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम, क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम। यदि समस्या सामान्य से अधिक समय तक बनी रहे तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं।

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