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Ayurveda Tips: आयुर्वेदिक तरीके से अपनी मुंह की स्वच्छता कैसे बनाए रखें, सबकुछ जानें यहाँ

Oral Hygiene with Ayurveda: दातुन करने वाले लोगों को किसी विशेष टूथपेस्ट की आवश्यकता भी नहीं थी क्योंकि पेड़ों की टहनियों में ही दांतों को साफ करने और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक औषधीय गुण होते थे।

Preeti Mishra
Published on: 26 May 2023 10:44 PM IST
Ayurveda Tips: आयुर्वेदिक तरीके से अपनी मुंह की स्वच्छता कैसे बनाए रखें, सबकुछ जानें यहाँ
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Oral Hygiene with Ayurveda (Image: Newstrack)

Oral Hygiene with Ayurveda: सुबह-सुबह उठ कर ब्रश करने की परंपरा कोई नयी नहीं है। प्राचीन भारत से यह व्यवस्था चली आ रही है। पहले टूथब्रश नहीं होते थे। ऐसे समय में हमारे यहाँ लोग नीम, आंवला और बबलू (Neem, Babul for oral health) जैसे कुछ पेड़ों की टहनियों को तोड़ कर उनसे दातुन किया करते थे। गावों में अभी भी कई बड़े बुजुर्ग ऐसे ही दातुन करते हैं। पेड़ों की टहनियों से ब्रश या दातुन करने के अपने अलग ही स्वास्थ्य लाभ होते हैं। दातुन से मुंह के ख़राब कीटाणु मर जाते थे।

दातुन करने वाले लोगों को किसी विशेष टूथपेस्ट की आवश्यकता भी नहीं थी क्योंकि पेड़ों की टहनियों में ही दांतों को साफ करने और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक औषधीय गुण होते थे। टहनियों के किनारों को चबाने से ब्रिसल्स बनते हैं जो दंत पट्टिका के गठन को रोकते हैं।

समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए मौखिक स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद, चिकित्सा की पारंपरिक भारतीय प्रणाली, मुंह के स्वास्थ्य के लिए कई अभ्यास और उपचार प्रदान करती है।

मौखिक स्वच्छता बनाए रखने के लिए यहां कुछ आयुर्वेदिक सुझाव दिए गए हैं:

ऑयल पुलिंग (Oil pulling)

ऑयल पुलिंग में टॉक्सिन्स और बैक्टीरिया को हटाने के लिए 10-15 मिनट के लिए मुंह में तेल डालना शामिल है। ऑर्गेनिक कोल्ड-प्रेस्ड ऑयल जैसे तिल का तेल या नारियल का तेल इस्तेमाल करें। बाद में तेल को थूक दें और अपने मुंह को गर्म पानी से धो लें।

टंग स्क्रैपिंग (Tongue scraping)

जीभ पर जमी परत को धीरे से हटाने के लिए टंग स्क्रेपर का उपयोग करें। यह बैक्टीरिया, विषाक्त पदार्थों और अवशेषों को हटाने में मदद करता है जो खराब सांस और मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान कर सकते हैं।

हर्बल टूथपेस्ट और पाउडर (Herbal toothpaste and powders)

आयुर्वेदिक टूथपेस्ट या पाउडर चुनें जिसमें नीम, लौंग, दालचीनी, या मुलेठी जैसे प्राकृतिक तत्व हों। इन जड़ी-बूटियों में रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।

हर्बल माउथवॉश (Herbal Mouthwash)

त्रिफला, लौंग, या पुदीना जैसी सामग्री से बने हर्बल माउथवॉश से अपना मुँह रगड़ें। यह सांसों को तरोताजा करने में मदद करता है और मौखिक स्वच्छता को बढ़ावा देता है।

आयुर्वेदिक हर्बल उपचार (Ayurvedic herbal remedies)

आयुर्वेद विशिष्ट मौखिक स्वास्थ्य चिंताओं के लिए विभिन्न हर्बल उपचारों की सिफारिश करता है। उदाहरण के लिए, नीम और बबूल की छाल का पाउडर मसूड़ों के स्वास्थ्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और लौंग का तेल दांत दर्द से राहत दिला सकता है।

करने की उचित तकनीक (Proper brushing technique)

नरम-ब्रिसल वाले टूथब्रश का उपयोग करें और अपने दांतों को गोलाकार गति में धीरे से ब्रश करें। आक्रामक तरीके से ब्रश करने से बचें, क्योंकि यह दांतों के इनेमल और मसूड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। दिन में कम से कम दो बार ब्रश करें, खासकर खाने के बाद।

संतुलित आहार (Balanced Diet)

एक संतुलित आहार का पालन करें जिसमें ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और डेयरी उत्पाद शामिल हों। मीठे और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से बचें, क्योंकि वे दंत समस्याओं में योगदान कर सकते हैं।

हाइड्रेटेड रहें (Stay Hydrated)

मुंह के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पूरे दिन खूब पानी पिएं। पानी खाद्य कणों को बाहर निकालने में मदद करता है, मुंह को हाइड्रेट करता है और लार उत्पादन को उत्तेजित करता है, जो दांतों की सड़न को रोकने में भूमिका निभाता है।

नियमित डेंटल चेक-अप (Regular Dental Check-up)

आयुर्वेदिक प्रथाओं के साथ भी, पेशेवर सफाई और चेक-अप के लिए नियमित रूप से डेंटिस्ट के पास जाना महत्वपूर्ण है। एक दंत चिकित्सक किसी भी अंतर्निहित मुद्दों की पहचान कर सकता है और उचित उपचार प्रदान कर सकता है।

याद रखें कि ये आयुर्वेदिक अभ्यास अच्छी मौखिक स्वच्छता की आदतों के पूरक हैं, जैसे नियमित रूप से ब्रश करना, फ्लॉस करना और एक स्वस्थ जीवन शैली। व्यक्तिगत सलाह के लिए डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है।



Preeti Mishra

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