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क्या है पैनक्रियाटिक कैंसर जिसने ली पर्रिकर की जान, जानिए लक्ष्ण और बचाव

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार शाम 63 साल की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से पैनक्रियाटिक कैंसर से लड़ रहे थे। यह बीमारी जानलेवा इसलिए भी है, क्योंकि शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण सामने नहीं आते हैं। ज्या

Dharmendra kumar
Published on: 18 March 2019 1:18 PM IST
क्या है पैनक्रियाटिक कैंसर जिसने ली पर्रिकर की जान, जानिए लक्ष्ण और बचाव
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लखनऊ: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार शाम 63 साल की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से पैनक्रियाटिक कैंसर से लड़ रहे थे। यह बीमारी जानलेवा इसलिए भी है, क्योंकि शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण सामने नहीं आते हैं। ज्यादातर मामलों में लक्षण दिखाई देना तब शुरू होते हैं जब या तो प्रभावित सेल्स बड़ा आकार ले लेते हैं या फिर पैंक्रियाज के बाहर फैल चुके होते हैं।

ऐसे में बताते हैं आखिर ये पैनक्रियाटिक कैंसर क्या है, कैसे इसकी पहचान की जा सकती है और इससे बचने के लिए आपको किन चीजों का ख्याल रखना जरूरी है।

क्या है यह बीमारी

पैनक्रियाटिक कैंसर शरीर के अग्नाशय में होता है। यह मानव शरीर का सबसे प्रमुख अंग होता है। अग्‍नाशय में कैंसर युक्‍त कोशिकाओं के जन्‍म के कारण इसकी शुरुआत होती है। इस बीमारी के शिकार ज्यादातर 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग होते हैं। महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा पैनक्रियाटिक कैंसर होता है। यह कैंसर हमारे शरीर में पेट और आंत के बीच होता है। हालांकि यह कैंसर दूसरे कैंसर की तुलना में कम होता है, लेकिन अगर इसकी शुरुआती स्टेज के बारे में पता न चल पाए तो यह जानलेवा हो जाता है।

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कैसे होता है यह कैंसर

यह स्थिति तब विकसित होती है जब पैंक्रियाज के सेल काउंट में बहुत तेजी से वृद्धि होने लगती है। अनियंत्रित कोशिकाएं घातक ट्यूमर बनाती हैं जो ब्लड स्ट्रीम के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करता है, जिससे ऑर्गन फेलियर और मौत हो सकती है।

दो प्रकार का होता है पैनक्रियाटिक कैंसर

पैंक्रियाज में ग्रंथियां मौजूद होती हैं जो शरीर के लिए पैनक्रियाटिक जूस, हार्मोन और इंसुलिन बनाती हैं। कैंसर पैंक्रियाज के एक्सोक्राइन और एंडोक्राइन हिस्से में पनपता है। एक्सोक्राइन कैंसर पैनक्रियाटिक ग्लैंड के अंदर होता है वहीं एंडोक्राइन ट्यूमर उस हिस्से में होता है जो शरीर के लिए हार्मोन प्रड्यूस करता है।

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पैनक्रियाटिक कैंसर के लक्षण

पैनक्रियाटिक कैंसर के तब तक लक्षण नहीं दिखाई देते जब तक यह क्रिटिकल न बन जाए। जिसकी वजह से पैनक्रियाटिक कैंसर को शरीर में बढ़ने का मौका मिल जाता है। निम्नलिखित लक्षण यदि शरीर में अचानक से दिखाई दें और लंबे समय तक बरकरार रहें तो व्यक्ति को एक बार पैनक्रियाटिक कैंसर के लिए टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

-पैनक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित व्यक्ति के पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहता है।

-उसकी त्वचा, आंख और यूरिन का रंग पीला होता है।

-उसे उल्टियां, जी मिचलाना जैसी शिकायतें रहती हैं।

-इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को भूख कम लगती है।

-पैनक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित व्यक्ति का लगातार वजन कम होता रहता है।

-ऐसे व्यक्ति को हर समय कमजोरी महसूस होती रहती हैं।

-पाचन संबंधी समस्या

-बार-बार बुखार आना

-त्वचा का रूखापन बढ़ना

-हाई ब्लड शुगर

रिस्क फैक्टर

पैनक्रियाटिक कैंसर क्यों होता है इसकी सटीक वजह का अब तक पता नहीं लगाया जा सका है। हालांकि, कई तरह के फैक्टर्स व्यक्ति को इस प्रकार के कैंसर का मरीज बना सकते हैं इनमें स्मोकिंग, जेनेटिक्स, मोटापा, ज्यादा देर बैठे रहने की आदत, डायबीटीज आदि शामिल हैं।

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बीमारी से बचाव

-इस बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति को ताजे फलों का रस और हरी सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। ऐसा करने से अग्नाशय कैंसर से लड़ने में लाभ मिलता है।

-इस बीमारी से बचे रहना चाहते हैं तो अपने आहार में कम से कम मात्रा में रेड मीट और वसा वाले आहार को शामिल करें।

-पैनक्रियाटिक कैंसर के उपचार में ब्रोकर्ली को एक अच्छा विकल्प माना जाता है। ब्रोकली में मौजूद फाइटोकेमिकल्स से, कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने में मदद मिलती है। ब्रोकली एंटी ऑक्सीडेंट होने के साथ खून को साफ रखने में भी मदद करती है।

-ग्रीन टी, लहसुन, सोयाबीन और एलोवेरा का भी सेवन करने से इस बीमारी में काफी फायदा होता है।

-बावजूद इन उपचारों के अगर किसी को इस बीमारी के होने की जानकारी मिले तो उसे तुरंत अपने कैंसर विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

इलाज

पैन्क्रियाटिक कैंसर का इलाज सर्जरी या कीमो के जरिए होता है।

विपल प्रसीजर (Whipple procedure): पैंक्रियाज, स्मॉल इंटेस्टाइन और गॉलब्लैडर के छोटे हिस्से को निकाल दिया जाता है।

डिसटल पैंक्रियाटेक्टमी (Distal pancreatectomy): पैंक्रियाज के लंबे हिस्से जिसे टेल भी कहा जाता है उसे हटा दिया जाता है।

टोटल पैंक्रियाटेक्टमी (Total pancreatectomy): इस पद्धति का इस्तेमाल कम होता है। इसके तहत पैंक्रियाज के साथ ही स्प्लीन (ऐब्डमन का ऊपरी हिस्सा) को हाट दिया जाता है।

कीमोथेरपी (Chemotherapy): पैन्क्रियाटिक कैंसर के लिए कीमोथेरपी या इसके साथ रेडियोथेरपी का इस्तेमाल किया जाता है। इलाज की इस पद्धति में सर्जरी भी की जाती है।



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Dharmendra kumar

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