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हो जाएं सावधान: कफ सिरप है खतरनाक, मंडराया इस पर कोरोना का खतरा

खांसी या फिर गले में दर्द होने पर ज्यादातर लोग बदलते मौसम की बात कहकर खांसी की दवा पी लेते हैं। उन्हें कुछ देर के लिए आराम भी मिलता है,

suman
Published on: 7 Jun 2020 6:16 PM IST
हो जाएं सावधान: कफ सिरप है खतरनाक, मंडराया इस पर कोरोना का खतरा
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नई दिल्ली: खांसी या फिर गले में दर्द होने पर ज्यादातर लोग बदलते मौसम की बात कहकर खांसी की दवा पी लेते हैं। उन्हें कुछ देर के लिए आराम भी मिलता है, लेकिन यह एक समस्या जैसी है। अमेरिका के कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रिसर्च किया और पता लगाने की कोशिश की है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है और खांसी आने पर कफ सिरप पी लेता है तो उसके सेहत पर कैसा असर पड़ेगा। खांसी, गले में दर्द और जलन के साथ सांस लेने में तकलीफ कोरोना संक्रमण के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं। इस तरह की दिक्कत होने पर लोग बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप पी लेते हैं। इस बात में कोई शक भी नहीं है कि कफ सिरप लेने से इन दिक्कतों में आराम महसूस होता है।

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इटली और अमेरिका में कोरोन वायरस ने सबसे अधिक तबाही मचाई है। इन देशों में कोरोना के संक्रमण को अधिक घातक इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि ये विकसित देश हैं और इनके पास अपने नागरिको को देने के लिए सभी जरूरी सुख-सुविधाएं हैं। लेकिन फिर भी ये देश इस संक्रमण पर काबू नहीं कर पाए।

बंदरों पर शोध

इस शोध को कोरोना संक्रमित अफ्रीकी बंदरों पर किया गया। क्योंकि इन बंदरों पर किसी भी दवाई का असर ठीक उसी तरह होता है, जैसे इंसान पर किसी दवा का असर होता है। शोध टीम से जुड़े प्रोफेसर ब्रिएन का कहना है कि जब हमें शोध में मिले रिजल्ट बंदरों में कफ सिरप के उपयोग से कोरोना वायरस की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, तब हमें लगा कि सभी लोगों को इस बात की जानकरी होनी चाहिए कि कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप का सेवन नहीं करना है।

घातक है कफ सिरफ

कोरोना संक्रमित मरीजों द्वारा अगर ऐसी कफ सिरप का सेवन कर लिया जाता है, जिसे बनाने में डेक्सट्रोमेथॉर्फेन ड्रग का उपयोग किया गया हो तो यह दवाई मरीज की समस्या कम करने की जगह बढ़ा सकती है। क्योंकि डेक्सट्रोमेथॉर्फेन ड्रग हमारे शरीर में पहुंचने के बाद जिस तरह से रिएक्ट करती है और काम करती है, वह सब कोरोना को रेप्लिकेशन में मददगार है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद अगर मरीज इस तरह की कफ सिरप का उपयोग करते हैं तो उनके शरीर में कोरोना वायरस में वृद्धि होगी। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर मरीज पर वायरस की संख्या में वृद्धि का एक जैसा असर दिखाई दे। डेक्सट्रोमेथॉर्फेन ड्रग एक ऐसा कम्पोजिशन है, जिसका सेवन करने पर हमें खांसी में तेजी से आराम मिलता है। यही वजह है कि सभी कफ सिरप बनाने में इस ड्रग का उपयोग किया जाता है।

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शोधकर्मी टीम का कहना है कि ऐसी कई ड्रक्स का कलेक्शन तैयार किया गया है, जो वायरस की वृद्धि को रोकने का काम करती हैं। अब कोरोना संक्रमित जानवरों पर उन ड्रग्स का ट्रायल किया जा रहा है और जानने का प्रयास किया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के दौरान ये दवाएं शरीर में जाने के बाद किस तरह से रिऐक्ट करती हैं।

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