दुनिया की दस फीसदी आबादी को हो चुका है कोरोना

डब्लूएचओ के कार्यकारी निदेशक डॉ माइक रयान ने कहा है कि संक्रमण की दर और कितने लोगों में वायरस के प्रति एंटीबॉडी है, इस आधार पर उनका अनुमान है कि दस फीसदी आबादी कोरोना की चपेट में आ चुकी है।

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Published on: 3 Oct 2020 10:20 AM GMT
दुनिया की दस फीसदी आबादी को हो चुका है कोरोना
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दुनिया की दस फीसदी आबादी को हो चुका है कोरोना (social media)

लखनऊ: विश्व स्वस्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में 75 करोड़ लोगों यानी कुल आबादी के दस फीसदी को कोरोना संक्रमण हो चुका है। बाकी 90 फीसदी लोगों का भविष्य क्या होगा, ये बड़ी चिंता की बात है।

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डब्लूएचओ के कार्यकारी निदेशक डॉ माइक रयान ने कहा है कि संक्रमण की दर और कितने लोगों में वायरस के प्रति एंटीबॉडी है, इस आधार पर उनका अनुमान है कि दस फीसदी आबादी कोरोना की चपेट में आ चुकी है। डॉ रयान ने कहा- 'समस्या ये है कि अभी 6 अरब से ज्यादा लोग बाकी बचे हुए हैं। आने वाली आठ-नौ महीने बहुत खराब रहने वाले हैं।'

वैक्सीन कोई जादू नहीं

डॉ रयान ने कहा कि दुनिया वैक्सीन का इन्तजार कर रही है लेकिन वैक्सीन कोई जादू नहीं है बल्कि इस बीमारी से लड़ने का एक अतिरिक्त औजार है। हमीं एक व्यापक रणनीति से काम करना होगा।

धन की कमी

corona corona (social media)

डॉ रयान ने कहा कि कोविड-19 की जांच के टूल्स और वैक्सीन डेवलप करने के लिए जो ग्लोबल प्रोग्राम चलाया गया है उसके लिए 32 अरब डालर की जरूरत है लेकिन अभी तक मात्र दस फीसदी फंड ही जमा हो पाया है। ‘दुनिया में हर एक के लिए उपलब्ध वैक्सीन डेवलप करने के लिए 32 अरब डालर की जरूरत है। आर्थिक संकट से निपटने के लिए हजारों ख़राब डालर दिए जा रहे हैं लेकिन एक सर्व सुलभ वैक्सीन के लिए 32 अरब डालर नहीं जुट पा रहे।’

लीडरशिप की कमी

डॉ रयान ने कहा है कि 'कोरोना महामारी से निपटने में वैश्विक स्तर पर लीडरशिप की नितांत कमी है। यही नहीं गवर्नेंस के भी बहुत कमी देखी जा रही है। इस तरह हम कैसे महामारी से निपट पाएंगे?' डॉ रयान ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मेर्केल और न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री जसिन्दा अर्देन की प्रशंसा करते हुए कहा कि बीते 9 महीनों में सर्वोत्तम लीडरशिप महिला नेताओं में दिखी है।

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corona corona (social media)

अमेरिका पर निशाना

डब्लूएचओ के कार्यकारी निदेशक ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि विकसित देश इस महामारी के प्रति बेहद लापरवाह रहे हैं। उनसे बेहतर तो अफ्रीकी देश रहे हैं क्योंकि उनको महामारी से निपटने का तरीका आता है। वे महामारियां झेलने के आदी हैं। डॉ रयान ने कहा कि दस पहले आयी ‘सार्स’ बीमारी के प्रकोप से कोई सबक नहीं सीखा गया। हमें उसी वक्त डर जाना चाहिए था और एक सिस्टम खड़ा करना चाहिए था जिससे कि महामारियों से भविष्य में निपटा जा सके। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो सका और उसका नतीजा सबके सामने है।

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