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Postpartum Depression: माँ बनने के बाद होता हैँ जीवन कठिन, जानिए पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में सब कुछ

Postpartum Depression: पोस्टपार्टम अर्थात प्रसूति वादी डिप्रेशन एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो किसी महिला को उसके बच्चे की पैदाइश के बाद हो सकती है।

Vertika Sonakia
Published on: 10 Aug 2023 4:04 PM IST
Postpartum Depression: माँ बनने के बाद होता हैँ जीवन कठिन, जानिए पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में सब कुछ
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Postpartum Depression (Photo: Social Media)

Postpartum Depression: पोस्टपार्टम अर्थात प्रसूति वादी डिप्रेशन एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो किसी महिला को उसके बच्चे की पैदाइश के बाद हो सकती है। यह एक प्रकार की डिप्रेशन होती है जो जन्म देने के बाद उत्पन्न होती है और उसके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर असर डालती है।

यह एक सामान्य परिस्थिति नहीं है और सही देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती है। अगर किसी महिला को प्रसूति के बाद ऐसे लक्षण दिखाई दें, तो उसे एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मिलकर सहायता प्राप्त करनी चाहिए।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण

1.आत्म-संवाद: आपने खुद को निरर्थक, अनुभवहीन या नकारात्मक तरीके से सोचते हुए पाया जा सकता है।

2.उदासी और आवाज का ठिकाना: आप अचानक उदास और निराश हो सकते हैं, और आपकी आवाज और भावनात्मक तबियत धीरे-धीरे ठिकाने लग सकती है।

3.थकान और शारीरिक असहमति: अत्यधिक थकान, कमजोरी, और शारीरिक असहमति की भावना हो सकती है।

4.अनिद्रा: समय पर सोने में कठिनाई हो सकती है और आप रात में बार-बार जाग सकते हैं।

5.भोजन में रुचि की कमी: खाने-पीने में कम रुचि हो सकती है, जिससे आपका वजन कम हो सकता है।

6.खुद को अलग महसूस करना: आप खुद को अकेला और अलग महसूस कर सकते हैं, जैसे कि आप दुनिया से दूर हो रहे हो।

7.खुद की देखभाल की कमी: आप अपनी देखभाल में ध्यान देने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं, जैसे कि आपको अपनी देखभाल करने की इच्छा नहीं होती।

प्रसूति वादी डिप्रेशन के उपचार

प्रसूति वादी डिप्रेशन का उपचार व्यक्ति की स्थिति और आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है। यहाँ कुछ उपचार विकल्प दिए गए हैं:

1.व्यक्तिगत पारिस्थितिकी चिकित्सा: एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मिलकर व्यक्तिगत पारिस्थितिकी चिकित्सा प्राप्त करना महत्वपूर्ण होता है। डॉक्टर आपके लक्षणों की समझने में मदद करेंगे और उपचार की सलाह देंगे।

2.मानसिक स्वास्थ्य समर्थन: परिवार और दोस्तों का समर्थन प्राप्त करना भी महत्वपूर्ण है। आपके पास आपकी भावनाओं और आवश्यकताओं के बारे में बात करने के लिए सुनने और समर्थन प्रदान करने वाले लोग होने चाहिए।

3.चिकित्सात्मक दवाएँ: कुछ मामलों में, डॉक्टर चिकित्सात्मक दवाओं की सलाह देते हैं जो डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।

4.प्राणायाम और योग: प्राणायाम और योग के अभ्यास से भी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। ध्यान और ध्यान भावनात्मक प्रक्रियाओं का अभ्यास करने से भी लाभ हो सकता है।

5.सामाजिक समर्थन: स्थानीय समुदाय के साथ जुड़कर सामाजिक समर्थन प्राप्त करना भी महत्वपूर्ण होता है। मातृ समूहों या समर्थन समूहों में शामिल होना आपकी भावनाओं को साझा करने और समर्थन प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

6.थेरेपी: मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से सहायता प्राप्त करके थेरेपी, जैसे कि सामग्री-स्थानिक डिप्रेशन थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy) या ध्यान, आपकी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

प्रसूति वादी डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान करना और उचित उपचार प्राप्त करने के लिए आपको जरूरी है कि आप एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मिलें। आपको डॉक्टर से मिलने की आवश्यकता हो सकती है अगर:

1.आपके द्वारा अनुभवित लक्षण लगातार हो रहे हैं और वे बढ़ रहे हैं।

2.आपकी रोजमर्रा की गतिविधियों में बदलाव हो रहा है और आपके सामाजिक और परिवारिक संबंधों में कठिनाई हो रही है।

3.आपका खुद की देखभाल में रुचि कम हो रहा है और खान-पान या सुतने में समस्याएँ आ रही हैं।

4.आपकी नींद और ध्यान में परेशानी हो रही है और आपको आत्म-दुर्बलता की भावना हो रही है।

5.आपका डिप्रेशन आपके दिनचर्या, कार्यक्षमता और जीवन गुणवत्ता पर असर डाल रहा है।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के जोखिम कारक

1.बायोलॉजिकल फैक्टर्स: हारमोनल परिवर्तन जो गर्भावस्था के दौरान होते हैं, जैसे कि एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बदलाव, पोस्टपार्टम डिप्रेशन के रिस्क को बढ़ा सकते हैं।

2.इतिहास: पहले से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे कि डिप्रेशन या अन्य मानसिक बीमारियाँ, पोस्टपार्टम डिप्रेशन के जोखिम कारक हो सकती हैं।

3.जीवन में परिवर्तन: एक नए बच्चे के आगमन के साथ बड़े परिवर्तन, जैसे कि नींद की कमी, व्यायाम की कमी, और समय की कमी, पोस्टपार्टम डिप्रेशन के जोखिम कारक हो सकते हैं।

4.सामाजिक समर्थन की कमी: परिवार और समुदाय से योगदान और समर्थन की कमी, पोस्टपार्टम डिप्रेशन के रिस्क को बढ़ा सकती है।

5.आवाज के विचार: महिलाओं में यह विचार कि वे अच्छी मां नहीं बन सकती हैं या उनकी मातृता क्षमता में कमी होगी, पोस्टपार्टम डिप्रेशन को बढ़ावा देते हैं।

6.जीवन के स्ट्रेसर्स: अत्यधिक स्ट्रेस, वित्तीय समस्याएँ, सामाजिक दबाव और संबंधों में समस्याएँ, पोस्टपार्टम डिप्रेशन के जोखिम कारक हो सकते हैं।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन दवा

अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने प्रसवोत्तर अवसाद (पीपीडी) के इलाज के लिए बायोजेन और सेज थेरेप्यूटिक्स की मौखिक गोली को मंजूरी दे दी है। कंपनियों ने ज़ुर्ज़ुवे नाम की दवा के लिए मंजूरी मांगी थी। यह दवा प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार (एमडीडी) या नैदानिक अवसाद के साथ-साथ प्रसवोत्तर अवसाद का भी इलाज करती है। पीपीडी गर्भावस्था के बाद एक महिला की सामान्य कामकाज पर लौटने की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह संभावित रूप से अपने नवजात बच्चे के साथ मां के रिश्ते को भी प्रभावित कर सकता है।

सेज थेरेप्यूटिक्स और बायोजेन ने एक बयान में कहा, "यूएस ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा नियंत्रित पदार्थ के रूप में शेड्यूल किए जाने के तुरंत बाद ज़ुर्ज़ुवे के 2023 की चौथी तिमाही में लॉन्च होने और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होने की उम्मीद है, जो 90 दिनों के भीतर होने की उम्मीद है।"



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