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चार घंटे में जान सकते हैं नवजात कितना सुनता है, पीजीआई ने की तकनीकी इजाद
योगेश मिश्र
लखनऊ: अब आप अपने शिशु के जन्म के चार घंटे में ही यह जान सकेंगे कि आपका नवजात कितना सुन रहा है। इस तकनीक में कान इलेक्ट्रोड डाल कर श्रवण क्षमता का पता कर लिया जाता है। इसके लिए पीजीआई, लखनऊ में विशेष आडियोमेट्री लैब की स्थापना की गई है। न्यूरोसर्जरी विभाग ऑटो एकास्टिक इमीशन परीक्षण तकनीक से लैस हो गया है।
बता दें कि नेशनल हेल्थ मिशन के राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत मिले अनुदान से यह संभव हो पाया है। इस तकनीक के अविष्कार के बाद नवजात में सुनने की स्थिति का तुरंत पता लगाया जा सकेगा। अगर सुनने में कोई कमी है तो उसे हियरिंग ऐड लगा दिया जाएगा, ताकि का की केशिकाएं सुरक्षित रहे। बच्चे के दिमाग के विकास को बाधित होने से भी रोका जा सकेगा।
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पीजीआई के डॉक्टर प्रो. अमित बताते हैं कि ऑटो एकास्टिक इमीशल परीक्षण के बाद बच्चे के मस्तिष्क के विकास होने के साथ-साथ कान के सेल की रक्षा भी की जा सकेगी। डॉक्टरों की टीम ने चार सौ बच्चों पर शोध किया, जिनमें 15 फीसदी बच्चों में सुनने की क्षमता कम मिली। समय से पहले जन्म लेने वाले, जन्म के समय दो किलो से कम वजन वाले, नियोनेटल आईसीयू में भर्ती, गर्भास्था के दौरान उच्च रक्तचाप और मधुमेह की शिकार महिलाओं के बच्चों के लिए सुनने की क्षमता का मापना बेहद जरूरी है।
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