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जीभ पर जमी चर्बी है खर्राटे की वजह

भारत में दस में से एक व्यक्ति किसी न किसी तरह के नींद संबंधी विकार का शिकार है। शुरुआती लक्षण 15 साल की उम्र से ही लोगों में दिखने लगती है। 35 साल की उम्र में यह बीमारी गंभीर शक्ल अख्तियार कर लेती है।

Shivakant Shukla
Published on: 29 Feb 2020 12:25 PM GMT
जीभ पर जमी चर्बी है खर्राटे की वजह
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योगेश मिश्र

लखनऊ: यदि आप सोते समय खर्राटे भरते हैं। आपकी सांसे रुक जाती हैं, तो आप स्लीप एप्निया के शिकार हैं। इससे निजात के लिए आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। बस आपको अपने जबान की फैट यानी चर्बी को कम करनी होगी। ऐसा करने से आप इस समस्या से मुक्त हो जाएंगे। दुनियाभर में सौ करोड़ लोग स्लीप एप्निया के शिकार हैं। लेकिन किसी भी शोध में यह पता नहीं चल पाया है कि आखिर जीभी पर चर्बी यानी वसा बढ़ क्यों रही है।

अमेरिकन जर्नल फॉर रस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित जर्नल में जीभ के मोटापे को कम करके स्लीप एप्निया से मुक्ति के बाबत बताया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के पेन मेडिसिन के स्लीप सेंटर के डॉ. रिचर्ड स्कबैप ने अपनी टीम के साथ मिलकर एमआरआई जांच से 67 मोटे लोगों के मुहं के ऊपरी हिस्से स्वांस नलिका में घटे दस फीसदी फैट का आकलन किया। उन्हें पता चला कि जिन लोगों के जीभ का मोटापा कम हुआ है उनमें स्लीप एप्निया के मामले में 31 फीसदी का सुधार हुआ है।

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Fat on the tongue

स्लीप एप्निया यानी नींद संबंधी विकार

स्लीप एप्निया यानी नींद संबंधी विकार में सोते हुए अचानक नींद खुलती है। रात-दिन अधिक नींद आती है। सोते समय नाक से तेज आवाज निकलती है। ब्लडप्रेशर बढ़ता है, बेचैनी होती है, नींद संबंधी विकार का रोगी सुबह उठने के बाद से ही सिर दर्द की शिकायत करता है और अपने काम में ध्यान नहीं लगा पाता है। इस बीमारी के चलते दिमाग के सफेद भाग को नुकसान हो सकता है। ह्दय रोग हो सकता है। मधुमेह का खतरा हो सकता है।

भारत में दस में से एक व्यक्ति किसी न किसी तरह के नींद संबंधी विकार का शिकार है। शुरुआती लक्षण 15 साल की उम्र से ही लोगों में दिखने लगती है। 35 साल की उम्र में यह बीमारी गंभीर शक्ल अख्तियार कर लेती है।

Shivakant Shukla

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