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किसान आंदोलन में अब ब्रिटेन भी कूदा, 36 ब्रिटिश सांसदों ने कर डाली ये बड़ी मांग

ब्रिटेन के 36 सांसदों ने विदेश सचिव को पत्र लिखकर मांग की है कि भारत के इस बिल को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा की जाए। ब्रिटेन में भारतीय मूल के 36 सांसदों का कहना है कि ब्रिटेन को पीएम मोदी के साथ यह मुद्दा उठाकर किसानों की समस्या सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।

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Published on: 5 Dec 2020 5:05 AM GMT
किसान आंदोलन में अब ब्रिटेन भी कूदा, 36 ब्रिटिश सांसदों ने कर डाली ये बड़ी मांग
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किसान आंदोलन में अब ब्रिटेन भी कूदा, 36 ब्रिटिश सांसदों ने कर डाली ये बड़ी मांग

नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन की धमक विदेशों में भी दिखने लगी है। कनाडा के बाद अब ब्रिटेन भी आंदोलनरत किसानों के समर्थन में कूद पड़ा है। ब्रिटेन के 36 सांसदों ने देश के विदेश सचिव को पत्र लिखकर मांग की है कि भारत के इस बिल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा की जाए। ब्रिटेन में भारतीय मूल और पंजाब से संबंध रखने वाले 36 सांसदों का कहना है कि ब्रिटेन को पीएम मोदी के साथ यह मुद्दा उठाकर किसानों की समस्या सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।

किसान आंदोलन पर लिखी विदेश सचिव को चिट्ठी

ब्रिटेन के 36 सांसदों ने भारत के किसान आंदोलन के संबंध में विदेश सचिव डॉमिनिक रैब को चिट्ठी लिखी है। लेबर सांसद तन्मयजीत सिंह ढेसी ने सांसदों को भारत के किसान आंदोलन के संबंध में एक मंच पर इकट्ठा किया है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में लेबर पार्टी के साथ ही कंजरवेटिव सांसद भी शामिल हैं। इन दोनों दलों के अलावा स्कॉटिश नेशनल पार्टी के नेताओं ने भी इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में विदेश सचिव से मांग की गई है कि जल्द ही इस संबंध में बैठक बुलाई जाए।



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किसान आंदोलन पर जताई चिंता

सांसदों के इस पत्र में कहा गया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पंजाब से जुड़े लोगों और ब्रिटेन में रहने वाले सिखों के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय है। वैसे इन कानूनों का भारत के अन्य राज्यों पर भी काफी असर पड़ेगा। ब्रिटिश सांसदों का कहना है कि ब्रिटेन में रहने वाले कई सिखों और पंजाबियों ने अपने सांसदों के साथ इस मामले को उठाया है क्योंकि वे पंजाब में रहने वाले अपने परिवार के सदस्यों और पैतृक भूमि से जुड़ाव महसूस करते हैं।

भारतीय उच्चायोग को भी लिखा पत्र

कई ब्रिटिश सांसदों ने हाल में भारतीय उच्चायोग को भी भारत के तीन कृषि कानूनों के असर के संबंध में चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में आरोप लगाया गया है कि यह कृषि कानून किसानों को शोषण से बचाने और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में पूरी तरह विफल है।

किसानों के खिलाफ कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया

हाल के दिनों में ब्रिटिश सांसदों ने सोशल मीडिया पर भी भारत के किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी की है। बर्मिंघम एजबेस्टन की लेबर सांसद और ब्रिटिश सिखों के लिए ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री कमेटी की अध्यक्ष प्रीत कौर गिल ने दिल्ली में किसानों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी।

उनका कहना था कि भारत के विवादास्पद किसान विधेयक पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताने वाले नागरिकों के साथ व्यवहार करने का यह कोई उचित तरीका नहीं है। ऐसे बिल से किसानों की आजीविका प्रभावित होगी और किसान शांति से इन विवादित बिलों पर अपना विरोध जता रहे हैं। गिल ने कहा कि किसानों को खामोश करने के लिए वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है।

कनाडा के पीएम ने भी उठाया था मुद्दा

ब्रिटिश सांसदों से पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी भारत के किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया था। हालांकि बाद में कनाडा के पीएम के बयान पर भारत की ओर से तीखी आपत्ति जताई गई थी। विदेश मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को कनाडा के हाई कमिश्नर को इस बाबत तलब किया गया था।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो

भारत की कनाडा को सख्त चेतावनी

भारत ने कनाडा के हाई कमिश्नर को स्पष्ट कर दिया है कि कनाडा के पीएम कुछ कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों की ओर से भारतीय किसानों के आंदोलन के संबंध में की गई बयानबाजी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है और यह भारत को कतई स्वीकार्य नहीं है।

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भारत ने सख्त चेतावनी देते हुए यह भी कहा है कि यदि यही रवैया जारी रहा तो भारत और कनाडा के रिश्ते पर भी इसके गंभीर परिणाम होंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से उम्मीद जताई गई है कि कनाडा की सरकार भारतीय कूटनीतिक अधिकारियों की पूरी सुरक्षा करेगी और कनाडा के नेता देश में चरमपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली घोषणाओं से बाज आएंगे। जानकारों का कहना है कि कनाडा में काफी संख्या में सिख रहते हैं और उनका समर्थन हासिल करने के लिए ही पीएम ट्रूडो की ओर से किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया गया है।

अंशुमान तिवारी

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