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ये 4 बड़े फैसले! जो मोदी सरकार के शासन में आए और पूरी दुनिया को चौंकाया
दरअसल, 1045 पन्नों के फैसले में इसे लिखने वाले जज के नाम का जिक्र कोर्ट ने नहीं किया, जबकि बेंच की तरफ से कोई एक जज फैसला लिखता है तो डॉक्युमेंट में उसके नाम का जिक्र होता है। वैसे यह फैसला मोदी शासन के दौरान आया।
नई दिल्ली: अयोध्या के विवादित स्थल को लेकर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने सबसे बड़ा फैसला सुनाया। इस फैसले के साथ सदियों से चले आ रहे विवाद पर विराम लग गया। वहीं, ये फैसला ऐसे समय में आया, जब देश में एक के बाद एक बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि मोदी सरकार के शासन में आए 5 बड़े फैसलों के बारे में।
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तीन तलाक बिल
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाई थी। पांच जजों की पीठ ने तुरंत तलाक देने के इस रिवाज को असंवैधानिक करार दिया था। इस पीठ ने ये कहा था कि तीन तलाक इस्लाम की शिक्षा के विरुद्ध है। उत्तराखंड की शायरा बानो की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था। शायरा को उनके पति ने तीन बार तलाक लिख कर चिट्टी भेजी थी, जिसके बाद उन्होंने उन्हें (शायरा) छोड़ दिया था। इसी के बाद शायरा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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तब शायरा की याचिका के साथ चार और मुस्लिम महिलाओं की ऐसी ही याचिकाएं जोड़ दी गई थीं। ज्यादातर विपक्षी दलों का कहना था कि बिल में अपराध संबंधी क्लॉज जोड़ने से इसका मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ गलत इस्तेमाल हो सकता है। बिल में तीन साल की जेल और तीन तलाक देने वाले पुरुष को भरण-पोषण के लिए मुआवजा देने का प्रावधान है। सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया। उसने कहा कि इससे मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
आर्टिकल 370
जम्मू-कश्मीर का विवाद भी काफी पुराना है। इससे निपटने के लिए भी मोदी सरकार ने कड़े फैसले किए और 5 अगस्त, 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य से आर्टिकल 370 को कमजोर कर दिया। मोदी सरकार इस फैसले को दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पास करवाने में भी सफल हो गई, जिसके बाद 31 अक्टूबर, 2019 से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्रशासित राज्य बन गए।
करतारपुर कॉरिडॉर
भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडॉर को भी 9 नवंबर को खोला गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 नवंबर को इस कॉरिडॉर का शुभारम्भ किया। बता दें, करतारपुर कॉरिडॉर से भारत और दुनियाभर में मौजूद सिख समुदाय के करोड़ों लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। करतारपुर साहिब सिखों का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद
सदियों से चले आ रहे इस विवाद पर 9 नवंबर यानि शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। ये पहला मौका था, जब कोर्ट द्वारा शनिवार को कोई फैसला सुनाया हो। यही नहीं, इस दौरान कोर्ट द्वारा एक परंपरा भी तोड़ी गई।
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दरअसल, 1045 पन्नों के फैसले में इसे लिखने वाले जज के नाम का जिक्र कोर्ट ने नहीं किया, जबकि बेंच की तरफ से कोई एक जज फैसला लिखता है तो डॉक्युमेंट में उसके नाम का जिक्र होता है। वैसे यह फैसला मोदी शासन के दौरान आया।